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जानिए कौन हैं बिहार की 'किसान चाची', मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री तक कर चुके हैं तारीफ - Rajkumari Devi

अगर हौसला बुलंद हो तो महिलाएं जीवन में कुछ भी हासिल कर सकती हैं. उसके राह की कठिनाइयां भी धीरे-धीरे दूर हो जाती हैं. इसका जीता जागता उदाहरण बिहार की मशहूर किसान चाची हैं. आज बिहार का हर बड़ा शख्स किसान चाची की कहानी को जानता है. साथ ही उन्हें (Kisan Chachi) सूबे का गौरव बताता है. दरअसल बिहार की 'किसान चाची' ने नारी सशक्तिकरण का एक बेहतरीन मिसाल पेश किया है. पढ़ें पूरी खबर..

बिहार की किसान चाची
बिहार की किसान चाची
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Published : Jan 17, 2022, 10:43 PM IST

पटना: बिहार की किसान चाची आज किसी पहचान की मोहताज नहीं हैं. लाखों महिलाओं की रोल मॉडल हैं. तो चलिए आज आपको किसान चाची की ही कहानी बताते हैं. ये कहानी आपको निजी जीवन में बड़ी से बड़ी कठिनाइयों को झेलने की प्रेरणा देगी. इसके अलावा आपके अंदर एक आत्मविश्वास भी भर देगी. किसान चाची जिनका असली नाम राजकुमारी देवी (Rajkumari Devi ) है. लेकिन आज पूरा देश उन्हें किसान चाची के नाम से जानता है. किसान चाची मूल रूप से मुजफ्फपुर के सरैया प्रखंड के आनंदपुर की रहने वाली हैं. किसान चाची ने महिलाओं के बीच स्वावलंबन की ऐसी अलख जगाई है कि आज पूरे देश में उनके चर्चे हैं.

ये भी पढ़ें : पढ़िए 'किसान चाची' की कहानी, जिन्हें मिल रहा है पद्मश्री सम्मान

गरीब परिवार में हुई थी शादी : मालूम हो कि मुजफ्फरपुर जिले के सरैया प्रखंड की रहने वाली राजकुमारी देवी किसान चाची का जन्म एक शिक्षक के घर में हुआ था. उस समय जल्द ही शादी कर देते थे इसलिए, मैट्रिक पास होते ही 1974 में उनकी शादी एक किसान परिवार में अवधेश कुमार चौधरी से कर दी गई. शादी के बाद वह अपने परिवार के साथ मुजफ्फरपुर जिले के आनंदपुर गांव में रहने लगी.

नहीं हारा हौसला : राजकुमारी शिक्षिका बनना चाहती थी लेकिन परिजनों के विरोध के कारण वह ऐसा नहीं कर सकी. किसान चाची के जीवन का सफ़र काफी कठिन रहा है. सबसे पहले तो शादी के बाद पहले संतान न होने का तंज झेला. उसके बाद बेटियां होने पर समाज के ताने झेलने को मिले और एक वक्त ऐसा भी आया जब किसान चाची को घर तक से निकाल दिया गया. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी.

इसे भी पढ़ें : कभी साइकिल चलाकर 30-40 किलोमीटर दूर अचार बेचने जाती थीं 'किसान चाची'

ये भी पढ़ें: मुजफ्फरपुर की 'किसान चाची' को मिला पद्मश्री पुरस्कार, जिले को समर्पित किया सम्मान

आचार से की शुरुआत : 'किसान चाची' को काफी पारिवारिक और सामाजिक बाधाओं का भी सामना करना पड़ा. इस दौरान कई अपने दूर हो गए तो कई ने साथ छोड़ दिया, लेकिन वो हार नहीं मानीं. उस दौर में भी किसान चाची साइकल से अपना अचार लेकर गांव-गांव घूमकर बेचा करती थीं. कई तरह के ताने भी सुने और आखिरकार अपने दम पर अपनी पहचान बनाई.

इलाके की महिलाओं को जोड़ा : 1990 से किसान चाची ने परंपरागत तरीके से खेती करते हुए बाद में वैज्ञनिक तरीके को अपनाकर अपने खेती-बाड़ी को उन्नत किया. इसके बाद वो कई तरह के अचार बनाने की शुरुआत की. साल 2000 से उन्होंने घर से ही अचार बनाना शुरू किया, जो आज किसान चाची का अचार के नाम से पूरे देश विदेशों में प्रसिद्ध हैं. शुरुआती दौर में किसान चाची ने आस-पास की महिलाओं के साथ जुड़कर खेती उपज से कई तरह के अचार जैसे मिर्च, बेल, निम्बू, आम और आंवला के आचार को बाजार में बेचना शुरू किया.

