पटना: बिहार के खेल प्रतिभाओं को तराशने और यहां के खिलाड़ियों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खेल पटल पर प्रतिनिधित्व के लिए तैयार करने के उद्देश्य से कला संस्कृति विभाग बिहार की ओर से पटना के अंतरराष्ट्रीय स्तर के बिहार म्यूजियम में दो दिवसीय बिहार स्पोर्ट्स कान्क्लेव 2022 (Bihar Sports Conclave 2022) का आयोजन चल रहा है. इस आयोजन में शामिल होने के लिए देश भर से खेल जगत से जुड़े दिग्गज पहुंचे हुए हैं और बिहार में खेल का उत्थान कैसे हो और यहां के खिलाड़ियों की प्रतिभा को कैसे निखारा जाए इस पर अपना वक्तव्य दे रहे हैं और अपने विचार प्रकट कर रहे हैं. इसी कड़ी में दिग्गज कोच राम मेहर सिंह ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की.
'स्पोर्ट्स कॉन्क्लेव सराहनीय कदम': राम मेहर सिंह ने कहा कि बिहार में खेल और खिलाड़ियों के उत्थान की दिशा में सरकार की तरफ से यह जो दो दिवसीय स्पोर्ट्स कॉन्क्लेव का आयोजन किया गया है यह बहुत ही सराहनीय कदम है. इसके लिए डीजी रविंद्रन संकरण को लगाया गया है. जिससे बिहार में खेल को काफी बढ़ावा मिलेगा. उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन में जितने भी सीनियर कोच, वरिष्ठ खिलाड़ी और खेल साइंटिस्ट को बुलाया गया है उनके जो कुछ भी विचार है अगर सरकार उस पर काम करती है तो निश्चित रूप से प्रदेश में खेल को काफी बढ़ावा मिलेगा और बिहार के खिलाड़ी भी अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कराते दिखेंगे.
बिहार में दो दिवसीय स्पोर्ट्स कान्क्लेव: दो दिनों के इस सम्मेलन में इसी पर विशेष रूप से चर्चा की जा रही है कि बिहार के टैलेंट को कैसे आगे ले जाया जा सके. जितने भी पैनलिस्ट यहां पहुंचे हुए हैं खेल जगत के दिग्गज हैं और वहां बिहार में खेल प्रतिभा को आगे लाने के लिए अपने विचार प्रकट कर रहे हैं. बिहार में खेल के इंफ्रास्ट्रक्चर को कैसे बढ़ावा दिया जाए और विभिन्न खेलों में जो कोच की कमी है उसको कैसे दूर किया जा सकता है इस पर विचार प्रकट किया जा रहा है.
'बिहार में कोच की कमी': राम मेहर सिंह ने भी अपने विचार दिए हैं और कोच की कमी को दूर करने के लिए उन्होंने सरकार से आग्रह किया है कि प्रदेश में अभी के समय विभिन्न खेलों में 100 से भी कम कोच हैं जबकि इनकी संख्या 300 से अधिक होनी चाहिए. इसके लिए उन्हें बाहर प्रदेशों से कोच हायर करने की आवश्यकता नहीं है बल्कि प्रदेश के ही जो पूर्व खिलाड़ी रहे हैं. उन्हें सरकार अनुबंध के तहत जोड़ सकती है और इससे पूर्व खिलाड़ियों को भी फायदा होगा और बिहार में खेल की प्रतिभा भी निखरेगी.
