पटना: कोरोना (Corona) जैसी महामारी में भी लोग फर्जीवाड़ा करने से बाज नहीं आते हैं. पिछले दिनों राजधानी पटना (Patna) में जिस तरह से पैसे लेकर फर्जी कोरोना रिपोर्ट (Fake Corona Report) बनाने का मामला सामने आया, उसके बाद से कई तरह के सवाल उठ खड़े हुए. इसके बाद स्वास्थ्य विभाग (Health Department) भी हरकत में आया और इस तरह के पैथोलॉजी (Pathology) के खिलाफ कार्रवाई तेज कर दी गई.
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दरअसल, पटना के बेली रोड के राजा बाजार स्थित इलाके में चल रहे प्लाज्मा डायग्नोस्टिक (Plasma Diagnostic) से कोरोना की नेगेटिव आरटीपीसीआर (RTPCR) जांच रिपोर्ट फर्जी तरीके से बनाने का काम चल रहा था. पटना एयरपोर्ट डायरेक्टर के पास जब यह मामला आया कि लोग विमान में यात्रा करने के लिए फर्जी नेगेटिव रिपोर्ट लेकर आ रहे हैं. ऐसे में उन्होंने इसकी शिकायत जिलाधिकारी के पास की.
डीएम डॉ. चंद्रशेखर सिंह ने मामले की गंभीरता को देखते हुए संबंधित अधिकारियों को कार्रवाई का निर्देश दिया. इसके बाद जब छापेमारी की गई तो मामले का खुलासा हुआ. कार्रवाई करते हुए उस पैथोलॉजिकल क्लीनिक को बंद करा दिया गया. हालांकि इसके साथ ही यह सवाल भी उठने लगे कि आखिर स्वास्थ्य विभाग के पास इस बात की भनक कैसे नहीं थी.
पटना जिला सिविल सर्जन डॉ. विभा कुमारी ने बताया कि एयरपोर्ट डायरेक्टर ने जब प्लाज्मा पैथोलॉजी की शिकायत की तो जिलाधिकारी ने एक टीम बनाया. वहीं, पटना सरजेंसी ने भी एक टीम बनाई. दोनों टीमों ने मिलकर संयुक्त रूप से प्लाज्मा पैथोलॉजी में छापा मारा. जहां यह देखने को मिला कि कई सारे पैथोलॉजिकल लैब के कागजात वहां बिखरे थे, लेकिन प्लाज्मा पैथोलॉजी का एक भी कागज नजर नहीं आया. ना ही उस पैथोलॉजी में कोई आरटीपीसीआर की मशीन मिली. जिससे यह पता चल सके कि यहां सचमुच आरटीपीसीआर जांच होती है. ऐसे में जिला प्रशासन की ओर से कार्रवाई करते हुए उस पैथोलॉजिकल क्लीनिक को सील कर दिया गया और उसके खिलाफ मामला भी दर्ज कराया गया है. अब तक जिनके खिलाफ पटना जिला प्रशासन को साक्ष्य मिले हैं, उनमें सरल पैथ लैब, जनरल डायग्नोस्टिक, इंटरनेशनल हिंद लैब और डायग्नोस्टिक सेंटर शामिल हैं.
सिविल सर्जन डॉ. विभा कुमारी बताती हैं कि पटना में 170 रजिस्टर्ड पैथोलॉजिकल क्लीनिक चल रहे हैं. जबकि 58 पैथोलॉजिकल क्लीनिक ऐसे हैं, जो स्वास्थ्य विभाग से रजिस्टर्ड नहीं है. उन्होंने कहा कि क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के तहत मामला कोर्ट में है. इस वजह से स्वास्थ्य विभाग द्वारा ऐसे पैथोलॉजिकल क्लीनिक पर कार्रवाई नहीं की जा सकती, जिनका जिला स्वास्थ्य विभाग में निबंधन नहीं है.
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हालांकि वो कहती हैं कि अगर उनके पास शहर में चल रहे किसी भी रजिस्टर्ड और अनरजिस्टर्ड पैथोलॉजी से जुड़ा हुआ कोई कंप्लेन आता है तो उस पर कार्रवाई की जाती है. जरूरत पड़ने पर जांच भी होती है और दोषी पाए जाने पर उस क्लीनिक को सील भी कर दिया जाता है.
डॉ. विभा कहती हैं कि जब भी लोगों को जहां भी पैथोलॉजी जांच में गड़बड़ी की जानकारी मिले या गड़बड़ी महसूस हो तो जिला सिविल सर्जन कार्यालय जरूर शिकायत करें. कंप्लेन के आधार पर कार्रवाई जरूर की जाती है.