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CM को अवार्ड लौटाना चाहते हैं शहीद पुलिसकर्मी के परिजन, जानिये क्यों

बम घमाके में शहीद एक पुलिस कर्मी के परिजन सीएम नीतीश कुमार से मिलकर उन्हें अवार्ड लौटाना चाहते हैं. उनका कहना है कि अवार्ड से पेट नहीं भरने वाला. कहीं भी सुनवाई नहीं हो रही है. पढ़ें पूरी खबर.

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Published : Sep 6, 2021, 2:15 PM IST

पटना: बिहार के सीएम नीतीश कुमार (Chief Minister Nitish Kumar) के जनता दरबार (Janta Darbar) में आज जमीन और पुलिस के मामले सबसे अधिक आए. जनता दरबार के बाहर भी पुलिस और जमीन से संबंधित मामले लेकर ही लोग गुहार लगाते रहे. जिन लोगों का रजिस्ट्रेशन हो गया है और अभी तक मुख्यमंत्री की ओर से बुलावा नहीं आया है, ऐसे लोग भी पहुंच रहे हैं. मुंगेर से आए एक शहीद पुलिसकर्मी के परिजन मुख्यमंत्री को अवार्ड लौटाना चाहते हैं. पुलिस कर्मी के परिजनों का कहना है कि लोकसभा चुनाव में उन्हें मसौढ़ी में बम से उड़ा दिया गया था लेकिन अब तक परिवार के किसी सदस्य को नौकरी नहीं मिली है. पिछले 25 सालों से दर-दर भटक रहे हैं. ऐसे में यह अवार्ड लेकर हम लोग क्या करेंगे ?

ये भी पढ़ें: 'सर पुलिस ने कहा छठ बाद भगवान मिल जाएंगे, अब मेरे ऊपर 6 मुकदमा कर दिया'

मुंगेर से अपने दो बेटे रितेश और नीरज के साथ पहुंची जयमाला देवी मुख्यमंत्री को अवार्ड लौटाना चाहती हैं. जयमाला देवी के पति राजेश्वर मंडल बिहार पुलिस में थे. 1996 के लोकसभा चुनाव में मतदान के बाद जब बैलट बॉक्स लेकर लौट रहे थे, उसी दौरान उन्हें बम से उड़ा दिया गया था. इसमें उनकी मौत हो गई थी. उस समय उनके बेटे छोटे-छोटे थे. अब बेटे बड़े हो चुके हैं और चाहते हैं कि उन्हें नौकरी मिले.

देखें वीडियो

जयमाला देवी के तीन बेटे हैं- रितेश, नीरज और रुपेश. जनता दरबार में पहुंचे रितेश और नीरज का कहना है कि हम लोगों को नौकरी नहीं मिलेगी तो फिर इस अवार्ड को लेकर हम लोग क्या करेंगे. इसलिए मुख्यमंत्री को हम लोगों ने अवार्ड लौटाने का फैसला लिया है. दोनों भाइयों का कहना है कि कि मेरी मां 25 सालों से लगातार अधिकारियों से मिल रही हैं. हम लोग भी अब डीजीपी सहित कई अधिकारियों से गुहार लगा चुके हैं लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ है. अवार्ड और यह शॉल मिला है, लेकिन इससे हम लोगों की जिंदगी चलने वाली नहीं है.

ये भी पढ़ें: साहब... DGP कहते हैं-लड़कियां पहले अपनी अदा पर लड़कों को फंसाती हैं, फिर आरोप लगाती हैं

जनता दरबार में एक के बाद एक कई मामले पुलिस और जमीन विवाद से संबंधित मुख्यमंत्री के सामने आ रहे हैं. वहीं, जनता दरबार के बाहर भी ऐसे अनेक मामले लेकर लोग पहुंच रहे हैं लेकिन रजिस्ट्रेशन होने के बावजूद बुलाया नहीं गया है. इसीलिए वे परेशान हैं. इस उम्मीद से पहुंच रहे हैं कि उनकी सुनवाई हो जाए.