ये भी पढ़ें: महिला दिवस स्पेशल: नारी तू कभी ना हारी...

इसे भी पढ़ें : जेपी नड्डा से मिली पद्मश्री 'किसान चाची', बोलीं- PM मोदी जो कहते हैं, वो करते हैं

किसानश्री सम्मान : अब तक किसान चाची के मेहनत के चर्चे अफसरों तक पहुंचने लगे थे. जब 2007 में यह कहानी बिहार सरकार तक पहुंची बिहार सरकार द्वारा किसान चाची को किसानश्री सम्मान मिला. यहीं से राजकुमारी देवी किसान चाची के नाम से फेमस हो गईं. किसान चाची ने देश के कई राज्यों में किसान महोत्सवों में अपने स्टॉल लगाए. उनकी सफलता कि कहानी अब पूरे देश को पता चल चुकी है और यही वजह है कि आज बिहार के सीएम से लेकर देश के पीएम और राष्ट्रपति तक किसान चाची की तारीफे करते हैं.

नरेंद्र मोदी से मुलाकात : जब किसान चाची 2013 के शिल्प मेले में गुजरात गई थीं. वहीं उनकी मुलाकात पीएम नरेंद्र मोदी से हुई. नरेंद्र मोदी उस समय गुजरात के तत्कालीन सीएम थे. बाद में जब वह पीएम बने तो भी किसान चाची उन्हें याद रहीं. यही वजह है कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा पिछले दिनों किसान चाची से मिलने पहुंचे थे. किसान चाची ने वर्षों तक मेहनत करके बिहार समेत देश भर की बेटियों और महिलाओं को एक रास्ता दिया है, जो तमाम मुश्किलों से आपको निकाल सफलता के रास्ते पर ले जा सकता है.

ये भी पढ़ें : बिहार की किसान चाची pm मोदी के मेक इन इंडिया को कर रहीं साकार

लालू प्रसाद ने किया था पुरस्कृत : 1990 से राजकुमारी देवी खेती करती आ रही हैं. सबसे पहले 2003 में किसान चाची को कृषि मेला के दौरान लालू प्रसाद यादव ने पुरस्कृत किया था. 2007 में किसान श्री का सामान मिला. किसान चाची के अचार की महानायक अमिताभ बच्चन ने भी तारीफ कर चुके हैं. किसान चाची को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से लेकर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी सम्मानित कर चुके हैं.

केबीसी पहुंची किसान चाची : उनकी मेहनत के चर्चे टेलीविजन की दुनिया तक भी पहुंची और महानायक अमिताभ बच्चन ने जब किसान चाची का किस्सा सुना तो उन्हें उनके फेमस शो “कौन बनेगा करोड़पति” में बुलाया गया और इस प्रोग्राम में किसान चाची ने अमिताभ बच्चन को अपनी कहानी सुनाई थी. केबीसी के प्लेटफॉर्म से ही इस कहानी को पूरे देश ने जाना. ये बिहार की मिट्टी का ही कमाल है जो इतने सशक्त लोगों को जन्म देती है.

पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित: 11 मार्च 2019 को किसान चाची को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित किया (Padma Shri Award Rajkumari Devi ) गया. किसान चाची ने बताया कि जब उस शुरुआती दौर में वह अपना अचार बनाकर साइकिल से अपने घर से 30 से 40 किलोमीटर की दूरी पर अचार बेचने जाया करती थी तो समाज के लोग मुझे हीन भावना से भी देखा करते थे, लेकिन आज वही समाज के लोग मुझे काफी इज्जत देते हैं.

जेपी नड्डा ने की तारीफ : 2020 सितंबर में जब बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा बिहार दौरे के दौरान मुजफ्फरपुर पहुंचे थे. अब उन्होंने अपने दौरे से समय निकालकर किसान चाची के नाम से मशहूर पद्मश्री राजकुमारी देवी से मुलाकात की. इस मुलाकात के बाद राजकुमारी देवी बेहद खुश और उत्साहित दिखाई दीं. मुलाकात के बाद ईटीवी भारत से बात करते हुए किसान चाची ने कहा कि सरकार को किसानों के हित में ईमानदारी से काम करने की जरूरत है.

