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इस बार खौफ में हैं गणेश के मूर्ति बनाने वाले कारीगर

गणेश महोत्सव दो सितंबर से शुरू होने वाला है. इसके लिए मूर्ति बनाने वाले गणेश जी की छोटी-बड़ी तरह-तरह की मूर्तियों को अंतिम रूप देने में लगे हुए हैं. यह लोग मिट्टी में प्लास्टर ऑफ पेरिस मिलाकर मूर्तियां बनाते हैं. प्लास्टर ऑफ पेरिस पर पूरी तरह प्रतिबंध लगने के बाद इनके खाने तक के लाले पड़ जाएंगे.

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Published : Aug 31, 2019, 11:48 PM IST

हाथरस: भगवान की मूर्ति बनाकर लोगों में सुख, समृद्धि और सम्पन्नता की भावना जगाने वाले लोगों का भविष्य भगवान भरोसे है. यह लोग मेहनत करके दो जून की रोटी जैसे-तैसे कमा पाते हैं. हमेशा जगह बदलने की वजह से इनके बच्चों को भी शिक्षा नहीं मिल पाती है. प्लास्टर ऑफ पेरिस पर पूरी तरह प्रतिबंध लगने के बाद इनके खाने तक के लाले पड़ जाएंगे. इनका कहना है यह लोग मिट्टी में प्लास्टर ऑफ पेरिस मिलाकर मूर्तियां बनाकर ही गुजर बसर करते हैं, जो इनकी रोजी-रोटी का एकमात्र साधन है.

20 साल से कर रहे ये काम
मूर्ति बनाने वालों के मुखिया मदन लाल ने बताया कि वह 20 साल से यह काम कर रहे हैं. उनके पूर्वज भी इसी काम को किया करते थे. उन्हीं से यह लोग भी सीख गए. उसने बताया कि वह घूमते-घूमते हाथरस आ गए. यहां मूर्तियां बिकने लगी तो ये लोग यहीं रहने लगे. उन्होंने बताया कि इस काम से परिवार का थोड़ा बहुत गुजारा हो जाता है.

HATHRAS NEWS
प्रतिमा में जान भरते कलाकार

मूर्ति बेचकर चलता है गुजारा
मूर्ति बनाने वाले श्रावण ने बताया कि छोटे बच्चों को छोड़कर सभी लोग इस काम को करते हैं. उसने बताया कि मांगने पर भी अभी तक सरकार से कोई भी मदद नहीं मिली है. वह यहां मूर्ति बेचकर पेट भर रहे हैं. इससे किसी तरह परिवार का गुजारा चला रहे हैं.

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प्रतिमा में जान भरते कलाकार

बच्चों की नहीं हो पाती पढ़ाई
इस काम को करने वाली एक महिला रेखा ने बताया कि परिवार के सभी लोग मिल-जुलकर मूर्ति बनाने का काम करते हैं. उसने बताया कि वह गणेश जी की मूर्ति बना कर बेचते हैं. अपने बच्चों को यह लोग पढ़ाना तो चाहते हैं, लेकिन स्थाई न होने की वजह से उनकी पढ़ाई नहीं हो पाती है.

पेश है रिपोर्ट

प्रतिबंधित न हो जाए प्लास्टर ऑफ पेरिस
यह लोग प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियां बनाकर अपना और अपने परिवार का गुजारा कर रहे हैं. जिस दिन प्रदेश में प्लास्टर ऑफ पेरिस पूरी तरह से प्रतिबंधित हो जाएगा, उस दिन इनके सामने रोजी-रोटी के लाले पड़ जाएंगे, क्योंकि यह लोग कोई दूसरा और काम जानते भी नहीं है.

हाथरस: भगवान की मूर्ति बनाकर लोगों में सुख, समृद्धि और सम्पन्नता की भावना जगाने वाले लोगों का भविष्य भगवान भरोसे है. यह लोग मेहनत करके दो जून की रोटी जैसे-तैसे कमा पाते हैं. हमेशा जगह बदलने की वजह से इनके बच्चों को भी शिक्षा नहीं मिल पाती है. प्लास्टर ऑफ पेरिस पर पूरी तरह प्रतिबंध लगने के बाद इनके खाने तक के लाले पड़ जाएंगे. इनका कहना है यह लोग मिट्टी में प्लास्टर ऑफ पेरिस मिलाकर मूर्तियां बनाकर ही गुजर बसर करते हैं, जो इनकी रोजी-रोटी का एकमात्र साधन है.

20 साल से कर रहे ये काम
मूर्ति बनाने वालों के मुखिया मदन लाल ने बताया कि वह 20 साल से यह काम कर रहे हैं. उनके पूर्वज भी इसी काम को किया करते थे. उन्हीं से यह लोग भी सीख गए. उसने बताया कि वह घूमते-घूमते हाथरस आ गए. यहां मूर्तियां बिकने लगी तो ये लोग यहीं रहने लगे. उन्होंने बताया कि इस काम से परिवार का थोड़ा बहुत गुजारा हो जाता है.

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प्रतिमा में जान भरते कलाकार

मूर्ति बेचकर चलता है गुजारा
मूर्ति बनाने वाले श्रावण ने बताया कि छोटे बच्चों को छोड़कर सभी लोग इस काम को करते हैं. उसने बताया कि मांगने पर भी अभी तक सरकार से कोई भी मदद नहीं मिली है. वह यहां मूर्ति बेचकर पेट भर रहे हैं. इससे किसी तरह परिवार का गुजारा चला रहे हैं.

