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कोरोना संकटकाल में राजस्व पर पड़ा जबरदस्त असर, PM के विशेष आर्थिक पैकेज का सहारा

बिहार का ग्रोथ रेट पिछले एक दशक से डबल डिजिट में है. लेकिन, कोरोना संकटकाल में राजस्व की कमी से कई योजनाओं पर असर पड़ना तय माना जा रहा है. ऐसे में राहत की बात ये है की बिहार सरकार केंद्र से कुल जीडीपी का 5% ऋण उगाही करने की अनुमति मांग रही थी और उसे केंद्र सरकार ने इसे मंजूरी दे दी है. इससे बिहार सरकार 12 हजार 920 करोड़ से अधिक की राशि ऋण के रूप में वसूल कर सकेगी.

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Published : Jun 3, 2020, 8:02 PM IST

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पटना: कोरोना वायरस के इस संकटकाल में पूरे देश में आर्थिक संकट गहरा गया है. बिहार जैसा विकासशील राज्य भी इससे अछूता नहीं है. कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए जारी लॉकडाउन से राज्य की राजस्व वसूली में जबरदस्त गिरावट आई है. हालत ये है कि अप्रैल के महीने में पिछले साल के मुकाबले महज 14% के आसपास ही टैक्स की वसूली हुई है.

राजस्व वसूली के लिए केंद्र सरकार पर निर्भर राज्य
वित्तमंत्री सुशील कुमार मोदी का कहना है राज्यों के साथ केंद्र के राजस्व में भी काफी गिरावट आई है. पिछले साल के मुकाबले इस साल अप्रैल में सिर्फ 14% ही राजस्व वसूली हो पाई है. सुशील मोदी के अनुसार कोरोना संकट के कारण सिर्फ अप्रैल के महीने में 82.29 % राजस्व संग्रह में कमी आई है. वर्तमान वित्तीय वर्ष के अप्रैल में जहां वेतन, पेंशन, आपदा प्रबंधन, सामाजिक सुरक्षा, लोक ऋण के मूलधन और ब्याज की वापसी और पंचायतों के अनुदान पर 12 हजार 202 करोड़ खर्च हुए है. दूसरी ओर कई तरह के संसाधनों से सिर्फ 9 हजार 861 करोड़ ही राजस्व की वसूली हो पाई है. फिलहाल बिहार सरकार पूरी तरह से केंद्र पर ही निर्भर है, क्योंकि इसमें से अधिकांश राजस्व केंद्र से ही मिला है.

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कोरोना संकट में प्रवासी

कोरोना कहर से राजस्व संग्रह को झटका
वर्तमान वित्तीय वर्ष में बिहार सरकार अपने विभिन्न स्त्रोतों से 450.21 करोड़ का राजस्व ही संग्रह कर सकी है. राज्य को केंद्रीय करों में हिस्से के रूप में 4 हजार 632 करोड़ और भारत सरकार से अनुदान के तौर पर 2 हजार 450 करोड़ की राशि प्राप्त हुई है और इसके कारण अभी तक 2 हजार 341 करोड़ का आय-व्यय में घाटा हो चुका है. पिछले वित्तीय वर्ष 2019-20 की बात करें तो अप्रैल में राज्य का अपना राजस्व संग्रह 2 हजार 542. 23 करोड़ हुआ था लेकिन लॉकडाउन के कारण इस बार वित्तीय वर्ष 2020- 21 में सिर्फ 450.21 करोड़ का राजस्व ही मिल सका है.

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सचिवालय

विशेष आर्थिक पैकेज से मिलेगा राज्यों को बल
उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी का कहना है कि इन हालातों में पीएम के विशेष आर्थिक पैकेज में राज्य सरकारों की मांग को भी मान लिया गया है. उन्होंने उम्मीद जताई की इससे राज्य को 12 हजार 920 करोड़ से अधिक की ऋण उगाही संभव हो सकेगी. इसके तहत राज्य की आर्थिक व्यवस्था को थोड़ा बल मिलेगा

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

राजस्व पर पड़ा है जबरदस्त असर- परिवहन मंत्री
राज्य को परिवहन से भी अच्छी-खासी राजस्व की वसूली होती है. परिवहन मंत्री संतोष निराला ने भी माना कि उद्योग-धंधे बंद होने और परिवहन ठप होने से राजस्व पर जबरदस्त असर पड़ा है. आने वाले दिनों में इसके असर और भी प्रभाव डालने वाले होंगे.

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मंत्री श्रवण कुमार

आने वाले समय में इस स्थिति से निकल सकेंगे बाहर- मंत्री श्रवण कुमार
ग्रामीण विकास विभाग कोरोना संकट काल में प्रवासी मजदूरों को लेकर कई तरह के रोजगार कार्यक्रम चला रहा है. ऐसे में मंत्री श्रवण कुमार का दावा है कि भले ही ये समय मुश्किल हो, लेकिन आने वाले समय में इस स्थिति से हम बाहर निकल सकेंगे.