2007 से किसान चाची का नाम मिला : 90 के दशक से खेती करती राजकुमारी देवी बीते दिनों को याद करते हुए कहती हैं कि 1990 से खेती शुरू की. 2006 तक तो राजकुमारी देवी के नाम से ही परिचित थी लेकिन 2007 से किसान चाची का नाम मिला. पद्म पुरस्कार मिलने पर किसान चाची कहती हैं कि यह पुरस्कार सिर्फ मेरा नहीं, बल्कि पूरे बिहार की उपलब्धि है. महिला पुरुष की बंदिशों से उपर उठकर किसान चाची कहती हैं कि अपनी मेहनत और लगन से हासिल की गई यह उपलब्धि बेहद खुशी दे रही है.
ये भी पढ़ें: लेखक दया प्रकाश सिन्हा के खिलाफ पटना में FIR, बिहार BJP अध्यक्ष संजय जायसवाल ने दर्ज करवाया मामला

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पटना: बिहार की किसान चाची आज किसी पहचान की मोहताज नहीं हैं. लाखों महिलाओं की रोल मॉडल हैं. तो चलिए आज आपको किसान चाची की ही कहानी बताते हैं. ये कहानी आपको निजी जीवन में बड़ी से बड़ी कठिनाइयों को झेलने की प्रेरणा देगी. इसके अलावा आपके अंदर एक आत्मविश्वास भी भर देगी. किसान चाची जिनका असली नाम राजकुमारी देवी (Rajkumari Devi ) है. लेकिन आज पूरा देश उन्हें किसान चाची के नाम से जानता है. किसान चाची मूल रूप से मुजफ्फपुर के सरैया प्रखंड के आनंदपुर की रहने वाली हैं. किसान चाची ने महिलाओं के बीच स्वावलंबन की ऐसी अलख जगाई है कि आज पूरे देश में उनके चर्चे हैं.

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गरीब परिवार में हुई थी शादी : मालूम हो कि मुजफ्फरपुर जिले के सरैया प्रखंड की रहने वाली राजकुमारी देवी किसान चाची का जन्म एक शिक्षक के घर में हुआ था. उस समय जल्द ही शादी कर देते थे इसलिए, मैट्रिक पास होते ही 1974 में उनकी शादी एक किसान परिवार में अवधेश कुमार चौधरी से कर दी गई. शादी के बाद वह अपने परिवार के साथ मुजफ्फरपुर जिले के आनंदपुर गांव में रहने लगी.

नहीं हारा हौसला : राजकुमारी शिक्षिका बनना चाहती थी लेकिन परिजनों के विरोध के कारण वह ऐसा नहीं कर सकी. किसान चाची के जीवन का सफ़र काफी कठिन रहा है. सबसे पहले तो शादी के बाद पहले संतान न होने का तंज झेला. उसके बाद बेटियां होने पर समाज के ताने झेलने को मिले और एक वक्त ऐसा भी आया जब किसान चाची को घर तक से निकाल दिया गया. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी.

इसे भी पढ़ें : कभी साइकिल चलाकर 30-40 किलोमीटर दूर अचार बेचने जाती थीं 'किसान चाची'

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आचार से की शुरुआत : 'किसान चाची' को काफी पारिवारिक और सामाजिक बाधाओं का भी सामना करना पड़ा. इस दौरान कई अपने दूर हो गए तो कई ने साथ छोड़ दिया, लेकिन वो हार नहीं मानीं. उस दौर में भी किसान चाची साइकल से अपना अचार लेकर गांव-गांव घूमकर बेचा करती थीं. कई तरह के ताने भी सुने और आखिरकार अपने दम पर अपनी पहचान बनाई.

इलाके की महिलाओं को जोड़ा : 1990 से किसान चाची ने परंपरागत तरीके से खेती करते हुए बाद में वैज्ञनिक तरीके को अपनाकर अपने खेती-बाड़ी को उन्नत किया. इसके बाद वो कई तरह के अचार बनाने की शुरुआत की. साल 2000 से उन्होंने घर से ही अचार बनाना शुरू किया, जो आज किसान चाची का अचार के नाम से पूरे देश विदेशों में प्रसिद्ध हैं. शुरुआती दौर में किसान चाची ने आस-पास की महिलाओं के साथ जुड़कर खेती उपज से कई तरह के अचार जैसे मिर्च, बेल, निम्बू, आम और आंवला के आचार को बाजार में बेचना शुरू किया.