''डिफेंस के क्षेत्र में भी बिहार के लोग आगे हैं, शिक्षा के क्षेत्र में भी बिहार के लोग आगे हैं, आईएएस और आईपीएस की बात होती है तो उस में बिहारियों की संख्या अधिक रहती है डॉक्टर और इंजीनियर ही बिहार से अधिक होते हैं किसानी में भी बिहार आगे है. बिहार के किसान दूसरे प्रदेशों में जाकर जब खेती को नया रूप दे सकते हैं तो बिहार में भी नौजवान को यदि बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर और संसाधन उपलब्ध कराए जाएं तो खेल के क्षेत्र में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय फलक पर अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर सकते हैं. यहां सम्मेलन में इस बात पर चर्चा चल रही है कि खिलाड़ियों को कैसे खेल के प्रति आकर्षित किया जाए और कैसे उनको उचित मंच मुहैया कराया जाए.''- राम मेहर सिंह, कबड्डी के दिग्गज कोच
'खेलों में कोच की कमी को दूर करने का आग्रह': उन्होंने कहा कि किसी स्कूल में जाते हैं और कितना भी बड़ा और अच्छा स्कूल क्यों ना हो लेकिन वहां शिक्षक नहीं होंगे तो बच्चे नहीं पढ़ पाएंगे और यही भाव खेल से भी जुड़ता है. अगर अच्छे कोच नहीं होंगे तो अच्छे खिलाड़ी भी नहीं तैयार होंगे. उन्होंने सरकार से प्रदेश में विभिन्न खेलों में कोच की कमी को दूर करने का आग्रह किया है और इसको लेकर सुझाव भी दिए हैं जिसको सरकार की तरफ से माना भी गया है. कोच के चयन के लिए 6 सप्ताह का शॉर्ट डिप्लोमा कोर्स होता है सरकार वह करा सकती है और इसके माध्यम से प्रदेश के पूर्व खिलाड़ियों को एक अच्छा कोच बना सकती है ताकि वह कोच अच्छे से अच्छे खिलाड़ी तैयार कर सकें.
'प्रत्येक जिलों में कम से कम 10 कोच हो': बिहार के प्रत्येक जिलों में कम से कम 10 कोच होने चाहिए और जरूरी नहीं की सभी जिलों में कबड्डी के कोच हो और फुटबॉल के कोच हो. लेकिन जो जिला जिस खेल में बेहतर है उस खेल के कोच वहां होने चाहिए और विभिन्न खेलों के कम से कम प्रदेश में विभिन्न जिलों में 10 से 15 कोच होने चाहिए. उन्होंने कहा कि बिहार सरकार की भी इस पर प्रतिबद्धता नजर आ रही है कि खेल के क्षेत्र में बिहार को कैसे उड़ीसा मध्य प्रदेश हरियाणा जैसे राज्यों के जैसे आगे बढ़ाया जाए.
'इंफ्रास्ट्रक्चर को दुरुस्त करने की जरूरत': कबड्डी के दिग्गज कोच राममेहर सिंह ने कहा कि उन्होंने राज्य खेल एसोसिएशन के अधिकारियों से बातचीत कर यह सुझाव दिया है कि विभिन्न खेलों के लिए विभिन्न जिलों को चयनित करें और वहां उस खेल से संबंधित सभी इंफ्रास्ट्रक्चर को दुरुस्त कर सभी जरूरी संसाधन उपलब्ध कराए जाएं. खिलाड़ियों को तैयार करने के लिए एक बेहतर नर्सरी तैयार की जाए और खिलाड़ियों को आगे बढ़ने के लिए पर्याप्त समय भी दिया जाए. खिलाड़ियों को कुछ कैश इंसेंटिव भी दिया जाए और उनके खाने का भी प्रबंध कराया जाए ताकि जो आर्थिक रूप से कमजोर है और खेलने की इच्छा शक्ति रखते हैं और बेहतर खेलते हैं तो उन्हें भी खेलने का पूरा अवसर मिले.
महिला कबड्डी का पहला वर्ल्ड कप जो हुआ वह बिहार में हुआ और वह काफी सफल रहा. लेकिन बिहार में कबड्डी के विकास के लिए काफी इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी है, सुविधाओं की कमी है. इस कमी को यदि दूर किया जाता है तो निश्चित रूप से बिहार से भी कबड्डी के अच्छे खिलाड़ी तैयार होंगे, क्योंकि बिहार के लोगों के बीच कबड्डी शुरू से एक लोकप्रिय खेल रहा है. उन्होंने कहा कि स्पोर्ट्स सम्मेलन में प्राप्त तमाम सुझावों पर यदि सरकार काम करती है तो निश्चित रूप से 2028 ओलंपिक में बिहार के भी काफी खिलाड़ी विभिन्न खेलों में देश का प्रतिनिधित्व करते नजर आएंगे.
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