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IIT पटना की एक और उपलब्धि! कार्य लायक ऊर्जा खुद जनरेट कर.. बची बिजली को बिहार सरकार को बेच रहा संस्थान

स्टडी और प्लेसमेंट के क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाने वाले आईआईटी पटना ने एक और माइलस्टोन हासिल किया है. दरअसल, आईआईटी पटना की सोलर ऊर्जा के क्षेत्र में पहल (IIT Patna great initiative in Solar Energy field) देखने को मिली है. आईआईटी पटना ने अपने दम पर एक ऐसी उपलब्धि हासिल की है, जो कि तारीफ के काबिल है. वो अपने कार्य लायक ऊर्जा खुद ही जनरेट कर रहे हैं. साथ ही जो ऊर्जा बच रही है, उसे बिहार सरकार को बेच भी रहे हैं. पढ़ें ये रिपोर्ट..

आईआईटी पटना की सोलर ऊर्जा के क्षेत्र में पहल
आईआईटी पटना की सोलर ऊर्जा के क्षेत्र में पहल
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Published : Apr 28, 2022, 7:38 PM IST

पटना: सोलर ऊर्जा के क्षेत्र में आईआईटी पटना की बड़ी उपलब्धि (IIT Patna big achievement in solar energy field) देखने को मिली है. दरअसल, आईआईटी पटना की 9 बिल्डिंग को सोलर प्लेट से पूरी तरह से आच्छादित कर दिया गया है. इस सोलर प्लेट से प्राप्त होने वाली बिजली से आईआईटी पटना की सारे इक्विपमेंट, एसी और दैनिक कार्यों में काम करने वाले विद्युत चालित यंत्र ऑपरेट होते हैं. इन सोलर प्लेट की बदौलत आईआईटी पटना (IIT Patna) पिछले 3 सालों से प्रतिवर्ष औसतन 30 लाख रुपए सालाना बिजली के बिल की बचत कर रहा है. ऐसा करने वाला पटना आईआईटी सम्भवतः पहला आईआईटी संस्थान है.

ये भी पढ़ें- वाह क्या बात है! बिहार का पहला फ्लोटिंग सोलर पावर प्लांट बनकर तैयार, नीचे पलेगी मछली, ऊपर बनेगी बिजली



5000 स्क्वॉयर फीट में लगाए सोलर प्लेट: आईआईटी पटना के चीफ एक्जीक्यूटिव इंजीनियर अनिल वर्मा बताते हैं कि संस्थान के एकेडमिक एचआर बिल्डिंग, फूड कोर्ट, गर्ल्स एंड बॉयज हॉस्टल और हॉस्पिटल की बिल्डिंग पर पूरी तरीके से सोलर प्लेट लगा दी गई है. इन सभी एरिया को मिलाकर देखा जाए तो तकरीबन 5000 स्क्वॉयर फीट में सोलर प्लेट लगाए गए हैं. दरअसल, 2017 में इस प्रोजेक्ट को शुरू किया गया था और 2019 में इसे पूरा किया गया. इन प्लेट्स को भारतीय सौर ऊर्जा निगम द्वारा सूर्यम कंपनी द्वारा लगाया गया है. ये पलेट्स रेसको मॉडल पर आधारित हैं. यानी प्लेट्स कंपनी द्वारा लगाए गए हैं और जगह आईआईटी पटना ने उपलब्ध कराया है.

''देश के सभी आईआईटी में आईआईटी पटना संभवतः पहला ऐसा संस्थान है, जहां सोलर प्लेट के माध्यम से एक मेगावाट बिजली का प्रोडक्ट किया जाता है. 2019 में 12, 11,209 यूनिट, 2020 में 12,15,140 यूनिट और 2021 में 11,32,155 यूनिट बिजली का उत्पादन इन सोलर प्लेट के माध्यम से किया गया है. इस प्रकार 2019 में 33 लाख, 2020 में 33 लाख और 2021 में 31 लाख रुपये सलाना बिजली बिल की बचत आईआईटी पटना को हुई है.''- अनिल वर्मा, चीफ एक्जीक्यूटिव इंजीनियर, आईआईटी पटना

