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ओमीक्रोन से बचाव के लिए विशेषज्ञों ने की 'बूस्टर डोज' की डिमांड, जानिए ये क्यों है जरूरी

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Published : Dec 1, 2021, 9:20 PM IST

दक्षिण अफ्रीका में मिले कोरोना के नए वेरिएंट ओमीक्रोन (Omicron New Variant) ने एक बार फिर लोगों की चिंता बढ़ा दी है. कोरोना का नया स्ट्रेन लगातार दूसरे देशों में मिल रहा है. जिसके बाद अब माइक्रो बायोलॉजी के एक्सपर्ट सरकार से वैक्सीन का बूस्टर डोज (Vaccine Booster Dose) देने की डिमांड कर रहे हैं. पढ़ें ये रिपोर्ट..

कोरोना वैक्सीन का बूस्टर डोज
कोरोना वैक्सीन का बूस्टर डोज

पटना: कोरोना का नया वेरिएंट ओमीक्रोन (New Variant of Corona Omicron) दुनिया भर की चिंता बढ़ा रहा है. दुनिया के जिन देशों में ओमीक्रोन (Omicron) के मामले सामने आए हैं, वहां यह भी देखने को मिला है कि वैक्सीन का दोनों डोज लेने वाले भी संक्रमित हुए हैं. अब माइक्रो बायोलॉजी के एक्सपर्ट सरकार से डिमांड कर रहे हैं कि जिन लोगों ने काफी पहले वैक्सीन के दोनों डोज ले लिए हैं. उन लोगों को वैक्सीन का बूस्टर डोज (Booster Dose of Corona Vaccine) देने की शुरुआत कर देनी चाहिए.

ये भी पढ़ें- Corona Virus New Variant Omicron : भारत में महामारी की तीसरी लहर का बन सकता है कारण, जानिए क्या कहते हैं विशेषज्ञ

देश में कोरोना वैक्सीन के दोनों डोज (Both doses of Corona Vaccine) लेने वाले खुद को कोरोना से सुरक्षित मानते हुए गाइडलाइंस का पालन नहीं कर रहे हैं, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि अभी भी हमें कोरोना गाइडलाइंस का गंभीरता से पालन करने की जरूरत है और चेहरे पर मास्क के साथ हैंड हाइजीन करना भी बेहद जरूरी है. पीएमसीएच (PMCH) के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष और वर्तमान में प्रोफेसर डॉक्टर सत्येंद्र नारायण सिंह ने कहा कि कोरोना के वैक्सीनेशन की शुरुआत 16 जनवरी से हुई थी और जब इसकी शुरुआत हुई थी तब 28 दिन पर दूसरा डोज दे दिया जाता था. ऐसे में अब इन लोगों को बूस्टर डोज देने की आवश्यकता आ गई है.

देखें रिपोर्ट

''किसी भी वैक्सीन को जब किसी व्यक्ति में लगाया जाता है तो उसकी एंटीबॉडी 3 महीने में पीक पर होती है. वैक्सीन लगते ही एंटीबॉडी बनने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है, लेकिन 14 दिन से वह ब्लड में आ जाता है और धीरे-धीरे यह एंटीबॉडी अपनी पिक पर जाने में 3 महीने का समय लेती है. इसी थ्योरी को ध्यान में रखते हुए वैक्सीनेशन अभियान की शुरुआत होने के बाद कोविशील्ड वैक्सीन के एक डोज से दूसरे डोज के बीच का अंतराल बढ़ाकर लगभग 3 महीने का किया गया, ताकि जब एंटीबॉडी पिक पर हो उसी वक्त वैक्सीन देकर एंटीबॉडी को और हाई किया जाए.''- डॉक्टर सत्येंद्र नारायण सिंह, पूर्व विभागाध्यक्ष, PMCH माइक्रोबायोलॉजी विभाग

ये भी पढ़ें- Omicron Variant : पहले पढ़ लें... तब हवाई यात्रा करें, पटना एयरपोर्ट पर बदला गया है कोरोना जांच का नियम

डॉ. एस एन सिंह ने कहा कि किसी भी वैक्सीन के वैक्सीनेशन से क्रिएट की गई एंटीबॉडी 6 महीने बाद शरीर से कम होने लगती है और 9 से 10 महीने में एंटीबॉडी फॉल करके 0 पर चला जाता है. हालांकि, वैक्सीनेशन से शरीर के टी सेल में मेमोरी स्टोर हो जाती है, जो आगे बीमारी से लड़ने में काफी मदद करता है, लेकिन अगर एंटीबॉडी बढ़ाने के लिए बूस्टर डोज दिया जाए तो यह काफी फायदेमंद होता है.

उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने शुरू में अपना वैक्सीनेशन लिया है, खासकर हेल्थ केयर वर्कर उनकी एंटीबॉडी अब फॉलिंग ट्रेंड में है. थोड़ी बहुत एंटीबॉडी शरीर के सेल्यूलर इम्यूनिटी में मिलेगी, इससे भी बचाव हो सकता है. कोरोना का नया स्ट्रेन (New Strain of Corona) ओमीक्रोन के बारे में अभी तक जो कुछ रिपोर्ट आ रही हैं, उससे यह पता लग रहा है कि यह बहुत अधिक संक्रामक है. ऐसे में जिन लोगों के शरीर का एंटीबॉडी फॉल हो रहा है उन्हें बूस्टर डोज लगवाने की आवश्यकता है.

ये भी पढ़ें- Covid 19 New Variant Omicron : भारतीयों के लिए कितना खतरनाक, जानिए क्या कहते हैं विशेषज्ञ

उन्होंने कहा कि किसी भी वैक्सीन का बूस्टर डोज लगाने का नियम है कि वैक्सीन लिए हुए अगर 12 महीने हो गए हैं तो वैक्सीन का बूस्टर डोज लगवा लेना चाहिए, लेकिन 9 महीने बाद भी बूस्टर डोज लगवाया जा सकता है. बूस्टर डोज के लिए किसी भी कंपनी का वैक्सीन लगवा सकते हैं और यह सुरक्षित है. अगर किसी ने कोविशिल्ड का दोनों डोज लगवाया है, तो वह कोवैक्सीन का भी बूस्टर डोज ले सकता है और यदि कोई कोवैक्सीन का दोनों डोज लगवाया है तो कोविशिल्ड का भी बूस्टर डोज ले सकता है. यह कई रिसर्च में सिद्ध हो चुका है कि वैक्सीन के कंपनी चेंज करने से कोई दुष्प्रभाव शरीर पर नहीं पड़ता है.

बता दें कि एक तरफ विशेषज्ञ बूस्टर डोज की शुरुआत करने की मांग कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ सरकार कि इसको लेकर कोई तैयारी नहीं है. हालांकि, सरकार अभी प्लानिंग कर रही है कि बूस्टर डोज की शुरुआत की जाए और शुरुआती फेज में स्वास्थ्य कर्मियों और फ्रंटलाइन कर्मियों को बूस्टर डोज के लिए शामिल किया जाए.

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पटना: कोरोना का नया वेरिएंट ओमीक्रोन (New Variant of Corona Omicron) दुनिया भर की चिंता बढ़ा रहा है. दुनिया के जिन देशों में ओमीक्रोन (Omicron) के मामले सामने आए हैं, वहां यह भी देखने को मिला है कि वैक्सीन का दोनों डोज लेने वाले भी संक्रमित हुए हैं. अब माइक्रो बायोलॉजी के एक्सपर्ट सरकार से डिमांड कर रहे हैं कि जिन लोगों ने काफी पहले वैक्सीन के दोनों डोज ले लिए हैं. उन लोगों को वैक्सीन का बूस्टर डोज (Booster Dose of Corona Vaccine) देने की शुरुआत कर देनी चाहिए.

