पटना : बिहार सरकार की ओर से जातीय गणना कराया जा रहा है. इसको लेकर अब जेडीयू क्रेडिट लेने की कोशिश में भी लग गया है. जेडीयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा के नेतृत्व में आज पूरे बिहार में धन्यवाद यात्रा (JDU Rally For Caste Census In Bihar) निकाली जा रही है. मुख्यमंत्री को जातीय जनगणना कराने के लिए धन्यवाद देते हुए यह यात्रा निकाली जा रही है. राजधानी पटना सहित बिहार के सभी जिला मुख्यालय में धन्यवाद यात्रा निकाली जा रही है. जेडीयू के नेता और कार्यकर्ता के साथ-साथ समता फुले परिषद के सदस्य भी इसमें शामिल हैं.
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''नीतीश कुमार के नेतृत्व में जातीय जनगणना कराने का ऐतिहासिक फैसला हुआ है. उनके फैसले को पूरा देश देख रहा है. नीतीश कुमार ही हैं जिनके चलते इतना बड़ा ऐतिहासिक फैसला लिया गया. ऐसे में स्वभाविक है कि उनके प्रति धन्यवाद ज्ञापित करना ही चाहिए. इस दृष्टि से पार्टी की ओर से कार्यक्रम निर्धारित है. सभी जिला मुख्यालय पर पार्टी के कार्यकर्ता और सामाजिक संस्था के सदस्य धन्यवाद यात्रा निकालकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को धन्यवाद दे रहे हैं.''- उपेंद्र कुशवाहा, राष्ट्रीय अध्यक्ष, जेडीयू संसदीय बोर्ड.
बिहार में जातीय जनगणना : बता दें कि, बिहार में जातीय जनगणना की स्वीकृति दे दी गई. फरवरी 2023 तक जाति आधारित गणना पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. इस पर 500 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान लगाया गया है. सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से जातीय जनगणना कराने के लिए दिशा निर्देश भी जारी (Guidelines For Caste Cencus In Bihar ) किया गया है. सभी जिले के डीएम को पत्र लिखा गया है. जाति आधारित गणना के तहत आंकड़ों का संग्रह डिजिटल मोड/ मोबाइल ऐप से किया जाना है.
2023 तक जाति आधारित गणना पूरा करने का लक्ष्य : दरअसल 1 जून को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में सर्वदलीय बैठक हुई थी. जिसमें जातीय जनगणना कराने पर सहमति बनी थी. इसके अगले दिन यानी 2 जून को बिहार कैबिनेट की बैठक हुई. इस बैठक में बिहार में जातीय जनगणना की स्वीकृति दे दी गई. बैठक में फरवरी, 2023 तक जाति आधारित गणना पूरा करने का लक्ष्य रखा गया. इसपर 500 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान लगाया गया.
केंद्र नहीं करायेगी जातीय जणगणना : यहां उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने साफ कर दिया है कि सरकार जातीय जनगणना नहीं कराने जा रही है. वहीं राज्यों को ये छूट मिली है कि अगर वो चाहें तो अपने खर्चे पर सूबे में जातीय जनगणना करा सकते हैं. बिहार में लगभग सभी दल एकमत Ls कि प्रदेश में जातीय जनगणना होनी चाहिए. जातीय जनगणना को लेकर तेजस्वी यादव की पहल पर ही पिछले साल 23 अगस्त को नीतीश कुमार के नेतृत्व में प्रधानमंत्री से शिष्टमंडल मिला था.