पटना: बिहार विधानसभा में स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने भी माना कि सूबे में डॉक्टरों की कमी (Shortage of Doctors in Bihar) है. साथ ही उन्होंने दावा किया कि सरकार लगातार इस कमी को दूर करने में लगी है. स्वास्थ्य मंत्री ने कहा राज्य में कैंसर के इलाज के लिए आईजीआईएमएस पटना, एसकेएमसीएच परिसर में होमी भाभा कैंसर रिसर्च इंस्टीट्यूट और महावीर कैंसर संस्थान पटना में व्यवस्था है. इसके अलावा मुख्यमंत्री चिकित्सा सहायता कोष से कैंसर पीड़ितों के उपचार के लिए राशि उपलब्ध कराई जा रही है.
विधानसभा में प्रश्नकाल में स्वास्थ्य विभाग के कई प्रश्न पूछे गये. कांग्रेस के अजीत शर्मा की ओर से कैंसर इलाज को लेकर सवाल पूछा गया था. कांग्रेस विधायक ने कहा कि आधुनिक अस्पताल नहीं होने के कारण 20% मरीज एम्स दिल्ली और 70% टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल मुंबई में इलाज कराने के लिए जाते हैं. स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने इसका विस्तृत जवाब दिया. उन्होंने बताया कि नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम रिपोर्ट 2020 के अनुसार 103711 लोगों के कैंसर रोग से ग्रसित होने की संभावना व्यक्त बिहार में की गई है.
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मंगल पांडे ने यह भी कहा कि 30 वर्ष से अधिक आयु के सभी लोगों की डोर टू डोर स्क्रीनिंग की जाती है. नेशनल प्रोग्राम फॉर प्रीवेंशन एंड कंट्रोल ऑफ कैंसर डायबिटीज कार्डियोवैस्कुलर डिजीज एंड स्ट्रोक कार्यक्रम के तहत स्क्रीनिंग के क्रम में 4 वर्षों में मुख कैंसर के 1513280 स्तन कैंसर के 689927 और गर्भाशय कैंसर के 329660 लोगों की स्क्रीनिंग की गई है. हालांकि कितने लोग बाहर इलाज कराने के लिए जाते हैं, इसका कोई आंकड़ा नहीं दिया.
मंगल पांडे ने कहा कि राज्य में कैंसर के उपचार की सुविधा आईजीआईएमएस पटना में 138 करोड़ की लागत से विकसित किए गए कैंसर अस्पताल में है. इसके अलावा एसकेएमसीएच परिसर में होमी भाभा कैंसर रिसर्च इंस्टीट्यूट में इलाज की व्यवस्था है. साथ ही महावीर कैंसर संस्थान पटना में भी इलाज हो रहा है. इसके साथ मुख्यमंत्री चिकित्सा सहायता कोष से कैंसर पीड़ितों के उपचार के लिए राशि भी उपलब्ध कराई जाती है. मंगल पांडे ने कहा कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत 2022-23 में राज्य के चिह्नित पटना, मुजफ्फरपुर, गया, दरभंगा, भागलपुर और पूर्णिया में कीमो थेरेपी यूनिट की स्थापना करने के लिए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार से बजट की मांग की गई है.
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वर्तमान में बिहार में राज्य के 14 जिलों औरंगाबाद, बेगूसराय, भागलपुर, भोजपुर, दरभंगा, गया, मधुबनी, मुजफ्फरपुर, नालंदा, पटना, समस्तीपुर, सिवान, सुपौल और वैशाली में टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल मुजफ्फरपुर के सहयोग से तीनों प्रकार के समान कैंसर की स्क्रीनिंग प्रारंभिक जांच एवं उससे बचाव के लिए जागरुकता उत्पन्न करने का कार्य किया जा रहा है. आरजेडी की विधायक अनीता देवी ने ही हीमोफीलिया के उपचार में उपयोग होने वाले फेक्टर 9 इंजेक्शन की कमी का सवाल किया था.
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा हिमोफीलिया के उपचार के लिए फेक्टर-8 और फेक्टर-9 बीएमसी आईसीएल में उपलब्ध है. यह लिस्ट ऑफिस एनसीआर में शामिल है. फेक्टर-8 24047 वायल और फेक्टर-9 1830 जिलों को आपूर्ति भी की गई है. इसके अलावा पर्याप्त मात्रा में बीएमसी आईसीएल में इसकी उपलब्धता भी है. कई सदस्यों ने अनुमंडलीय अस्पताल और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों की स्थिति को लेकर भी सवाल किया था. सत्ता पक्ष के सदस्यों ने भी कहा कि डॉक्टरों की कमी है लेकिन सरकार 5 से 6 महीने में भरने की कोशिश करेगी.
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स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने भी माना कि 49% डॉक्टरों की कमी अभी बिहार में है. हम लोग लगातार कोशिश कर रहे हैं. डॉक्टरों की नियुक्ति भी बड़े पैमाने पर की गई है और यह प्रक्रिया चलेगी. बिहार में मेडिकल कॉलेजों की संख्या भी लगातार बढ़ाई जा रही है. आने वाले 4 साल में बिहार में कुल 24 मेडिकल कॉलेज हो जाएंगे.
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