पटना: पटना हाईकोर्ट ने बिहार नगरपालिका एक्ट, 2007 के मार्च, 2021 में राज्य सरकार द्वारा किए गए संशोधन की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित (Hearing Completed In HC Regarding BMA 2007) रख लिया है. चीफ जस्टिस संजय करोल (Chief Justice Sanjay Karol) की डिवीजन बेंच डा आशीष कुमार सिन्हा व अन्य की याचिकाओं पर सभी पक्षों की लम्बी सुनवाई करने के बाद फैसला सुरक्षित रखा. यह मामला नगरपालिका में संवर्ग की स्वायत्तता से जुड़ा हुआ है. कोर्ट को अधिवक्ता मयूरी ने बताया कि इस संशोधन के तहत नियुक्ति और तबादला को सशक्त स्थाई समिति में निहित अधिकार को ले लिया गया है. यह अधिकार अब राज्य सरकार में निहित हो गया है.
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बिहार नगरपालिका एक्ट 2007 को लेकर HC में सुनवाई : याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता मयूरी ने कोर्ट को बताया था कि अन्य सभी राज्यों में नगर निगम के कर्मियों की नियुक्ति नियमानुसार निगम द्वारा ही की जाती है. उनका कहना था कि नगर निगम एक स्वायत्त निकाय है, इसलिए इसे दैनिक क्रियाकलापों में स्वयं काम करने देना चाहिए.
सुनवाई के बाद HC ने फैसला सुरक्षित रखा : कोर्ट को आगे यह भी बताया गया की चेप्टर 5 में दिए गए प्रावधान के मुताबिक निगम में ए और बी कैटेगरी में नियुक्ति का अधिकार राज्य सरकार को है. जबकि सी और डी कैटेगरी में नियुक्ति के मामले में निगम को बहुत थोड़ा सा नियंत्रण दिया गया है. 31 मार्च को किये गए संशोधन से सी और डी कैटेगरी के मामले में भी निगम के ये सीमित अधिकार को भी मनमाने ढंग से ले लिया गया है.