पटना: बिहार पुलिस ने पटना में इमरजेंसी रिस्पांस सपोर्ट सिस्टम (ERSS) डायल 112 (Emergency helpline number in Bihar) का ट्रायल शुरू (Dial 112 Trial in Patna) किया. ट्रायल को शुरू करने के लिए पुलिस रेडियो मुख्यालय परिसर में कंट्रोल रूम (Police Control Room number in Patna) बनाया गया है. पुलिस अधिकारियों ने बताया कि कोई भी इमरजेंसी होने पर सिर्फ एक कॉल पर 15 मिनट में पुलिस मदद के लिए पहुंचेगी.
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कंट्रोल रूम के एक पुलिस अधिकारी ने कहा, "सिर्फ एक कॉल पर अपराध की घटनाओं, आग, सड़क दुर्घटनाओं आदि जैसी आपात स्थिति पर घटना से संबंधित सेवा मिलेंगी. हमने पटना की सड़कों पर 30 आपातकालीन प्रतिक्रिया वाहन (ईआरवी) तैनात किए हैं, जो 15 मिनट के भीतर घटनास्थल पर पहुंचने में सक्षम हैं. हालांकि, हमने ईआरवी के लिए 25 मिनट के भीतर मौके पर पहुंचने का लक्ष्य तय किया है. साल के 365 दिन, 24 घंटे यह सिस्टम एक्टिव रहेगा. राज्य में कहीं से भी कॉल किए जाने पर कंट्रोल रूम के कर्मी इसे जरूरत के हिसाब से पुलिस, अस्पताल या फायर ब्रिगेड को ट्रांसफर कर देंगे. ट्रायल सफल होने के बाद, हम इसे बिहार के सभी 38 जिलों में लागू करेंगे."
डायल 112 के तहत 90 फोन लाइन्स 24 घंटे चालू : बता दें कि डायल 112 के तहत 90 फोन लाइन्स 24 घंटे चालू हैं. 270 महिला जवान तीन शिफ्ट में काम करेंगी. इनके अलावा, 100 अधिकारी और कर्मी भी शामिल हैं. फिलहाल, इन सभी डायल 112 की गाड़ियों को ट्रायल बेसिस पर अलग-अलग इलाकों में पेट्रोलिंग की जा रही है. 112 डायल करने पर पटना पुलिस की विशेष टीम आपकी मदद के लिए हाजिर हो जाएगी. डायल 112 के तहत सभी गाडियों में जीपीएस लगा रहेगा जिसके माध्यम से यह मॉनिटरिंग भी किया जाएगा कि, सही समय पर पुलिस द्वारा रिस्पॉन्स दिया जा रहा है या नहीं.
"राज्य में अभी अलग-अलग इमरजेंसी सेवाओं के लिए अलग-अलग नंबर हैं. पुलिस के लिए 100, फायर ब्रिगेड के लिए 101 और एंबुलेंस के लिए 102 इमरजेंसी नंबर डायल करना होता है. नया सिस्टम लांच होने के बाद इमरजेंसी सेवा के लिए एक ही नंबर 112 डायल करना होगा. ईआरएसएस योजना को यूं तो राज्य भर में लागू करना है, मगर पहले चरण में पटना में इसका ट्रायल शुरू हुआ है. इसके बाद धीरे-धीरे बाकि जिलों में इसका विस्तार होगा." - जितेंद सिंह गंगवार, एडीजी, पुलिस मुख्यालय
बता दें कि, केंद्र सरकार ने दिल्ली में दिसंबर, 2012 में हुई निर्भया कांड के बाद नेशनल इमर्जेंसी रिस्पांस सिस्टम (एनईआरएस) के गठन की अनुशंसा की थी. गृह मंत्रालय ने सभी राज्यों को भी इससे संबंधित प्रणाली विकसित करने के लिए कहा था. बिहार में इस प्रणाली को स्थापित करने के लिए पिछले चार-पांच वर्षों से कवायद चल रही है, लेकिन कंट्रोल सेंटर बनाने के लिए जमीन की समस्या समेत अन्य कई कारणों से इसे शुरू करने में दिक्कतें आ रही थीं.
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