पटना: बिहार में स्कूलों को खोलने की तैयारी हो रही है. केंद्र सरकार की गाइडलाइंस के मुताबिक जुलाई में स्कूल खोले जा सकते हैं. लेकिन, इसके पहले सरकार की तरफ से सभी स्कूलों को पत्र लिखकर 10 बिंदुओं पर राय मांगी गई है. लॉकडाउन में ऑनलाइन क्लासेज के जरिए सिलेबस पूरा करने की कोशिश की गई,लेकिन फिर भी भविष्य अधर में ही नजर आ रहा है.
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ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं बच्चे
पटना के स्कूलों के दफ्तर भले ही बंद हो, लेकिन शिक्षक अपने घर से ही सभी बच्चों को ऑनलाइन पढ़ा रहे हैं. सिर्फ निजी स्कूल ही नहीं बल्कि बिहार के तमाम सरकारी स्कूलों के बच्चे भी डीडी बिहार और शिक्षा विभाग की ओर से विशेष तौर पर बनाए गए ऐप के जरिए ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं.
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सरकार ने स्कूल खोलने पर मांगी राय
ऑनलाइन पढ़ाई क्लासरुम के पढ़ाई की जगह नहीं ले सकती. यही वजह है कि अब जल्द से जल्द स्कूलों को खोलने की तैयारी हो रही है. हालांकि इसके पहले सरकार ने सभी स्कूलों को पत्र लिखकर 10 महत्वपूर्ण बिंदुओं पर बच्चों के अभिभावक, विद्यालय प्रबंधन समिति और शिक्षकों की राय मांगी है.
इन 10 बिंदुओं पर सरकार ने सभी की सलाह मांगी गई है.
- विद्यालय या संस्थान को किस तिथि से खोला जाए
- कक्षाओं में नामांकन कब से प्रारंभ किया जाए
- विद्यालय की संचालन की अवधि क्या हो
- कक्षा का संचालन अधिकतम कितने बच्चों के साथ किया जाए सेंट पॉल्स एकेडमी
- कक्षा की अवधि क्या हो
- कक्षा में बैठने की व्यवस्था कैसी हो
- प्रार्थना सत्र का संचालन किया जाए या नहीं
- विद्यालय में प्रवेश और निकास की व्यवस्था कैसी हो
- विद्यालय/कक्षा में सोशल डिस्टेंसिंग कैसे लागू किया जाए
- अन्य कोई बिंदु
'25 फीसदी सिलेबस कम करने की सोच रहे हैं'
पटना के एक निजी स्कूल के प्राचार्य डॉ राजीव रंजन सिन्हा ने कहा कि इस वक्त हम ऑनलाइन पढ़ाई करवा रहे हैं. गर्मी की छुट्टी के बाद जब स्कूल खुलेंगे और फिर से ऑनलाइन कक्षाएं शुरू होगी. उस दौरान हमें इस बात पर गंभीरता से विचार करना होगा कि सिलेबस में सिर्फ जरूरी चैप्टर्स को ही अब जगह मिले. ऐसा इसलिए क्योंकि सिलेबस पूरा करना अब मुश्किल लग रहा है. ऐसे में हम 25 फीसदी सिलेबस कम करने की सोच रहे हैं.
लॉकडाउन की वजह से बर्बाद हुए वक्त की भरपाई मुश्किल
वहीं दूसरे स्कूल के प्राचार्य आनंद प्रकाश ने कहा कि सरकार की तरफ से सलाह मांगी गई है. उसे लेकर हम गार्जियंस और मैनेजमेंट कमेटी के साथ टीचर्स से भी बात करेंगे कि स्कूल कब से खुल सकते हैं. 3 महीने का जो वक्त लॉकडाउन की वजह से बर्बाद हुआ है उसकी भरपाई मुश्किल है. इसलिए सिलेबस में कटौती करनी ही पड़ेगी.
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'क्लासरूम पढ़ाई के जैसी ऑनलाइन पढ़ाई नहीं हो सकती'
एक और स्कूल के एडमिन हेड आनंद विजय ने कहा कि हम लगातार अपने शिक्षकों और छात्रों के गार्जियंस के संपर्क में हैं. हमारी कोशिश है कि ऑनलाइन पढ़ाई के जरिए बच्चों को कम से कम महत्वपूर्ण चैप्टर पढ़ा दिए जाएं. हालांकि क्लासरूम पढ़ाई के जैसी ऑनलाइन पढ़ाई नहीं हो सकती. यही वजह है कि हमें सिलेबस में कुछ कमी करके सिर्फ जरूरी चैप्टर्स को ही बच्चों को पढ़ाना होगा.
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अधर में ही नजर आ रहा है भविष्य
बच्चे किसी भी देश के विकास के आधार हैं. जब तक उनका भविष्य अधर में रहेगा तरक्की की बातें बेमानी हैं. स्कूल शिक्षा के मंदिर हैं लेकिन कोरोना वायरस ने इनपर भी अपना प्रभाव डाला है. कुल मिलाकर कहें तो फिलहाल भविष्य अधर में ही नजर आ रहा है.
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