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बिहार में महिला पुलिसकर्मियों के कारण घरेलू हिंसा में आई कमी, नारी सशक्तिकरण को मिला बढ़ावा

पुलिस विभाग में महिला पुलिसकर्मियों के काम करने से बिहार में घरेलू हिंसा में कमी (Domestic violence rate decreased in Bihar) आई है. महिला कर्मियों की सबसे अधिक हिस्सेदारी के सिलसिले में बिहार सबसे आगे आता है, पुलिस विभाग में महिलाओं की नियुक्ति से राज्य की महिलाओं में आत्मनिर्भरता बढ़ी है. पढ़ें रिपोर्ट..

बिहार में घरेलू हिंसा में आई कमी
बिहार में घरेलू हिंसा में आई कमी
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Published : Dec 30, 2021, 11:08 PM IST

पटना: बिहार सरकार की नीति के अनुसार राज्य के सरकारी विभागों में 35% महिला आरक्षण (35 Percent Women Reservation) के कारण पुलिस मुख्यालय का मानना है कि महिलाओं की आर्थिक स्थिति में सुधार आया है, साथ ही महिलाएं स्वावलंबी हुई हैं, जिससे राज्य की महिलाओं के सशक्तिकरण को बढ़ावा मिला है.

ये भी पढ़ें- बिहार में महिला पुलिसकर्मियों की संख्या देश में सबसे ज्यादा, ये राज्य रह गए पीछे

पुलिस मुख्यालय के एडीजी जितेंद्र सिंह गंगवार (PHQ ADG Jitendra Singh Gangwar) की माने तो पुलिस विभाग की नौकरी में आने के कारण महिलाओं में साक्षरता बढ़ी है. महिलाएं उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहती हैं और अल्प आयु में विवाह की परंपरा पर भी अंकुश लगा है. बिहार में वयस्क होने पर ही अभिभावक अपनी बेटियों की शादी करने के लिए विवश हैं.

बिहार में घरेलू हिंसा में आई कमी

''महिलाओं के सरकारी विभाग विशेषकर पुलिस विभाग में नियुक्ति के कारण घरेलू हिंसा की दर में भी गिरावट आई है. महिलाओं के पुलिस डिपार्टमेंट में आ जाने से अन्य महिलाएं महिला पुलिसकर्मी के समक्ष अपनी शिकायतों को आसानी से बता पाती हैं, जिस वजह से बिहार के सभी थानों में महिला अध्यक्ष की स्थापना की गई है और महिला पुलिसकर्मी की तैनाती की गई है.''- जितेंद्र सिंह गंगवार, एडीजी, पुलिस मुख्यालय

महिला से जुड़े अपराध में महिला पुलिसकर्मी के होने से काफी सहूलियत हो रही है. पुलिस पेट्रोलिंग में महिला पुलिसकर्मी के होने की वजह से ग्रामीण क्षेत्रों के साथ-साथ टूरिस्ट, पर्यटन क्षेत्रों और बाजारों में आम लोगों के साथ-साथ महिलाओं में महिला पुलिसकर्मी को देखकर हाथ में बल आता है.

बिहार पुलिस मुख्यालय (Bihar Police Headquarters) के आंकड़े के अनुसार राज्य में घरेलू हिंसा के साल 2019 में 4723 केस दर्ज हुए थे, वहीं वर्ष 2020 में 3946 और 2021 के अक्टूबर माह तक महज 2207 केस दर्ज हुए हैं. इन कारणों से भी स्पष्ट है कि राज्य में घरेलू हिंसा की दर में कमी आई है, जो महिलाओं के आर्थिक रूप से सफल होने का परिणाम है. दरअसल, पुलिस मुख्यालय का मानना है कि पुलिस विभाग में नियुक्ति प्राप्त करने के लिए महिलाओं के द्वारा आवेदन किए जाने की संख्या में भी लगातार वृद्धि हुई है. लगातार बिहार पुलिस में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी को देखते हुए अन्य लड़कियां भी उनके जैसे पुलिस विभाग में भर्ती होना चाह रही हैं.

पूजा का मानना है कि बिहार सरकार ने महिलाओं के लिए 35% आरक्षण दिया है, जिस वजह से वह नौकरी करना चाहती हैं. नौकरी करने से आत्मनिर्भर बन पाएंगी और अपने परिवार को भी मदद कर पाएंगी. उन्होंने कहा कि महिलाओं की नौकरी में आने से घरेलू हिंसा में जरूर कमी आ रही है.

