पटना: किसी ने क्या खूब कहा है कि पंख से नहीं हौसलों से उड़ान होती है. इसी को चरितार्थ किया है आईपीएस शिवदीप लांडे ने. तेज तर्रार आईपीएस जिन्हें सिंघम के नाम से जाना जाता है. बिहार में ही उन्होंने 'सिंघम' उपनाम पाया था. बाद में उनकी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति हो गई थी. महाराष्ट्र कैडर में रहने के बाद उन्होंने करोना काल में अपनी जीवनी पर एक प्रेरणा भरी किताब लिखी. यह किताब बिहार, झारखंड और यूपी के बुक स्टॉल पर उपलब्ध रहेगा. शिवदीप लांडे का मानना है कि इससे लोग काफी ऊर्जावान और प्रेरित होंगे.
इसे भी पढ़ेंः बिहार के सुपरकॉप शिवदीप लांडे अपनी बेटी को क्यों कहा- 'सॉरी'
मां काे याद कर हुए भावुकः 2006 बैच के आईपीएस शिवदीप लांडे ने बिहार में काफी अच्छी पुलिसिंग की. लड़कियां अपने भाई की तरह कभी भी हेल्प मांगा करती थीं. युवाओं के लिए भी काफी सहायक रहते थे. सुपरकॉप शिवदीप लांडे ने अपने जीवन पर बुक लिख है. बुक का नाम है "women behind the line". हालांकि बचपन में काफी कष्ट सहने के बाद उनके मां ने उन्हें बड़े प्यार से समझा बुझाकर पढ़ाया था. हालांकि कई बार इनके मन में बचपन में ही आया था कि वे सब कुछ छोड़ कर भाग जाऊं लेकिन फिर भी इन्होंने कभी गलत कदम नहीं उठाया.
मां को समर्पित है किताबः उन्होंने बताया कि इस पुस्तक में उन्होंने अपनी जीवनी, संघर्षों व इस मुकाम पर पहुंचाने वाले शख्सियत के बारे में लिखा है. उन्होंने कहा कि मेरे जीवन में मां कि अहम भूमिका रही है. मैं अपनी मां को बहुत कुछ नहीं दे सकता पर यह पुस्तक मां को समर्पित कर रहा हूं. हर सफल व्यक्तित्व के पीछे एक शख्स का हाथ होता है जिन्हें हम नहीं देखते. मेरे कहानी में वह शख्स मेरी मां है.
इसे भी पढ़ेंः एक बार फिर चर्चा में 'रॉबिनहुड पांडे' Shivdeep Lande, कहानी जान आप भी कहेंगे- वाह! बहुत खूब
2006 में IPS बनेः 2006 में भारतीय पुलिस सेवा में चयनित हुए और कई अच्छे काम किये. बाद में अपनी मां की जीवनी पर एक किताब लिख डाला. शिवदीप लांडे ने साफ तौर से बताया कि मेरा जीवन काफी दुख भरा रहा है. जब कक्षा वन में पढ़ते थे तब दूसरे के पेरेंट्स स्कूल आते थे. उनका हाल समाचार जानते थे, उस समय काफी बुरा लगता था. काश मेरा भी ऐसा ही एक परिवार होता लेकिन फिर भी वह अपने लग्न के प्रति कर्तव्य मान रहे और अपनी कार्यशैली से लोगों को प्रभावित करते रहे.
"मेरे जीवन में मां कि अहम भूमिका रही है. मैं अपनी मां को बहुत कुछ नहीं दे सकता पर यह पुस्तक मां को समर्पित कर रहा हूं. हर सफल व्यक्तित्व के पीछे एक शख्स का हाथ होता है जिन्हें हम नहीं देखते. मेरे कहानी में वह शख्स मेरी मां है"- शिवदीप वामन राव लांडे, डीआईजी सहरसा