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विशेषज्ञ डीएम दिवाकर

'आर्थिक गतिविधियां ठप होने से बढ़ेगी मुश्किलें'
हालांकि एएन सिन्हा इंस्टिट्यूट के विशेषज्ञ डीएम दिवाकर का मानना है कि बड़ी तादाद में लंबे वक्त में आर्थिक गतिविधियां ठप होने से मुश्किलें बढ़ेगी. औद्योगिक क्षेत्र में निवेश के लिए यहां उपयुक्त माहौल भी नहीं है, क्योंकि लोगों के पास खरीदने की क्रय शक्ति नहीं है. लेकिन उन्होंने माना कि पीएम मोदी के विशेष आर्थिक पैकेज से जब हालात सामान्य होंगे तो उसका फायदा मिलना तय है.

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विकास के कार्यों पर पड़ा असर

केंद्रीय राजस्व की हिस्सेदारी में 2 साल से राज्य को नुकसान
केंद्रीय राजस्व की हिस्सेदारी में भी बिहार को पिछले 2 साल से नुकसान हो रहा है. 2018-19 में 10 हजार करोड़ की कम राशि मिली और वहीं 2019-20 में ये कटौती बढ़कर 25 हजार करोड़ हो गई. अब इस साल भी इस हिस्सेदारी पर जबरदस्त असर पड़ना तय है. ऐसे बिहार सरकार ने इस बार 18 लाख 3 हजार 923 करोड़ से अधिक राजस्व प्राप्ति का लक्ष्य रखा था. इसमें केंद्रीय कर में राज्य का हिस्सा, राज्य में राजस्व कर और विभिन्न स्त्रोतों से मिलने वाले राजस्व शामिल हैं.

केंद्र से मिली राहत
बिहार का ग्रोथ रेट पिछले एक दशक से डबल डिजिट में है लेकिन कोरोना संकटकाल में राजस्व की कमी से कई योजनाओं पर असर पड़ना तय माना जा रहा है. ऐसे में राहत की बात ये है की बिहार सरकार केंद्र से कुल जीडीपी का 5% ऋण उगाही करने की अनुमति मांग रही थी और उसे केंद्र सरकार ने इसे मंजूरी दे दी है. इससे बिहार सरकार 12 हजार 920 करोड़ से अधिक की राशि ऋण के रूप में वसूल कर सकेगी.अब राज्य सरकार को केंद्र से मिलने वाले राजस्व और अनुदान पर ही अधिक निर्भर रहना पड़ेगा. राज्य की आय का एक बड़ा हिस्सा राहत और सहायता कार्य में भी खर्च हो रहा है, ऐसे में राजस्व में कमी से विकासात्मक कार्यों पर भी असर पड़ सकता है. पीएम मोदी के विशेष आर्थिक पैकेज का लाभ भी सरकार को मिल सकता है.

पटना: कोरोना वायरस के इस संकटकाल में पूरे देश में आर्थिक संकट गहरा गया है. बिहार जैसा विकासशील राज्य भी इससे अछूता नहीं है. कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए जारी लॉकडाउन से राज्य की राजस्व वसूली में जबरदस्त गिरावट आई है. हालत ये है कि अप्रैल के महीने में पिछले साल के मुकाबले महज 14% के आसपास ही टैक्स की वसूली हुई है.

राजस्व वसूली के लिए केंद्र सरकार पर निर्भर राज्य
वित्तमंत्री सुशील कुमार मोदी का कहना है राज्यों के साथ केंद्र के राजस्व में भी काफी गिरावट आई है. पिछले साल के मुकाबले इस साल अप्रैल में सिर्फ 14% ही राजस्व वसूली हो पाई है. सुशील मोदी के अनुसार कोरोना संकट के कारण सिर्फ अप्रैल के महीने में 82.29 % राजस्व संग्रह में कमी आई है. वर्तमान वित्तीय वर्ष के अप्रैल में जहां वेतन, पेंशन, आपदा प्रबंधन, सामाजिक सुरक्षा, लोक ऋण के मूलधन और ब्याज की वापसी और पंचायतों के अनुदान पर 12 हजार 202 करोड़ खर्च हुए है. दूसरी ओर कई तरह के संसाधनों से सिर्फ 9 हजार 861 करोड़ ही राजस्व की वसूली हो पाई है. फिलहाल बिहार सरकार पूरी तरह से केंद्र पर ही निर्भर है, क्योंकि इसमें से अधिकांश राजस्व केंद्र से ही मिला है.

