पटना: संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा तीनों कृषि कानून, 4 श्रम कानून कोड और देश में लगातार हो रहे निजीकरण के खिलाफ शुक्रवार को भारत बंद का आह्वान किया गया. बंद के आह्ववान को सफल बनाने को लेकर किसान मोर्च समेत, ट्रेड यूनियन समेत विपक्षी दल के कार्यकर्ता सड़क पर उतर कर सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और विरोध प्रदर्शन किया.
भारत बंद को सफल कराने उतरे पार्टी कार्यकर्ता
भारत बंद को सफल बनाने उतरे कार्यकर्ताओं ने कहा कि यह बात सिर्फ किसानों और मजदूरों तक सीमित नहीं है, ब्लकि यह देश के हर एक नागरिक की बात है. उन्होंने कहा कि सरकार निजीकरण कर रही है. युवाओं को रोजगार नहीं मिल रहा है, किसानों की फसल और जमीन छिनने की कोशिश की जा रही है. मजदूरों से उनका हक छीना जा रहा है, जिसके चलते इस बंद का आह्वान किया गया है.
'जिस तरीके से विधानसभा में विधायकों पर हमला हुआ. पुलिस द्वारा विधायकों पर हमला कराया गया. विधायकों को जबरन बाहर निकलवाया गया. यह लोकतंत्र का पूरी तरीके से हनन है. भाजपा-जदयू सरकार पुलिसिया कानून लाकर अपने हिसाब से पुलिस को चलाना चाहती है'.- कुणाल, राज्य सचिव, भाकपा माले
सदन में हुए घटना के लिए माफी मांगें सीएम
माले नेता ने कहा कि हमारी मांग है कि नीतीश सरकार बिहार की जनता से उस घटना के लिए माफी मांगें. वहीं, कुणाल ने कहा कि किसान बीते चार महीने से आंदोलन कर रहे हैं, लेकिन सरकार अनसुना रवैया अख्तियार किए हुए हैं. उन्होंने कहा कि अगर सरकार जल्द से जल्द कानून वापस नहीं लेती तो यह आंदोलन आगे भी जारी रहेगा.
वहीं, विरोध प्रदर्शन में शामिल हुई महिलाओं ने कहा कि मंगलवार को पुलिस विधेयक पास करने के दौरान सदन में जो कुछ हुआ वह निंदनीय है. महिलाओं ने कहा कि हम किसानों के साथ हैं, सरकार को तीनों कृषि कानूनों को वापस लेना होगा.