पटना: राजनीतिक विचारों का नहीं मिलना आम बात है लेकिन विचारों का टकराव जब परिवार के ही बीच में होने लगे तो इसे अच्छा नहीं माना जाता. फिलहाल कुछ ऐसा ही देखने को मिल रहा है राजद में जहां नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Leader of Opposition Tejashwi Yadav) और उनके बड़े भाई विधायक तेजप्रताप यादव के बीच में राजनीतिक विचारों का तालमेल नहीं बैठ पा रहा है. बात चाहे राज्यसभा में उम्मीदवार की घोषणा की हो या फिर संसदीय बोर्ड की बैठक में तेजस्वी के आने की. राजद परिवार में इन दोनों ही मसलों पर बिखराव देखने को मिल रहा है. यह बिखराव राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के लिए बड़ी चुनौती (Challenge for Lalu Prasad Yadav) बन सकती है.
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तेजस्वी के नहीं आने से अटकलें तेज: दरअसल, परिवार में बिखराव उस वक्त खुल के देखने को मिला, जब मंगलवार को पार्टी के प्रदेश कार्यालय में संसदीय बोर्ड की बैठक में सुबह से ही नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के आने की बात कही जा रही थी. खुद पार्टी के कई वरिष्ठ नेता इस बात की तस्दीक कर रहे थे कि तेजस्वी बैठक में जरूर शामिल होंगे. तेज प्रताप और तेजस्वी दोनों एक साथ अपनी मां राबड़ी देवी के 10 सर्कुलर रोड स्थित आवास पर थे लेकिन बैठक में तेजस्वी को छोड़कर बाकी सभी आए. तेजस्वी के नहीं आने से अटकलों का बाजार गर्म हो गया.
पार्टी का प्रमुख चेहरा हैं तेजस्वी: राजद के एक वरिष्ठ नेता नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा कि परिवार में कई मसलों पर असहमति है. जाहिर सी बात है, यह इन दोनों भाइयों के बीच भी है. तेजस्वी के बैठक में नहीं आने फैसले पर उनका कहना था कि यह ठीक है कि तेजस्वी को लंदन निकलना था लेकिन यह संसदीय बोर्ड की बैठक थी. यह काफी अहम बैठक थी. तेजस्वी यादव केवल 5 मिनट के लिए भी अगर चले आते तो राजनीतिक हलकों से लेकर पार्टी में एक अलग संदेश चला जाता. क्योंकि तेजस्वी न केवल नेता प्रतिपक्ष हैं बल्कि प्रदेश के एक प्रमुख परिवार के प्रमुख चेहरे भी हैं. वह कुछ भी करते हैं, कोई भी कदम उठाते हैं तो इसका सीधा असर पार्टी से लेकर समर्थकों और कार्यकर्ताओं पर पड़ता है. वह केवल छोटा सा संदेश देकर भी चले जाते तो अलग बात होती.
वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय का कहना है कि तेजस्वी यादव का दिल्ली से आना और पार्टी की अहम बैठक में शामिल न होना, इस बैठक से जगदानंद सिंह का निकलना. इससे पार्टी के अंदर कहीं ना कहीं कोई कुछ संकेत तो जरूर दिखाई पड़ता है कि सब कुछ ऑल इज नॉट वेल. यह एकदम क्लियर है और समीकरण के अनुसार राजद के कोटे से राज्यसभा में 2 सीटें तय हैं. ऐसे में मीसा भारती तो स्वभाविक तौर पर रिटेन होंगी क्योंकि वह उसी परिवार से हैं. वह लालू प्रसाद की बड़ी बेटी भी है और दिल्ली में लालू प्रसाद उन्हीं के यहां रह कर अपना इलाज भी करवा रहे हैं. ऐसे में मीसा भारती के पक्ष में सब कुछ अनुकूल है लेकिन जो दूसरी सीट है, वह बहुत ही अहम है. इस सीट पर परिवार के अंदर ही उलझन और पेंच फंसी हुई दिख रही है. इसी वजह से तेजस्वी संसदीय बोर्ड की बैठक में नहीं आए.
तेजस्वी का नहीं आना 'ऑल इज नॉट वेल': लंबे वक्त के बाद राबड़ी देवी खुद चेयर पर बैठीं. उन्होंने मीटिंग ली. तेज प्रताप वहां थे. मीसा भारती भी थीं. ऐसे वक्त में तेजस्वी का नहीं आना, कहीं न कहीं ऑल इज नॉट वेल को दिखा रहा है. यह लालू प्रसाद के लिए निश्चित तौर पर एक बड़ी चुनौती है लेकिन यह बात भी ठीक है कि लालू प्रसाद पहले भी पार्टी के उम्मीदवार के चयन के लिए अधिकृत हुआ करते थे. इस बार भी उनको अधिकृत कर दिया गया है. ऐसे में लालू प्रसाद यादव पर ही है वे इस मसले से निपटते हैं.
'लालू प्रसाद स्वाभाविक तौर पर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. उन्हीं को तय करना है. यह तो एक खानापूर्ति है जो हमारे और आपके मीडिया कर्मियों के लिए है. अंदर खाने सब कुछ सही नहीं है. यह बात भी है कि वह पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और उनकी बात को कोई नहीं कटेगा. लालू प्रसाद पार्टी के एकमात्र ऐसे सर्वमान्य नेता है जो अगर कुछ कहेंगे तो पार्टी में कोई नहीं काटेगा. इसीलिए उनको अधिकृत कर दिया गया है पेंच फंसी हुई है. लालू प्रसाद इससे पहले भी इससे विषम परिस्थितियों से बाहर निकले हैं. लालू प्रसाद माहिर खिलाड़ी माने जाते हैं. वह इस मसले काे सुलझा कर लेंगे.'-रवि उपाध्याय, वरिष्ठ पत्रकार
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