पटना: पटना हाइकोर्ट (Patna High Court) में मंगलवार को विनय कुमार सिंह की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई है. चीफ जस्टिस संजय करोल (Chief Justice Sanjay Karol) की खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार और राज्य सरकार को हलफनामा दायर कर प्रगति रिपोर्ट (Progress Report) देने का निर्देश दिया है.
पटना उच्च न्यायालय ने विनय कुमार सिंह की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए टिप्पणी की है कि लोमस और याज्ञवल्क ऋषि की गुफाएं (Caves of Rishi Lomas and Yagvalakya) केवल ऐतिहासिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि जैव विविधता के मद्देनजर भी बेहद महत्वपूर्ण है. ऐसे स्थानों को संरक्षित करने की बजाए समाप्त किया जा रहा है, इसकी परवाह न तो केंद्र सरकार को है और न ही राज्य सरकार को है.
इन पहाड़ के जंगल और आसपास होने वाले खनन (Mining) कार्य पर पटना हाईकोर्ट ने 20 जुलाई 2021 को रोक लगा दी थी. इस रोक को अगली सुनवाई तक जारी रखने का कोर्ट ने निर्देश दिया था. सुनवाई के दौरान कुछ लोगों ने हस्तक्षेप अर्जी के जरिये खनन कार्य पर से रोक हटाने की गुहार लगायी थी, जिसे हाोइर्ट ने खारिज कर दिया है.
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याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट को बताया कि 1906 में छपी तत्कालीन गया जिले के गजट में दोनों पहाड़ियों का सिर्फ पुरातात्विक महत्त्व ही नहीं हैं, बल्कि वहां की जैव विविधता के बारे में भी अंग्रजों ने लिखा है. उन पहाड़ियों के 500 मीटर के दायरे में झरना, बरसाती नदी और एक फैला हुआ वन क्षेत्र है. उस जंगल को अवैध खनन कर बर्बाद किया जा रहा है.
लोमस और याज्ञवल्क पहाड़ियों को आर्कियोलॉजिकल और हेरिटेज साइट (Archaeological and Heritage Site) बनाने का कोर्ट से आग्रह किया गया. कोर्ट ने दोनों पहाड़ियों के वन क्षेत्र विस्तार और रिहाइशी बस्तियों के बिंदु पर राज्य और केंद्र सरकार से जवाब मांगा था, लेकिन केंद्र सरकार की तरफ से कोई जवाब नहीं आया. इस मामले पर अगली सुनवाई अब 15 नवंबर 2021 को होगी.