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प्रतिमा में जान भरते कलाकार

बच्चों की नहीं हो पाती पढ़ाई
इस काम को करने वाली एक महिला रेखा ने बताया कि परिवार के सभी लोग मिल-जुलकर मूर्ति बनाने का काम करते हैं. उसने बताया कि वह गणेश जी की मूर्ति बना कर बेचते हैं. अपने बच्चों को यह लोग पढ़ाना तो चाहते हैं, लेकिन स्थाई न होने की वजह से उनकी पढ़ाई नहीं हो पाती है.

पेश है रिपोर्ट

प्रतिबंधित न हो जाए प्लास्टर ऑफ पेरिस
यह लोग प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियां बनाकर अपना और अपने परिवार का गुजारा कर रहे हैं. जिस दिन प्रदेश में प्लास्टर ऑफ पेरिस पूरी तरह से प्रतिबंधित हो जाएगा, उस दिन इनके सामने रोजी-रोटी के लाले पड़ जाएंगे, क्योंकि यह लोग कोई दूसरा और काम जानते भी नहीं है.

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एंकर- भगवान और देवी की मूर्ति बनाकर लोगों में सुख,समृध्दि और सम्पन्नता की भावना जगाने वाले का भविष्य खुद भगवान के भरोसे हैं। यह लोग मेहनत करके दो जून की रोटी जैसे तैसे कमा पाते हैं । जगह बदलने की वजह से यह खानाबदोश जिंदगी होने की वजह से इनके बच्चों को भी शिक्षा नहीं मिल पाती है प्लास्टर ऑफ पेरिस पर पूरी तरह प्रतिबंध के बाद इनके खाने तक के लाले पड़ जाएंगे ।इनका कहना है यह लोग मिट्टी में प्लास्टर ऑफ पेरिस मिलाकर मूर्तियां बनाकर ही गुजर बसर करते हैं जो इनकी रोजी रोटी का एकमात्र साधन है। दूसरा और कोई काम इन्हें आता भी नहीं है।



Body:वीओ1- गणेश महोत्सव 2 सितंबर से शुरू होने वाला है इसके लिए मूर्ति बनाने वाले गणेश जी की छोटी बड़ी तरह-तरह की मूर्ति बनाने में लगे हुए हैं ।यह लोग मिट्टी में प्लास्टर ऑफ पेरिस मिलाकर मूर्तियां बनाते हैं ।इस काम में इन लोगों का पूरा परिवार जुटा रहता है ।छोटे बच्चे को छोड़कर हर कोई भगवान की मूर्ति बनाने में अपना सहयोग करता है। मूर्ति बनाने वालों के मुखिया मदन लाल ने बताया कि वह 15- 20 साल से यह काम कर रहे हैं। उनके पुरखे भी इसी काम को किया करते थे। वहीं से यह लोग भी सीख गए। उसने बताया कि वह घूमते -घूमते हाथरस आ गए यहां बिकने लगा तो यही बना रहे हैं। उसने बताया कि इस काम से परिवार का थोड़ा बहुत गुजारा हो जाता है। वहीं एक अन्य मूर्ति बनाने वाले श्रावण ने बताया कि छोटे बच्चों को छोड़कर सभी लोग इस काम को करते हैं। उसने बताया कि मांगने पर भी अभी तक सरकार से कोई भी मदद नहीं मिली है। वह यहां मूर्ति बेचकर पेट भर रहे हैं। परिवार का गुजारा चला रहे हैं उसने बताया की छोटी मूर्ति 5 से 10 रुपए में और बड़ी मूर्तियां 100 से 500 रुपए तक की बचत हो जाती है। मिट्टी और प्लास्टर ऑफ पेरिस मिलाकर मूर्ति बनाने में पारंगत श्रावण का कहना है कि उनके परिवार का मूर्ति बनाकर ही पालन होता है। इसपर पूरी तरह से प्रतिबंध लग जाएगा तो उनको खाने के लाले पड़ जाएंगे। इस काम को करने वाली एक महिला रेखा ने बताया कि परिवार के सभी लोग मिल जुलकर मूर्ति बनाने का काम करते हैं। उसने बताया कि वह गणेश जी की सिर्फ मूर्ति बना कर बेचते हैं पूजा तो देवी की करते हैं ।बच्चों को यह लोग पढ़ाना तो चाहते हैं लेकिन घूमते रहने की वजह से उनकी पढ़ाई नहीं हो पाती है।
बाईट1- मदनलाल- मूर्ति बनाने वाला शख्स
बाईट2- श्रावण- मूर्ति बनाने वाला युवक
बाईट3- रेखा -मूर्ति बनाने वाली महिला


Conclusion:वीओ2- यह लोग प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियां बनाकर अपना और अपने परिवार का गुजारा कर रहे हैं ।जिस दिन प्रदेश में प्लास्टर ऑफ पेरिस पूरी तरह से प्रतिबंधित हो जाएगा ।उस दिन इनके सामने रोजी रोटी के लाले पड़ जाएंगे क्योंकि यह लोग कोई दूसरा और काम जानते भी नहीं है।
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