पटना: बिहार में शराबबंदी कानून (Liquor Prohibition Law in Bihar) को लागू हुए 5 साल बीत चुके हैं, लेकिन अब तक बिहार में पूर्ण शराबबंदी सही स्वरूप में लागू नहीं हो पा रही है. बीजेपी के कई नेता पूर्ण शराबबंदी कानून को वापस लेने की मांग कर चुके हैं और अब पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. उन्होंने पूर्ण शराबबंदी को वापस लेने की मांग (Withdrawal of Complete Prohibition in Bihar) की है.
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हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतनराम मांझी ने कहा कि बिहार में शराबबंदी कानून अधिकारियों के रवैए के चलते मुकाम को हासिल नहीं कर सका है. इसलिए नए सिरे से पूर्ण शराबबंदी पर विचार करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि शराबबंदी कानून में सिर्फ गरीब ही पकड़े जा रहे हैं और बड़ी संख्या में वह जेल में भी बंद हैं.
मांझी ने कहा कि बिहार में पूर्ण शराबबंदी के बजाय सीमित शराबबंदी (Jitan Ram Manjhi Calls for Limited Prohibition) होनी चाहिए. शराबबंदी का ऐसा मॉडल होना चाहिए, जिससे कि जिसे जरूरी हो उसे शराब मिल जाए. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को शराबबंदी के गुजरात मॉडल पर विचार करना चाहिए.
"मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मेरी मांग है कि पूर्ण शराबबंदी के बजाय बिहार में सीमित शराबबंदी होनी चाहिए. इससे राज्य का राजस्व भी बढ़ेगा. भले ही ऊपर से लग रहा है कि यह ठीक है, लेकिन लोग अंदर-अंदर व्याकुल हैं"- जीतनराम मांझी, पूर्व सीएम, बिहार
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इसके साथ ही जीतनराम मांझी ने बीजेपी विधायक निक्की हेंब्रम का भी समर्थन किया है. उन्होंने कहा कि निक्की हेंब्रम ने सही मुद्दा उठाया था. नीतीश कुमार को उनकी मांगों पर विचार करना चाहिए. मैं भी इस मुद्दे को उठाता रहा हूं. जिनकी जीविका महुआ से चलती है, उनके लिए सरकार को व्यवस्था करनी चाहिए.
दरअसल, निक्की हेंब्रम ने कहा था कि महुआ के प्रतिबंध से गरीब तबके के लोगों को आर्थिक पीड़ा से होकर गुजरना पड़ रहा है. महुआ को लोग सिर्फ शराब के रूप में देखते हैं. शराबबंदी उचित है, इससे हमारे समाज का उत्थान नहीं होता, लेकिन किसी के आर्थिक रिसोर्स को आप बंद कर देंगे तो ये अन्याय है. सीएम को चाहिए कि वो मध्यप्रदेश की तर्ज पर महुआ प्रोसेसिंग की वैकल्पिक व्यवस्था करें.
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