पटना: भारत में पीएफआई पर 5 सालों के लिए प्रतिबंध (PFI Ban in India) लगाने के बाद बिहार में सियासत शुरू हो गई है. भारत सरकार ने पीएफआई की गतिविधियों को लेकर बैन लगा दिया है. भारत सरकार के बैन लगाने का जहां बीजेपी स्वागत कर रही है, वहीं सत्ताधारी दल जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने सवाल उठाया है. उन्होंने कहा कि भारत सरकार पहले यह बताए कि किस आधार पर पीएफआई पर बैन लगाया गया है. आखिर कौन से सबूत हैं, जिसके आधार पर बैन लगा है. भारत सरकार के जवाब के बाद ही इस पर हम प्रतिक्रिया देंगे.
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"पटना में जब मामला मिला था तो बिहार की पुलिस भी मदद की थी लेकिन अब पीएफआई पर बैन केंद्र सरकार ने लगाया है और कौन से सबूत मिले हैं जिसके आधार पर यह लगा है. भारत सरकार को यह बताना चाहिए." - ललन सिंह, राष्ट्रीय अध्यक्ष, जदयू
पीएफआई पर 5 सालों के लिए प्रतिबंध: दरअसल, केंद्र की मोदी सरकार ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) पर प्रतिबंध लगा दिया है. बता दें, कई राज्यों से इस संगठन PFI को प्रतिबंधित करने की मांग हो रही थी. हाल कि कुछ दिनों में NIA और कई राज्यों की पुलिस और एजेंसियों ने पीएफआई (Popular Front of India) के ठिकानों पर छापेमारी कर सैकड़ों गिरफ्तारियां की थीं. गृह मंत्रालय (Home Ministry) ने पीएफआई (PFI) को 5 साल प्रतिबंधित संगठन घोषित किया है. पीएफआई के अलावा 9 सहयोगी संगठनों पर भी कार्रवाई की गई है.
जानकारी के मुताबिक PFI के अलावा रिहैब इंडिया फाउंडेशन (RIF), कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (CFI), ऑल इंडिया इमाम काउंसिल (AIIC), नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गनाइजेशन (NCHRO), नेशनल वीमेन फ्रंट (National Women Front), जूनियर फ्रंट (National Junior Front), एम्पावर इंडिया फाउंडेशन और रिहैब फाउंडेशन (Empower India Foundation and Rehab Foundation), केरल जैसे सहयोगी संगठनों पर भी बैन लगाया गया है.
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