ये भी पढ़ें- सीएम नीतीश ने ही 2006 में दिया पंचायतों में आधी आबादी को आरक्षण, बदली महिलाओं की सोच

वहीं, दूसरी लड़की अर्चना की माने तो राज्य सरकार ने महिलाओं के लिए 35% का आरक्षण दिया है, जिससे उन्हें उम्मीद है कि वह भी नौकरी कर सकती हैं. उन्हें नौकरी करवाने के लिए उनके गार्जियन भी सहमत हैं, जिस वजह से वह नौकरी के लिए तैयारियां भी कर रही हैं. पहले जहां लड़कियों की शादी 18 वर्ष के पहले या उस समय कर दिया जाता था, अब हमें गार्जियन के द्वारा पढ़ने और नौकरी करने का समय मिल रहा है. उनका मानना है कि जब पति और पत्नी दोनों नौकरी करेंगे तो घरेलू हिंसा में भी जरूर कमी आएगी. नौकरी करने से महिलाएं आत्मनिर्भर बन पाएंगे और पुरुषों पर डिपेंड नहीं रहेंगी.

वहीं, अपरिचिता कुमारी का मानना है कि सरकार ने जो मौका लड़कियों को दिया है उसका हम लोग भरपूर फायदा उठा रहे हैं. हम लोग शिक्षित हैं, जिस वजह से जबरदस्ती हमारी शादियां भी कम उम्र में नहीं हो रही है. सरकारी नौकरी में आने के बाद हम आत्मनिर्भर बन पाएंगे और हमारे परिवार भी हम पर गर्व करेगा.

ये भी पढ़ें- महिला आरक्षण बिल पास होने से हर क्षेत्र में बढ़ेगी महिलाओं की भागीदारी: चिराग पासवान

बता दें कि राज्य सरकार ने सरकारी विभागों में 35% का आरक्षण महिलाओं को दिया है. अन्य विभागों की तुलना में बिहार पुलिस में ज्यादातर महिलाएं आना चाह रही हैं. जिस वजह से भारत के सभी राज्यों की तुलना में सबसे ज्यादा महिला पुलिसकर्मी बिहार में है. बिहार में कुल पुलिस बल की क्षमता 91862 है, जिसमें से महिला पुलिस पदाधिकारी कर्मियों की वर्तमान संख्या 23245 है, जो कि वर्तमान बल की क्षमता का 25.30% है, जिसे 35% करने हेतु लगातार पुलिसकर्मियों की बहाली भी निकाली जा रही है.

सरकारी विभागों को विशेषकर पुलिस विभाग में महिलाओं की नियुक्ति से राज्य की महिलाओं में आत्मनिर्भरता बढ़ी है. महिलाओं में पुलिस विभाग में नियुक्ति के अवसर मिलने के कारण और उनके लिए आरक्षण की व्यवस्था होने के कारण न सिर्फ शहरी क्षेत्र की महिलाएं बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों और सुदूर क्षेत्रों की शिक्षित महिलाओं में भी पुलिस में भर्ती होने की उत्सुकता बढ़ी है. निसंदेह यह कहा जा सकता है कि राज्य की महिलाओं के सशक्तिकरण को बढ़ावा मिला है.

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पटना: बिहार सरकार की नीति के अनुसार राज्य के सरकारी विभागों में 35% महिला आरक्षण (35 Percent Women Reservation) के कारण पुलिस मुख्यालय का मानना है कि महिलाओं की आर्थिक स्थिति में सुधार आया है, साथ ही महिलाएं स्वावलंबी हुई हैं, जिससे राज्य की महिलाओं के सशक्तिकरण को बढ़ावा मिला है.

ये भी पढ़ें- बिहार में महिला पुलिसकर्मियों की संख्या देश में सबसे ज्यादा, ये राज्य रह गए पीछे

पुलिस मुख्यालय के एडीजी जितेंद्र सिंह गंगवार (PHQ ADG Jitendra Singh Gangwar) की माने तो पुलिस विभाग की नौकरी में आने के कारण महिलाओं में साक्षरता बढ़ी है. महिलाएं उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहती हैं और अल्प आयु में विवाह की परंपरा पर भी अंकुश लगा है. बिहार में वयस्क होने पर ही अभिभावक अपनी बेटियों की शादी करने के लिए विवश हैं.

बिहार में घरेलू हिंसा में आई कमी

''महिलाओं के सरकारी विभाग विशेषकर पुलिस विभाग में नियुक्ति के कारण घरेलू हिंसा की दर में भी गिरावट आई है. महिलाओं के पुलिस डिपार्टमेंट में आ जाने से अन्य महिलाएं महिला पुलिसकर्मी के समक्ष अपनी शिकायतों को आसानी से बता पाती हैं, जिस वजह से बिहार के सभी थानों में महिला अध्यक्ष की स्थापना की गई है और महिला पुलिसकर्मी की तैनाती की गई है.''- जितेंद्र सिंह गंगवार, एडीजी, पुलिस मुख्यालय

महिला से जुड़े अपराध में महिला पुलिसकर्मी के होने से काफी सहूलियत हो रही है. पुलिस पेट्रोलिंग में महिला पुलिसकर्मी के होने की वजह से ग्रामीण क्षेत्रों के साथ-साथ टूरिस्ट, पर्यटन क्षेत्रों और बाजारों में आम लोगों के साथ-साथ महिलाओं में महिला पुलिसकर्मी को देखकर हाथ में बल आता है.