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किसानश्री सम्मान : अब तक किसान चाची के मेहनत के चर्चे अफसरों तक पहुंचने लगे थे. जब 2007 में यह कहानी बिहार सरकार तक पहुंची बिहार सरकार द्वारा किसान चाची को किसानश्री सम्मान मिला. यहीं से राजकुमारी देवी किसान चाची के नाम से फेमस हो गईं. किसान चाची ने देश के कई राज्यों में किसान महोत्सवों में अपने स्टॉल लगाए. उनकी सफलता कि कहानी अब पूरे देश को पता चल चुकी है और यही वजह है कि आज बिहार के सीएम से लेकर देश के पीएम और राष्ट्रपति तक किसान चाची की तारीफे करते हैं.

नरेंद्र मोदी से मुलाकात : जब किसान चाची 2013 के शिल्प मेले में गुजरात गई थीं. वहीं उनकी मुलाकात पीएम नरेंद्र मोदी से हुई. नरेंद्र मोदी उस समय गुजरात के तत्कालीन सीएम थे. बाद में जब वह पीएम बने तो भी किसान चाची उन्हें याद रहीं. यही वजह है कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा पिछले दिनों किसान चाची से मिलने पहुंचे थे. किसान चाची ने वर्षों तक मेहनत करके बिहार समेत देश भर की बेटियों और महिलाओं को एक रास्ता दिया है, जो तमाम मुश्किलों से आपको निकाल सफलता के रास्ते पर ले जा सकता है.

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लालू प्रसाद ने किया था पुरस्कृत : 1990 से राजकुमारी देवी खेती करती आ रही हैं. सबसे पहले 2003 में किसान चाची को कृषि मेला के दौरान लालू प्रसाद यादव ने पुरस्कृत किया था. 2007 में किसान श्री का सामान मिला. किसान चाची के अचार की महानायक अमिताभ बच्चन ने भी तारीफ कर चुके हैं. किसान चाची को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से लेकर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी सम्मानित कर चुके हैं.

केबीसी पहुंची किसान चाची : उनकी मेहनत के चर्चे टेलीविजन की दुनिया तक भी पहुंची और महानायक अमिताभ बच्चन ने जब किसान चाची का किस्सा सुना तो उन्हें उनके फेमस शो “कौन बनेगा करोड़पति” में बुलाया गया और इस प्रोग्राम में किसान चाची ने अमिताभ बच्चन को अपनी कहानी सुनाई थी. केबीसी के प्लेटफॉर्म से ही इस कहानी को पूरे देश ने जाना. ये बिहार की मिट्टी का ही कमाल है जो इतने सशक्त लोगों को जन्म देती है.

पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित: 11 मार्च 2019 को किसान चाची को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित किया (Padma Shri Award Rajkumari Devi ) गया. किसान चाची ने बताया कि जब उस शुरुआती दौर में वह अपना अचार बनाकर साइकिल से अपने घर से 30 से 40 किलोमीटर की दूरी पर अचार बेचने जाया करती थी तो समाज के लोग मुझे हीन भावना से भी देखा करते थे, लेकिन आज वही समाज के लोग मुझे काफी इज्जत देते हैं.

जेपी नड्डा ने की तारीफ : 2020 सितंबर में जब बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा बिहार दौरे के दौरान मुजफ्फरपुर पहुंचे थे. अब उन्होंने अपने दौरे से समय निकालकर किसान चाची के नाम से मशहूर पद्मश्री राजकुमारी देवी से मुलाकात की. इस मुलाकात के बाद राजकुमारी देवी बेहद खुश और उत्साहित दिखाई दीं. मुलाकात के बाद ईटीवी भारत से बात करते हुए किसान चाची ने कहा कि सरकार को किसानों के हित में ईमानदारी से काम करने की जरूरत है.

2007 से किसान चाची का नाम मिला : 90 के दशक से खेती करती राजकुमारी देवी बीते दिनों को याद करते हुए कहती हैं कि 1990 से खेती शुरू की. 2006 तक तो राजकुमारी देवी के नाम से ही परिचित थी लेकिन 2007 से किसान चाची का नाम मिला. पद्म पुरस्कार मिलने पर किसान चाची कहती हैं कि यह पुरस्कार सिर्फ मेरा नहीं, बल्कि पूरे बिहार की उपलब्धि है. महिला पुरुष की बंदिशों से उपर उठकर किसान चाची कहती हैं कि अपनी मेहनत और लगन से हासिल की गई यह उपलब्धि बेहद खुशी दे रही है.
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