बता दें कि मुख्यमंत्री ने 5 साल बाद फिर से जनता दरबार का कार्यक्रम शुरू किया है. मुख्यमंत्री ने इस बार बिहार विधानसभा चुनाव में जदयू की खराब परफॉर्मेंस के बाद फिर से जनता दरबार लगाने की घोषणा की थी. कोरोना महामारी के कारण जनता दरबार पहले शुरू नहीं हो पाया था. इसे http://cm.bihar.gov.in/live , https://www.facebook.com/iprdbihar , https://twitter.com/IPRD_Bihar और https://www.youtube.com/iprdbihar पर लाइव देखा जा सकता है.

ये भी पढ़ें: CM साहब घर के सामने सरकारी जमीन पर दिनदहाड़े बिक रही शराब, कुछ कीजिए...

पटना: बिहार के सीएम नीतीश कुमार (Chief Minister Nitish Kumar) के जनता दरबार (Janta Darbar) में आज जमीन और पुलिस के मामले सबसे अधिक आए. जनता दरबार के बाहर भी पुलिस और जमीन से संबंधित मामले लेकर ही लोग गुहार लगाते रहे. जिन लोगों का रजिस्ट्रेशन हो गया है और अभी तक मुख्यमंत्री की ओर से बुलावा नहीं आया है, ऐसे लोग भी पहुंच रहे हैं. मुंगेर से आए एक शहीद पुलिसकर्मी के परिजन मुख्यमंत्री को अवार्ड लौटाना चाहते हैं. पुलिस कर्मी के परिजनों का कहना है कि लोकसभा चुनाव में उन्हें मसौढ़ी में बम से उड़ा दिया गया था लेकिन अब तक परिवार के किसी सदस्य को नौकरी नहीं मिली है. पिछले 25 सालों से दर-दर भटक रहे हैं. ऐसे में यह अवार्ड लेकर हम लोग क्या करेंगे ?

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मुंगेर से अपने दो बेटे रितेश और नीरज के साथ पहुंची जयमाला देवी मुख्यमंत्री को अवार्ड लौटाना चाहती हैं. जयमाला देवी के पति राजेश्वर मंडल बिहार पुलिस में थे. 1996 के लोकसभा चुनाव में मतदान के बाद जब बैलट बॉक्स लेकर लौट रहे थे, उसी दौरान उन्हें बम से उड़ा दिया गया था. इसमें उनकी मौत हो गई थी. उस समय उनके बेटे छोटे-छोटे थे. अब बेटे बड़े हो चुके हैं और चाहते हैं कि उन्हें नौकरी मिले.

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जयमाला देवी के तीन बेटे हैं- रितेश, नीरज और रुपेश. जनता दरबार में पहुंचे रितेश और नीरज का कहना है कि हम लोगों को नौकरी नहीं मिलेगी तो फिर इस अवार्ड को लेकर हम लोग क्या करेंगे. इसलिए मुख्यमंत्री को हम लोगों ने अवार्ड लौटाने का फैसला लिया है. दोनों भाइयों का कहना है कि कि मेरी मां 25 सालों से लगातार अधिकारियों से मिल रही हैं. हम लोग भी अब डीजीपी सहित कई अधिकारियों से गुहार लगा चुके हैं लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ है. अवार्ड और यह शॉल मिला है, लेकिन इससे हम लोगों की जिंदगी चलने वाली नहीं है.

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जनता दरबार में एक के बाद एक कई मामले पुलिस और जमीन विवाद से संबंधित मुख्यमंत्री के सामने आ रहे हैं. वहीं, जनता दरबार के बाहर भी ऐसे अनेक मामले लेकर लोग पहुंच रहे हैं लेकिन रजिस्ट्रेशन होने के बावजूद बुलाया नहीं गया है. इसीलिए वे परेशान हैं. इस उम्मीद से पहुंच रहे हैं कि उनकी सुनवाई हो जाए.

बता दें कि मुख्यमंत्री ने 5 साल बाद फिर से जनता दरबार का कार्यक्रम शुरू किया है. मुख्यमंत्री ने इस बार बिहार विधानसभा चुनाव में जदयू की खराब परफॉर्मेंस के बाद फिर से जनता दरबार लगाने की घोषणा की थी. कोरोना महामारी के कारण जनता दरबार पहले शुरू नहीं हो पाया था. इसे http://cm.bihar.gov.in/live , https://www.facebook.com/iprdbihar , https://twitter.com/IPRD_Bihar और https://www.youtube.com/iprdbihar पर लाइव देखा जा सकता है.

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