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कोरोना संकट में प्रवासी

कोरोना कहर से राजस्व संग्रह को झटका
वर्तमान वित्तीय वर्ष में बिहार सरकार अपने विभिन्न स्त्रोतों से 450.21 करोड़ का राजस्व ही संग्रह कर सकी है. राज्य को केंद्रीय करों में हिस्से के रूप में 4 हजार 632 करोड़ और भारत सरकार से अनुदान के तौर पर 2 हजार 450 करोड़ की राशि प्राप्त हुई है और इसके कारण अभी तक 2 हजार 341 करोड़ का आय-व्यय में घाटा हो चुका है. पिछले वित्तीय वर्ष 2019-20 की बात करें तो अप्रैल में राज्य का अपना राजस्व संग्रह 2 हजार 542. 23 करोड़ हुआ था लेकिन लॉकडाउन के कारण इस बार वित्तीय वर्ष 2020- 21 में सिर्फ 450.21 करोड़ का राजस्व ही मिल सका है.

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सचिवालय

विशेष आर्थिक पैकेज से मिलेगा राज्यों को बल
उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी का कहना है कि इन हालातों में पीएम के विशेष आर्थिक पैकेज में राज्य सरकारों की मांग को भी मान लिया गया है. उन्होंने उम्मीद जताई की इससे राज्य को 12 हजार 920 करोड़ से अधिक की ऋण उगाही संभव हो सकेगी. इसके तहत राज्य की आर्थिक व्यवस्था को थोड़ा बल मिलेगा

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

राजस्व पर पड़ा है जबरदस्त असर- परिवहन मंत्री
राज्य को परिवहन से भी अच्छी-खासी राजस्व की वसूली होती है. परिवहन मंत्री संतोष निराला ने भी माना कि उद्योग-धंधे बंद होने और परिवहन ठप होने से राजस्व पर जबरदस्त असर पड़ा है. आने वाले दिनों में इसके असर और भी प्रभाव डालने वाले होंगे.

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मंत्री श्रवण कुमार

आने वाले समय में इस स्थिति से निकल सकेंगे बाहर- मंत्री श्रवण कुमार
ग्रामीण विकास विभाग कोरोना संकट काल में प्रवासी मजदूरों को लेकर कई तरह के रोजगार कार्यक्रम चला रहा है. ऐसे में मंत्री श्रवण कुमार का दावा है कि भले ही ये समय मुश्किल हो, लेकिन आने वाले समय में इस स्थिति से हम बाहर निकल सकेंगे.

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विशेषज्ञ डीएम दिवाकर

'आर्थिक गतिविधियां ठप होने से बढ़ेगी मुश्किलें'
हालांकि एएन सिन्हा इंस्टिट्यूट के विशेषज्ञ डीएम दिवाकर का मानना है कि बड़ी तादाद में लंबे वक्त में आर्थिक गतिविधियां ठप होने से मुश्किलें बढ़ेगी. औद्योगिक क्षेत्र में निवेश के लिए यहां उपयुक्त माहौल भी नहीं है, क्योंकि लोगों के पास खरीदने की क्रय शक्ति नहीं है. लेकिन उन्होंने माना कि पीएम मोदी के विशेष आर्थिक पैकेज से जब हालात सामान्य होंगे तो उसका फायदा मिलना तय है.

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विकास के कार्यों पर पड़ा असर

केंद्रीय राजस्व की हिस्सेदारी में 2 साल से राज्य को नुकसान
केंद्रीय राजस्व की हिस्सेदारी में भी बिहार को पिछले 2 साल से नुकसान हो रहा है. 2018-19 में 10 हजार करोड़ की कम राशि मिली और वहीं 2019-20 में ये कटौती बढ़कर 25 हजार करोड़ हो गई. अब इस साल भी इस हिस्सेदारी पर जबरदस्त असर पड़ना तय है. ऐसे बिहार सरकार ने इस बार 18 लाख 3 हजार 923 करोड़ से अधिक राजस्व प्राप्ति का लक्ष्य रखा था. इसमें केंद्रीय कर में राज्य का हिस्सा, राज्य में राजस्व कर और विभिन्न स्त्रोतों से मिलने वाले राजस्व शामिल हैं.

केंद्र से मिली राहत
बिहार का ग्रोथ रेट पिछले एक दशक से डबल डिजिट में है लेकिन कोरोना संकटकाल में राजस्व की कमी से कई योजनाओं पर असर पड़ना तय माना जा रहा है. ऐसे में राहत की बात ये है की बिहार सरकार केंद्र से कुल जीडीपी का 5% ऋण उगाही करने की अनुमति मांग रही थी और उसे केंद्र सरकार ने इसे मंजूरी दे दी है. इससे बिहार सरकार 12 हजार 920 करोड़ से अधिक की राशि ऋण के रूप में वसूल कर सकेगी.अब राज्य सरकार को केंद्र से मिलने वाले राजस्व और अनुदान पर ही अधिक निर्भर रहना पड़ेगा. राज्य की आय का एक बड़ा हिस्सा राहत और सहायता कार्य में भी खर्च हो रहा है, ऐसे में राजस्व में कमी से विकासात्मक कार्यों पर भी असर पड़ सकता है. पीएम मोदी के विशेष आर्थिक पैकेज का लाभ भी सरकार को मिल सकता है.

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