बिहार पुलिस मुख्यालय (Bihar Police Headquarters) के आंकड़े के अनुसार राज्य में घरेलू हिंसा के साल 2019 में 4723 केस दर्ज हुए थे, वहीं वर्ष 2020 में 3946 और 2021 के अक्टूबर माह तक महज 2207 केस दर्ज हुए हैं. इन कारणों से भी स्पष्ट है कि राज्य में घरेलू हिंसा की दर में कमी आई है, जो महिलाओं के आर्थिक रूप से सफल होने का परिणाम है. दरअसल, पुलिस मुख्यालय का मानना है कि पुलिस विभाग में नियुक्ति प्राप्त करने के लिए महिलाओं के द्वारा आवेदन किए जाने की संख्या में भी लगातार वृद्धि हुई है. लगातार बिहार पुलिस में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी को देखते हुए अन्य लड़कियां भी उनके जैसे पुलिस विभाग में भर्ती होना चाह रही हैं.

पूजा का मानना है कि बिहार सरकार ने महिलाओं के लिए 35% आरक्षण दिया है, जिस वजह से वह नौकरी करना चाहती हैं. नौकरी करने से आत्मनिर्भर बन पाएंगी और अपने परिवार को भी मदद कर पाएंगी. उन्होंने कहा कि महिलाओं की नौकरी में आने से घरेलू हिंसा में जरूर कमी आ रही है.

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वहीं, दूसरी लड़की अर्चना की माने तो राज्य सरकार ने महिलाओं के लिए 35% का आरक्षण दिया है, जिससे उन्हें उम्मीद है कि वह भी नौकरी कर सकती हैं. उन्हें नौकरी करवाने के लिए उनके गार्जियन भी सहमत हैं, जिस वजह से वह नौकरी के लिए तैयारियां भी कर रही हैं. पहले जहां लड़कियों की शादी 18 वर्ष के पहले या उस समय कर दिया जाता था, अब हमें गार्जियन के द्वारा पढ़ने और नौकरी करने का समय मिल रहा है. उनका मानना है कि जब पति और पत्नी दोनों नौकरी करेंगे तो घरेलू हिंसा में भी जरूर कमी आएगी. नौकरी करने से महिलाएं आत्मनिर्भर बन पाएंगे और पुरुषों पर डिपेंड नहीं रहेंगी.

वहीं, अपरिचिता कुमारी का मानना है कि सरकार ने जो मौका लड़कियों को दिया है उसका हम लोग भरपूर फायदा उठा रहे हैं. हम लोग शिक्षित हैं, जिस वजह से जबरदस्ती हमारी शादियां भी कम उम्र में नहीं हो रही है. सरकारी नौकरी में आने के बाद हम आत्मनिर्भर बन पाएंगे और हमारे परिवार भी हम पर गर्व करेगा.

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बता दें कि राज्य सरकार ने सरकारी विभागों में 35% का आरक्षण महिलाओं को दिया है. अन्य विभागों की तुलना में बिहार पुलिस में ज्यादातर महिलाएं आना चाह रही हैं. जिस वजह से भारत के सभी राज्यों की तुलना में सबसे ज्यादा महिला पुलिसकर्मी बिहार में है. बिहार में कुल पुलिस बल की क्षमता 91862 है, जिसमें से महिला पुलिस पदाधिकारी कर्मियों की वर्तमान संख्या 23245 है, जो कि वर्तमान बल की क्षमता का 25.30% है, जिसे 35% करने हेतु लगातार पुलिसकर्मियों की बहाली भी निकाली जा रही है.

सरकारी विभागों को विशेषकर पुलिस विभाग में महिलाओं की नियुक्ति से राज्य की महिलाओं में आत्मनिर्भरता बढ़ी है. महिलाओं में पुलिस विभाग में नियुक्ति के अवसर मिलने के कारण और उनके लिए आरक्षण की व्यवस्था होने के कारण न सिर्फ शहरी क्षेत्र की महिलाएं बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों और सुदूर क्षेत्रों की शिक्षित महिलाओं में भी पुलिस में भर्ती होने की उत्सुकता बढ़ी है. निसंदेह यह कहा जा सकता है कि राज्य की महिलाओं के सशक्तिकरण को बढ़ावा मिला है.

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