पटना: बिहार भाजपा की कमान लंबे समय से भूपेंद्र यादव के पास थी. प्रदेश स्तर पर ज्यादातर फैसले भूपेंद्र यादव, नित्यानंद राय और संजय जायसवाल लेते थे. विधानसभा चुनाव के दौरान टिकट बंटवारे से लेकर मंत्री बनाने की प्रक्रिया में तीनों नेताओं की भूमिका अहम थी. बिहार भाजपा में लंबे समय से अगड़ी और पिछड़ी की लड़ाई चल रही है. विवाद चरम पर विधान परिषद चुनाव और बोचहां उप चुनाव के दौरान आया.
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बिहार बीजेपी में विवाद की शुरूआत: विधान परिषद चुनाव के दौरान सहारन क्षेत्र के कद्दावर नेता सच्चिदानंद राय टिकट कटने के बाद बागी हो गए, लेकिन परिषद चुनाव में उन्हें जीत हासिल हुई. दूसरी तरफ तिरहुत क्षेत्र के कद्दावर और पूर्व मंत्री सुरेश शर्मा ने विधानसभा उपचुनाव के दौरान बगावत कर दी और भाजपा बड़ी मतों के अंतर से उप चुनाव हार गई. उपचुनाव के दौरान भाजपा के सहयोगी दल वीआईपी को भी गठबंधन से अलग कर दिया गयाय बिहार भाजपा की ओर से केंद्रीय नेतृत्व को मुकेश सहनी को लेकर जो फीडबैक दिया गया था वह शायद सच साबित (Controversy in Bihar BJP) नहीं हुआ.
बिहार में धर्मेंद्र प्रधान की भूमिका बढ़ी: भूपेंद्र यादव भले ही केंद्र में मंत्री बन चुके हैं, लेकिन तमाम अहम फैसले आज भी भूपेंद्र यादव (Role of Dharmendra Pradhan in Bihar) की सहमति से लिए जाते हैं. भूपेंद्र यादव एक दशक से बिहार के प्रभारी के पद पर बने रहे, लेकिन हाल के दिनों में उपजे विवाद के बाद केंद्रीय नेतृत्व बिहार को लेकर गंभीर है. फिलहाल, केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की भूमिका बढ़ी है और बिहार को लेकर तमाम अहम फैसले में धर्मेंद्र प्रधान की भूमिका अहम होने वाली है.
धर्मेंद्र प्रधान ने मुख्यमंत्री से मुलाकात कर वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य को लेकर चर्चा भी की है. धर्मेंद्र प्रधान लंबे समय तक बिहार के प्रभारी रह चुके हैं और 2010 के विधानसभा और लोकसभा चुनाव के दौरान बेहतर नतीजे का श्रेय धर्मेंद्र प्रधान को भी दिया जाता है. धर्मेंद्र प्रधान की छवि सबको साथ लेकर चलने की है और शायद धर्मेंद्र प्रधान की भूमिका भी इसलिए तय की गई है. नीतीश कुमार से भी धर्मेंद्र प्रधान के रिश्ते अच्छे हैं और धर्मेंद्र प्रधान सहयोगी दलों से भी बेहतर सामंजस्य रखते हैं.
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बिहार प्रभारी को लेकर संशय बरकरार: बिहार भाजपा में फिलहाल बिहार प्रभारी कौन है, इसे लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है. भाजपा के संविधान के मुताबिक एक व्यक्ति के पद की परंपरा है. उपेंद्र यादव के मंत्री बनाए जाने के बाद नए प्रभारी कई बार बिहार भाजपा के हैं, लेकिन उससे पहले धर्मेंद्र प्रधान की इंट्री डिफेक्टो बिहार प्रभारी के रूप में हो चुकी है. भविष्य में जो कोई महामंत्री बिहार का प्रभारी हो लेकिन धर्मेंद्र प्रधान की भूमिका अहम होगी और प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान की सहमति से कोई फैसला लेंगे.
''बिहार भाजपा में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं है. आंतरिक लड़ाई चरम पर है. ऐसे में केंद्रीय नेतृत्व के समक्ष चुनौती बड़ी है. हाल में चुनाव के दौरान जो कुछ हुआ वह रात को उजागर करने के लिए काफी है. भाजपा को बिहार को लेकर फैसले लेने होंगे.''- कौशलेंद्र प्रियदर्शी, वरिष्ठ पत्रकार
भाजपा के वरिष्ठ नेता नवल किशोर यादव का कहना है कि जब भी बिहार प्रभारी की नियुक्ति होगी मीडिया को सूचना दे दी जाएगी, जहां तक सवाल धर्मेंद्र प्रधान का है तो वह हमारे वरिष्ठ नेता हैं और उन्हें बिहार में काम करने का अनुभव प्राप्त है. जदयू के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार का कहना है कि बिहार प्रभारी को लेकर फैसले उच्च स्तर पर ले जाते हैं और इस बाबत जदयू को कोई जानकारी नहीं है.
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