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बिहार में कार्यपालिका Vs विधायिकाः नीतीश को अधिकारियों पर भरोसा, नहीं सुनते मंत्रियों की शिकायत

आरजेडी कोटे के पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह इन दिनों चर्चा में हैं. सुधाकर सिंह कृषि विभाग के प्रधान सचिव को हटाना चाहते थे लेकिन उसके लिए नीतीश कुमार तैयार नहीं हुए और अंत में सुधाकर सिंह को इस्तीफा देना पड़ा. यह कोई पहला मामला नहीं है. इससे पहले भी कई मंत्रियों ने समय समय पर नीतीश कुमार पर ये आरोप लगाये हैं. यहां हम आपको उन मंत्रियाें व विधायकों के बारे में बताएंगे जिनका अफसर से टकराव हुआ था. (Bureaucracy dominates in Bihar)

नीतीश को अधिकारियों पर भरोसा
नीतीश को अधिकारियों पर भरोसा
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Published : Oct 3, 2022, 7:11 PM IST

पटना: बिहार में नीतीश कुमार पिछले 15 साल से भी अधिक समय से सरकार चला रहे हैं. उन पर लंबे समय से यह आरोप लगता रहा है कि वे अधिकारियों के भरोसे ही सरकार चलाते हैं (Bureaucracy dominates in Bihar). मंत्रियों की या फिर विधायकों की नहीं सुनते हैं. मंत्री शिकायत भी करते हैं तो नीतीश कुमार अपने अधिकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं करते. ताजा मामला पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह का है.

इसे भी पढ़ेंः जनता दरबार में भी मुख्यमंत्री और कृषि मंत्री के बीच बनी रही दूरियां, सुधाकर सिंह ने बतायी ये वजह

पहले भी मंत्रियों ने जतायी थी नाराजगीः आरजेडी कोटे से कृषि मंत्री बनाए गए सुधाकर सिंह शुरू से अपने अधिकारियों के खिलाफ मोर्चा खोल रखा था. वे प्रधान सचिव को हटाने पर अड़े थे, लेकिन नीतीश कुमार नहीं माने. यहां तक कि प्रधान सचिव को सबसे बेहतर अधिकारी तक कह दिया था. अंत में सुधाकर सिंह को इस्तीफा देना पड़ा (Former minister Sudhakar Singh controversy). इससे पहले भी अधिकारियों को लेकर कई मंत्रियों ने नाराजगी जाहिर की है. एनडीए सरकार में जदयू कोटे के मंत्री मदन साहनी ने भी अधिकारियों को लेकर नाराजगी जताते हुए इस्तीफा देने तक की बात कह दी थी. हालांकि मामले को सलटा लिया गया. लेकिन इस मामले में भी किसी अधिकारी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. उस समय के नेता विरोधी दल तेजस्वी यादव ने आरोप लगाया था कि बिहार में अफसरशाही हावी है. मंत्री से लेकर जनता परेशान है.

इसे भी पढ़ेंः 'जब मंत्री का स्वतंत्र अस्तित्व नहीं, तो विभाग चलाने से क्या फायदा', ट्रांसफर पोस्टिंग पर रोक से भड़के रामसूरत

बीजेपी के मंत्रियों ने लगाया था आरोपः जदयू के मंत्री महेश्वर हजारी का विवाद मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव चंचल कुमार से हो गया था. महेश्वर हजारी भवन निर्माण विभाग के मंत्री थे. उनका विभाग बदल दिया गया. उससे पहले भीम सिंह का मंत्रालय भी अधिकारियों से पंगा लेने के कारण बदला गया था. ऐसे कई उदाहरण है और पिछले एनडीए सरकार में तो बीजेपी के कई मंत्रियों ने अफसरशाही का आरोप लगाया था. रामसूरत राय, जनक राम, जीवेश मिश्रा और बीआईपी के मंत्री मुकेश सहनी इसके कुछ उदाहरण हैं. एनडीए सरकार के रहते बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने भी कई बार अधिकारियों की मनमानी को लेकर नीतीश कुमार पर आरोप लगाए थे (Bureaucracy dominates in Bihar).