बिहार सरकार को बेच देते हैं बची बिजली: अनिल वर्मा ने बताया कि इन सोलर प्लेट से मिलने वाली ऊर्जा से संस्थान अपना सारा काम करता है और जो ऊर्जा बच जाती है उसे बिहार सरकार को बेच दिया जाता है. इसकी मॉनिटरिंग के लिए विशेष रूप से NET मीटर लगाया गया है. इससे बिजली प्रोडक्शन, बिजली के बिल और बिहार सरकार को सप्लाई होने वाली ऊर्जा का पूरा विवरण प्राप्त हो जाता है. इन सोलर प्लेट की क्षमता में और वृद्धि होना है और उन संस्थान की कई अन्य इमारतों पर इन प्लेट को लगाना है. उद्देश्य यही है कि अक्षय ऊर्जा के दम पर आईआईटी पटना अपनी ऊर्जा को खुद ही प्रोडक्ट करे.

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पटना: सोलर ऊर्जा के क्षेत्र में आईआईटी पटना की बड़ी उपलब्धि (IIT Patna big achievement in solar energy field) देखने को मिली है. दरअसल, आईआईटी पटना की 9 बिल्डिंग को सोलर प्लेट से पूरी तरह से आच्छादित कर दिया गया है. इस सोलर प्लेट से प्राप्त होने वाली बिजली से आईआईटी पटना की सारे इक्विपमेंट, एसी और दैनिक कार्यों में काम करने वाले विद्युत चालित यंत्र ऑपरेट होते हैं. इन सोलर प्लेट की बदौलत आईआईटी पटना (IIT Patna) पिछले 3 सालों से प्रतिवर्ष औसतन 30 लाख रुपए सालाना बिजली के बिल की बचत कर रहा है. ऐसा करने वाला पटना आईआईटी सम्भवतः पहला आईआईटी संस्थान है.

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5000 स्क्वॉयर फीट में लगाए सोलर प्लेट: आईआईटी पटना के चीफ एक्जीक्यूटिव इंजीनियर अनिल वर्मा बताते हैं कि संस्थान के एकेडमिक एचआर बिल्डिंग, फूड कोर्ट, गर्ल्स एंड बॉयज हॉस्टल और हॉस्पिटल की बिल्डिंग पर पूरी तरीके से सोलर प्लेट लगा दी गई है. इन सभी एरिया को मिलाकर देखा जाए तो तकरीबन 5000 स्क्वॉयर फीट में सोलर प्लेट लगाए गए हैं. दरअसल, 2017 में इस प्रोजेक्ट को शुरू किया गया था और 2019 में इसे पूरा किया गया. इन प्लेट्स को भारतीय सौर ऊर्जा निगम द्वारा सूर्यम कंपनी द्वारा लगाया गया है. ये पलेट्स रेसको मॉडल पर आधारित हैं. यानी प्लेट्स कंपनी द्वारा लगाए गए हैं और जगह आईआईटी पटना ने उपलब्ध कराया है.

''देश के सभी आईआईटी में आईआईटी पटना संभवतः पहला ऐसा संस्थान है, जहां सोलर प्लेट के माध्यम से एक मेगावाट बिजली का प्रोडक्ट किया जाता है. 2019 में 12, 11,209 यूनिट, 2020 में 12,15,140 यूनिट और 2021 में 11,32,155 यूनिट बिजली का उत्पादन इन सोलर प्लेट के माध्यम से किया गया है. इस प्रकार 2019 में 33 लाख, 2020 में 33 लाख और 2021 में 31 लाख रुपये सलाना बिजली बिल की बचत आईआईटी पटना को हुई है.''- अनिल वर्मा, चीफ एक्जीक्यूटिव इंजीनियर, आईआईटी पटना

बिहार सरकार को बेच देते हैं बची बिजली: अनिल वर्मा ने बताया कि इन सोलर प्लेट से मिलने वाली ऊर्जा से संस्थान अपना सारा काम करता है और जो ऊर्जा बच जाती है उसे बिहार सरकार को बेच दिया जाता है. इसकी मॉनिटरिंग के लिए विशेष रूप से NET मीटर लगाया गया है. इससे बिजली प्रोडक्शन, बिजली के बिल और बिहार सरकार को सप्लाई होने वाली ऊर्जा का पूरा विवरण प्राप्त हो जाता है. इन सोलर प्लेट की क्षमता में और वृद्धि होना है और उन संस्थान की कई अन्य इमारतों पर इन प्लेट को लगाना है. उद्देश्य यही है कि अक्षय ऊर्जा के दम पर आईआईटी पटना अपनी ऊर्जा को खुद ही प्रोडक्ट करे.

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