पटना: बिहार के सबसे पुराने विश्वविद्यालय पटना विश्वविद्यालय (Patna University) का 105वां स्थापना दिवस समारोह शुक्रवार को मनाया गया. इस दौरान एक बार फिर से विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिलाने की मांग उठी. मंच से जब विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति ने इस बात को उठाया तो छात्रों से भरा हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा. एक सुर में सभी छात्र इस मांग का समर्थन करते नजर आए.
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बता दें कि 2017 में स्थापना दिवस समारोह में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल हुए थे तो उस दौरान मंच से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी इस विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा देने की मांग की थी. लेकिन आज तक यह केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा नहीं मिला.
'यह कोई मुद्दा नहीं है. इस मुद्दे का कोई औचित्य नहीं है. पटना विश्वविद्यालय कभी भी केंद्रीय विश्वविद्यालय नहीं रहा है. लेकिन पटना विश्वविद्यालय के अध्ययन, अध्यापन का डंका बजता रहा है. अगर हम केंद्रीय विश्वविद्यालय नहीं बनते हैं और किसी भी केंद्रीय विश्वविद्यालय से अच्छा प्रदर्शन करते हैं, ऐसे में लोग क्या पसंद करेंगे. लोग अच्छा प्रदर्शन करना पसंद करेंगे. ऐसे में पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा मिलना और ना मिलना कोई मुद्दा ही नहीं है.' -विजय चौधरी, शिक्षा मंत्री
शिक्षा मंत्री विजय चौधरी ने कहा कि पटना विश्वविद्यालय का इतिहास यही रहा है कि यह विश्वविद्यालय पूर्व में भी किसी केंद्रीय विश्वविद्यालय से अच्छी पढ़ाई कराते आ रहा है. अच्छे नतीजे देते आ रहा है. अच्छे शिक्षक यहां के माने जाते रहे हैं. ऐसे में पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा देने की मांग कोई मुद्दा ही नहीं है.
जानकारी दें कि जब शिक्षा मंत्री विजय चौधरी पटना विश्वविद्यालय के छात्र हुआ करते थे तब विश्वविद्यालय गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए देश भर में जाना जाता था लेकिन जब वह कई वर्षों से सरकार में शामिल हैं, तब देश के टॉप 100 यूनिवर्सिटी में भी पटना विश्वविद्यालय का नाम नहीं है.
विश्वविद्यालय में शिक्षकों की कमी एक गंभीर वजह है. ऐसे में विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति का सवाल-जवाब शिक्षा मंत्री विजय चौधरी से ईटीवी संवाददाता ने किया तो वह सवाल से बचते दिखे. शिक्षा मंत्री ने सिर्फ यही कहा, 'छोड़िए यह सब' और चलते बने.
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