इसे भी पढ़ेंः नीतीश के एक और मंत्री ने 'फोड़ा बम', कहा- मनमानी करते हैं अधिकारी


अफसरों के साथ सांठगांठः बीजेपी प्रवक्ता विनोद शर्मा का कहना है नीतीश कुमार जब से सत्ता में आए हैं, उन पर अफसरशाही का आरोप लगता रहा है. सच्चाई है कि मुख्यमंत्री अफसरों के चंगुल से बाहर नहीं निकल पाते हैं. उसके कारण मंत्रियों और जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा करते रहे हैं और उनकी शिकायत पर कोई सुनवाई नहीं करते हैं जरूरत पड़ने पर मंत्रियों को ही इधर से उधर करते रहे हैं. पहले भीम सिंह के साथ भी हुआ अब सुधाकर सिंह को इस्तीफा देना पड़ा है. तो अफसरों के साथ क्या सांठगांठ है यह तो नीतीश कुमार ही बता सकते हैं. लेकिन अफसरशाही के कारण राज्य का कितना भला होना चाहिए नहीं हो सका.

इसे भी पढ़ेंः नीतीश ने अपने मंत्री को मिलने का नहीं दिया वक्त, तो लालू से मुलाकात के लिए पहुंचे दिल्ली

गुड गवर्नेंस के दम पर कानून का राज स्थापित कियाः जदयू के नेता अफसरशाही के लग रहे आरोपों पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का बचाव कर रहे हैं. जदयू प्रवक्ता अभिषेक झा का कहना है नीतीश कुमार बिहार में गुड गवर्नेंस के दम पर कानून का राज स्थापित किया है. यहां अधिकारियों को काम करने की छूट है, लेकिन यदि कोई गड़बड़ी करते हैं तो उस पर कार्रवाई भी होती है. जब से बीजेपी के लोग सत्ता से अलग हुए हैं बयानबाजी कर रहे हैं. जब साथ थे तो विकास पुरुष बताते थे लेकिन अब विरोध में जब गए हैं तो अफसरों पर दबाव देकर सोचते हैं गलत काम करवा लेंगे.

इसे भी पढ़ेंः मेरे विभागों में नहीं अधिकारियों की मनमानी, लोकतंत्र में अफसरशाही की जगह नहीं: जीवेश मिश्रा


बिहार में अफसरशाही हावी हैः राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय का कहना है कि बिहार में अफसरशाही हावी है. यही बात सुधाकर सिंह कहना चाहते थे अपने अधिकारियों को लेकर जिस प्रकार से आरोप लगा रहे थे नीतीश कुमार नहीं सुने और उन्हें इस्तीफा देना पड़ा. इससे पहले भी चाहे मदन सहनी का मामला हो महेश्वर हजारी का मामला हो या बीजेपी के कई मंत्रियों का. आरोप लगाया कि अफसरशाही हावी है और यह सच्चाई है. अब सुधाकर सिंह मामले में सरकार की किरकिरी हो रही थी और इसलिये तेजस्वी यादव ने उनसे इस्तीफा लिया है.

इसे भी पढ़ें: मदन सहनी के इस्तीफा पर बोले RCP, अधिकारियों और मंत्रियों की ट्रेनिंग है जरूरी

"पहले भीम सिंह के साथ भी हुआ अब सुधाकर सिंह को इस्तीफा देना पड़ा है. अफसरों के साथ क्या सांठगांठ है यह तो नीतीश कुमार ही बता सकते हैं. लेकिन अफसरशाही के कारण राज्य का जितना भला होना चाहिए नहीं हो सका"-विनोद शर्मा, प्रवक्ता, बीजेपी

नीतीश कुमार बिहार में गुड गवर्नेंस के दम पर कानून का राज स्थापित किया है. यहां अधिकारियों को काम करने की छूट है, लेकिन यदि कोई गड़बड़ी करते हैं तो उस पर कार्रवाई भी होती है"-अभिषेक झा, प्रवक्ता, जदयू


