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लॉकडाउन के दौरान हार्ट अटैक के मामलों में लगभग 70 फीसदी तक की कमी - Bihar News

लॉकडाउन के दौरान हार्ट अटैक में लगभग 70 पर्सेंट तक की कमी आई है. इसके अलावा अस्पताल में होने वाली हार्ट सर्जरी में भी गिरावट आई है. इसके बावजूद डॉक्टर कहते हैं कि दिल के मरीजों को अभी बहुत सावधानी बरतने की जरूरत है

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Published : May 14, 2020, 3:14 PM IST

पटना: देश में जारी लॉकडाउन से हर कोई परेशान है. ऐसा लगता है कि इससे हर तरफ नकारात्मकता बढ़ती जा रही है. हालांकि तमाम नकारात्मकता के बीच में एक अच्छी खबर भी है. वो ये कि लॉकडाउन का सीधा फायदा दिल के मरीजों को हो रहा है. विशेषज्ञों के मुताबिक महामारी की शुरुआत के बाद से हार्ट अटैक में लगभग 70 पर्सेंट तक की कमी आई है. इसके अलावा अस्पताल में होने वाली हार्ट सर्जरी में भी गिरावट आई है. आखिर दिल के दौरे की शिकायतें कम होने होने की वजह क्या हैं, इसे समझने से पहले जानते हैं कि हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्‍ट होता क्या है.

क्या होता है हार्ट अटैक?

हार्ट मसल्स में जब ब्लड की सप्लाई किसी कारण से डिस्टर्ब हो जाती है या फिर प्रभावित हो जाती है तो हार्ट अटैक पड़ता है. इस स्थिति में दिल शरीर के दूसरे हिस्सों को ब्लड सप्लाई करता रहता है.

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दिल के मरीजों को सावधानी बरतने की जरूरत

क्‍या होता है कार्डियक अरेस्‍ट?

कार्डियक अरेस्‍ट का मतलब है अचानक दिल का काम करना बंद हो जाना. ये कोई लंबी बीमारी का हिस्‍सा नहीं है. इसलिए ये दिल से जुड़ी बीमारियों में सबसे खतरनाक माना जाता है. आमतौर पर कार्डियक अरेस्ट की समस्या उन्हें ज्यादा होती है जिन्हें पहले एक बार हार्ट अटैक आ चुका है. अब समझिए कि कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान दिल के दौरे की शिकायतें कम होने के क्या कारण हैं.

  • काम से जुड़ा तनाव कम

इसके पीछे मुख्य कारणों में से एक काम का कम तनाव हो सकता है. लॉकडाउन के कारण लोग घर में बंद हैं. वहीं, ज्यादातर लोग घर से काम कर रहे हैं. लोगों को ज्यादा आराम मिलता है. तनाव पहले की तुलना में कम ले रहे हैं. स्मोकिंग और शराब पीना भी कम या बंद है.

  • प्रदूषण में कमी

यह भी एक फैक्ट है कि हार्ट अटैक के पीछे एयर पॉल्यूशन एक कारण होता है. वाहनों से निकलने वाला धुआं दिल के स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है. लॉकडाउन की बदौलत प्रदूषण काफी कम हो गया है.

  • डाइट में सुधार

लॉकडाउन के कारण समय पर खाना खा रहे हैं, विशेष रूप से घर का खाना. रात के खाने के लिए बाहर नहीं जा सकते हैं या कुछ जंक फूड ऑर्डर नहीं कर सकते हैं.

  • जीवनशैली में बदलाव

जीवनशैली में बदलाव से दिल की सेहत बढ़ सकती है. अब जब लॉकडाउन है, घर पर ही हैं तो बोरियत से बचने के लिए या फिर खुद को समय देने के लिए अधिकांश ने योग, एक्सरसाइज और मेडिटेशन जैसी गतिविधियों को दिनचर्या का हिस्सा बनाया है. ये गतिविधियां हृदय स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में मदद करती हैं.

इंदिरा गांधी हृदय रोग संस्थान के निदेशक
इंदिरा गांधी हृदय रोग संस्थान के निदेशक

ऑपरेशन के लिए अस्पताल तैयार

हालांकि इंदिरा गांधी हृदय रोग संस्थान के निदेशक डॉ. अरविंद कुमार कहते हैं कि भले ही मामले पहले से कम सामने आ रहे हैं, लेकिन कोरोना काल में हृदय रोगियों के लिए ये मुश्किल वक्त है. खासकर बुजुर्ग लोगों को विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है. डॉ. अरविंद कुमार ये भी कहते हैं कि अगर किसी मरीज को सर्जरी की ज्यादा जरूरत नहीं हो तो उसे अभी सर्जरी से बचना चाहिए. हालांकि वे कहते हैं कि उनके यहां सर्जरी के लिए सभी संसाधन मौजूद हैं.

ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट

स्थिति गंभीर न हो तो अस्पताल मत जाएं

विशेषज्ञों की मानें तो लॉकडाउन में भले ही सभी अस्पताल खुले हुए हैं और लोग इमरजेंसी की स्थिति में वहां जा भी सकते हैं. लेकिन कोरोना संक्रमण को देखते हुए रेगुलर चेकअप के लिए अभी हॉस्पिटल जाने से बचना चाहिए.

पटना: देश में जारी लॉकडाउन से हर कोई परेशान है. ऐसा लगता है कि इससे हर तरफ नकारात्मकता बढ़ती जा रही है. हालांकि तमाम नकारात्मकता के बीच में एक अच्छी खबर भी है. वो ये कि लॉकडाउन का सीधा फायदा दिल के मरीजों को हो रहा है. विशेषज्ञों के मुताबिक महामारी की शुरुआत के बाद से हार्ट अटैक में लगभग 70 पर्सेंट तक की कमी आई है. इसके अलावा अस्पताल में होने वाली हार्ट सर्जरी में भी गिरावट आई है. आखिर दिल के दौरे की शिकायतें कम होने होने की वजह क्या हैं, इसे समझने से पहले जानते हैं कि हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्‍ट होता क्या है.

क्या होता है हार्ट अटैक?

हार्ट मसल्स में जब ब्लड की सप्लाई किसी कारण से डिस्टर्ब हो जाती है या फिर प्रभावित हो जाती है तो हार्ट अटैक पड़ता है. इस स्थिति में दिल शरीर के दूसरे हिस्सों को ब्लड सप्लाई करता रहता है.

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दिल के मरीजों को सावधानी बरतने की जरूरत

क्‍या होता है कार्डियक अरेस्‍ट?

कार्डियक अरेस्‍ट का मतलब है अचानक दिल का काम करना बंद हो जाना. ये कोई लंबी बीमारी का हिस्‍सा नहीं है. इसलिए ये दिल से जुड़ी बीमारियों में सबसे खतरनाक माना जाता है. आमतौर पर कार्डियक अरेस्ट की समस्या उन्हें ज्यादा होती है जिन्हें पहले एक बार हार्ट अटैक आ चुका है. अब समझिए कि कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान दिल के दौरे की शिकायतें कम होने के क्या कारण हैं.

  • काम से जुड़ा तनाव कम

इसके पीछे मुख्य कारणों में से एक काम का कम तनाव हो सकता है. लॉकडाउन के कारण लोग घर में बंद हैं. वहीं, ज्यादातर लोग घर से काम कर रहे हैं. लोगों को ज्यादा आराम मिलता है. तनाव पहले की तुलना में कम ले रहे हैं. स्मोकिंग और शराब पीना भी कम या बंद है.

  • प्रदूषण में कमी

यह भी एक फैक्ट है कि हार्ट अटैक के पीछे एयर पॉल्यूशन एक कारण होता है. वाहनों से निकलने वाला धुआं दिल के स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है. लॉकडाउन की बदौलत प्रदूषण काफी कम हो गया है.

  • डाइट में सुधार

लॉकडाउन के कारण समय पर खाना खा रहे हैं, विशेष रूप से घर का खाना. रात के खाने के लिए बाहर नहीं जा सकते हैं या कुछ जंक फूड ऑर्डर नहीं कर सकते हैं.

  • जीवनशैली में बदलाव

जीवनशैली में बदलाव से दिल की सेहत बढ़ सकती है. अब जब लॉकडाउन है, घर पर ही हैं तो बोरियत से बचने के लिए या फिर खुद को समय देने के लिए अधिकांश ने योग, एक्सरसाइज और मेडिटेशन जैसी गतिविधियों को दिनचर्या का हिस्सा बनाया है. ये गतिविधियां हृदय स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में मदद करती हैं.

इंदिरा गांधी हृदय रोग संस्थान के निदेशक
इंदिरा गांधी हृदय रोग संस्थान के निदेशक

ऑपरेशन के लिए अस्पताल तैयार

हालांकि इंदिरा गांधी हृदय रोग संस्थान के निदेशक डॉ. अरविंद कुमार कहते हैं कि भले ही मामले पहले से कम सामने आ रहे हैं, लेकिन कोरोना काल में हृदय रोगियों के लिए ये मुश्किल वक्त है. खासकर बुजुर्ग लोगों को विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है. डॉ. अरविंद कुमार ये भी कहते हैं कि अगर किसी मरीज को सर्जरी की ज्यादा जरूरत नहीं हो तो उसे अभी सर्जरी से बचना चाहिए. हालांकि वे कहते हैं कि उनके यहां सर्जरी के लिए सभी संसाधन मौजूद हैं.

ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट

स्थिति गंभीर न हो तो अस्पताल मत जाएं

विशेषज्ञों की मानें तो लॉकडाउन में भले ही सभी अस्पताल खुले हुए हैं और लोग इमरजेंसी की स्थिति में वहां जा भी सकते हैं. लेकिन कोरोना संक्रमण को देखते हुए रेगुलर चेकअप के लिए अभी हॉस्पिटल जाने से बचना चाहिए.

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