चुनिंदा अफसरों पर हमेशा विश्वास करतेः नीतीश कुमार ऐसे तो चुनिंदा अफसरों पर हमेशा से विश्वास करते रहे हैं. कुछ अधिकारियों पर मेहरबान भी रहे हैं. एनडीए गठबंधन में रहते हुए भी बीजेपी के वरिष्ठ नेता भी नीतीश कुमार के अधिकारियों से प्रेम को लेकर कई बार आरोप विभिन्न मंचों पर लगा चुके हैं. गठबंधन की सरकार भले ही बदलती रही हो लेकिन नीतीश कुमार पर अफसरशाही को लेकर सहयोगी दलों का भी आरोप कम नहीं हो रहा है. महागठबंधन की सरकार में भी कई मंत्री हैं जो फिलहाल खुलकर तो आरोप नहीं लगा रहे हैं, लेकिन अफसरशाही को लेकर उनकी नाराजगी है. आने वाले समय में यह मामला और तूल पकड़ेगा.

पटना: बिहार में नीतीश कुमार पिछले 15 साल से भी अधिक समय से सरकार चला रहे हैं. उन पर लंबे समय से यह आरोप लगता रहा है कि वे अधिकारियों के भरोसे ही सरकार चलाते हैं (Bureaucracy dominates in Bihar). मंत्रियों की या फिर विधायकों की नहीं सुनते हैं. मंत्री शिकायत भी करते हैं तो नीतीश कुमार अपने अधिकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं करते. ताजा मामला पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह का है.

इसे भी पढ़ेंः जनता दरबार में भी मुख्यमंत्री और कृषि मंत्री के बीच बनी रही दूरियां, सुधाकर सिंह ने बतायी ये वजह

पहले भी मंत्रियों ने जतायी थी नाराजगीः आरजेडी कोटे से कृषि मंत्री बनाए गए सुधाकर सिंह शुरू से अपने अधिकारियों के खिलाफ मोर्चा खोल रखा था. वे प्रधान सचिव को हटाने पर अड़े थे, लेकिन नीतीश कुमार नहीं माने. यहां तक कि प्रधान सचिव को सबसे बेहतर अधिकारी तक कह दिया था. अंत में सुधाकर सिंह को इस्तीफा देना पड़ा (Former minister Sudhakar Singh controversy). इससे पहले भी अधिकारियों को लेकर कई मंत्रियों ने नाराजगी जाहिर की है. एनडीए सरकार में जदयू कोटे के मंत्री मदन साहनी ने भी अधिकारियों को लेकर नाराजगी जताते हुए इस्तीफा देने तक की बात कह दी थी. हालांकि मामले को सलटा लिया गया. लेकिन इस मामले में भी किसी अधिकारी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. उस समय के नेता विरोधी दल तेजस्वी यादव ने आरोप लगाया था कि बिहार में अफसरशाही हावी है. मंत्री से लेकर जनता परेशान है.

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बीजेपी के मंत्रियों ने लगाया था आरोपः जदयू के मंत्री महेश्वर हजारी का विवाद मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव चंचल कुमार से हो गया था. महेश्वर हजारी भवन निर्माण विभाग के मंत्री थे. उनका विभाग बदल दिया गया. उससे पहले भीम सिंह का मंत्रालय भी अधिकारियों से पंगा लेने के कारण बदला गया था. ऐसे कई उदाहरण है और पिछले एनडीए सरकार में तो बीजेपी के कई मंत्रियों ने अफसरशाही का आरोप लगाया था. रामसूरत राय, जनक राम, जीवेश मिश्रा और बीआईपी के मंत्री मुकेश सहनी इसके कुछ उदाहरण हैं. एनडीए सरकार के रहते बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने भी कई बार अधिकारियों की मनमानी को लेकर नीतीश कुमार पर आरोप लगाए थे (Bureaucracy dominates in Bihar).

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अफसरों के साथ सांठगांठः बीजेपी प्रवक्ता विनोद शर्मा का कहना है नीतीश कुमार जब से सत्ता में आए हैं, उन पर अफसरशाही का आरोप लगता रहा है. सच्चाई है कि मुख्यमंत्री अफसरों के चंगुल से बाहर नहीं निकल पाते हैं. उसके कारण मंत्रियों और जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा करते रहे हैं और उनकी शिकायत पर कोई सुनवाई नहीं करते हैं जरूरत पड़ने पर मंत्रियों को ही इधर से उधर करते रहे हैं. पहले भीम सिंह के साथ भी हुआ अब सुधाकर सिंह को इस्तीफा देना पड़ा है. तो अफसरों के साथ क्या सांठगांठ है यह तो नीतीश कुमार ही बता सकते हैं. लेकिन अफसरशाही के कारण राज्य का कितना भला होना चाहिए नहीं हो सका.

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गुड गवर्नेंस के दम पर कानून का राज स्थापित कियाः जदयू के नेता अफसरशाही के लग रहे आरोपों पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का बचाव कर रहे हैं. जदयू प्रवक्ता अभिषेक झा का कहना है नीतीश कुमार बिहार में गुड गवर्नेंस के दम पर कानून का राज स्थापित किया है. यहां अधिकारियों को काम करने की छूट है, लेकिन यदि कोई गड़बड़ी करते हैं तो उस पर कार्रवाई भी होती है. जब से बीजेपी के लोग सत्ता से अलग हुए हैं बयानबाजी कर रहे हैं. जब साथ थे तो विकास पुरुष बताते थे लेकिन अब विरोध में जब गए हैं तो अफसरों पर दबाव देकर सोचते हैं गलत काम करवा लेंगे.

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बिहार में अफसरशाही हावी हैः राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय का कहना है कि बिहार में अफसरशाही हावी है. यही बात सुधाकर सिंह कहना चाहते थे अपने अधिकारियों को लेकर जिस प्रकार से आरोप लगा रहे थे नीतीश कुमार नहीं सुने और उन्हें इस्तीफा देना पड़ा. इससे पहले भी चाहे मदन सहनी का मामला हो महेश्वर हजारी का मामला हो या बीजेपी के कई मंत्रियों का. आरोप लगाया कि अफसरशाही हावी है और यह सच्चाई है. अब सुधाकर सिंह मामले में सरकार की किरकिरी हो रही थी और इसलिये तेजस्वी यादव ने उनसे इस्तीफा लिया है.

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"पहले भीम सिंह के साथ भी हुआ अब सुधाकर सिंह को इस्तीफा देना पड़ा है. अफसरों के साथ क्या सांठगांठ है यह तो नीतीश कुमार ही बता सकते हैं. लेकिन अफसरशाही के कारण राज्य का जितना भला होना चाहिए नहीं हो सका"-विनोद शर्मा, प्रवक्ता, बीजेपी

नीतीश कुमार बिहार में गुड गवर्नेंस के दम पर कानून का राज स्थापित किया है. यहां अधिकारियों को काम करने की छूट है, लेकिन यदि कोई गड़बड़ी करते हैं तो उस पर कार्रवाई भी होती है"-अभिषेक झा, प्रवक्ता, जदयू


चुनिंदा अफसरों पर हमेशा विश्वास करतेः नीतीश कुमार ऐसे तो चुनिंदा अफसरों पर हमेशा से विश्वास करते रहे हैं. कुछ अधिकारियों पर मेहरबान भी रहे हैं. एनडीए गठबंधन में रहते हुए भी बीजेपी के वरिष्ठ नेता भी नीतीश कुमार के अधिकारियों से प्रेम को लेकर कई बार आरोप विभिन्न मंचों पर लगा चुके हैं. गठबंधन की सरकार भले ही बदलती रही हो लेकिन नीतीश कुमार पर अफसरशाही को लेकर सहयोगी दलों का भी आरोप कम नहीं हो रहा है. महागठबंधन की सरकार में भी कई मंत्री हैं जो फिलहाल खुलकर तो आरोप नहीं लगा रहे हैं, लेकिन अफसरशाही को लेकर उनकी नाराजगी है. आने वाले समय में यह मामला और तूल पकड़ेगा.

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