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देश में कोरोना वैक्सीन के दोनों डोज (Both doses of Corona Vaccine) लेने वाले खुद को कोरोना से सुरक्षित मानते हुए गाइडलाइंस का पालन नहीं कर रहे हैं, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि अभी भी हमें कोरोना गाइडलाइंस का गंभीरता से पालन करने की जरूरत है और चेहरे पर मास्क के साथ हैंड हाइजीन करना भी बेहद जरूरी है. पीएमसीएच (PMCH) के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष और वर्तमान में प्रोफेसर डॉक्टर सत्येंद्र नारायण सिंह ने कहा कि कोरोना के वैक्सीनेशन की शुरुआत 16 जनवरी से हुई थी और जब इसकी शुरुआत हुई थी तब 28 दिन पर दूसरा डोज दे दिया जाता था. ऐसे में अब इन लोगों को बूस्टर डोज देने की आवश्यकता आ गई है.

देखें रिपोर्ट

''किसी भी वैक्सीन को जब किसी व्यक्ति में लगाया जाता है तो उसकी एंटीबॉडी 3 महीने में पीक पर होती है. वैक्सीन लगते ही एंटीबॉडी बनने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है, लेकिन 14 दिन से वह ब्लड में आ जाता है और धीरे-धीरे यह एंटीबॉडी अपनी पिक पर जाने में 3 महीने का समय लेती है. इसी थ्योरी को ध्यान में रखते हुए वैक्सीनेशन अभियान की शुरुआत होने के बाद कोविशील्ड वैक्सीन के एक डोज से दूसरे डोज के बीच का अंतराल बढ़ाकर लगभग 3 महीने का किया गया, ताकि जब एंटीबॉडी पिक पर हो उसी वक्त वैक्सीन देकर एंटीबॉडी को और हाई किया जाए.''- डॉक्टर सत्येंद्र नारायण सिंह, पूर्व विभागाध्यक्ष, PMCH माइक्रोबायोलॉजी विभाग

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डॉ. एस एन सिंह ने कहा कि किसी भी वैक्सीन के वैक्सीनेशन से क्रिएट की गई एंटीबॉडी 6 महीने बाद शरीर से कम होने लगती है और 9 से 10 महीने में एंटीबॉडी फॉल करके 0 पर चला जाता है. हालांकि, वैक्सीनेशन से शरीर के टी सेल में मेमोरी स्टोर हो जाती है, जो आगे बीमारी से लड़ने में काफी मदद करता है, लेकिन अगर एंटीबॉडी बढ़ाने के लिए बूस्टर डोज दिया जाए तो यह काफी फायदेमंद होता है.

उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने शुरू में अपना वैक्सीनेशन लिया है, खासकर हेल्थ केयर वर्कर उनकी एंटीबॉडी अब फॉलिंग ट्रेंड में है. थोड़ी बहुत एंटीबॉडी शरीर के सेल्यूलर इम्यूनिटी में मिलेगी, इससे भी बचाव हो सकता है. कोरोना का नया स्ट्रेन (New Strain of Corona) ओमीक्रोन के बारे में अभी तक जो कुछ रिपोर्ट आ रही हैं, उससे यह पता लग रहा है कि यह बहुत अधिक संक्रामक है. ऐसे में जिन लोगों के शरीर का एंटीबॉडी फॉल हो रहा है उन्हें बूस्टर डोज लगवाने की आवश्यकता है.

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उन्होंने कहा कि किसी भी वैक्सीन का बूस्टर डोज लगाने का नियम है कि वैक्सीन लिए हुए अगर 12 महीने हो गए हैं तो वैक्सीन का बूस्टर डोज लगवा लेना चाहिए, लेकिन 9 महीने बाद भी बूस्टर डोज लगवाया जा सकता है. बूस्टर डोज के लिए किसी भी कंपनी का वैक्सीन लगवा सकते हैं और यह सुरक्षित है. अगर किसी ने कोविशिल्ड का दोनों डोज लगवाया है, तो वह कोवैक्सीन का भी बूस्टर डोज ले सकता है और यदि कोई कोवैक्सीन का दोनों डोज लगवाया है तो कोविशिल्ड का भी बूस्टर डोज ले सकता है. यह कई रिसर्च में सिद्ध हो चुका है कि वैक्सीन के कंपनी चेंज करने से कोई दुष्प्रभाव शरीर पर नहीं पड़ता है.

बता दें कि एक तरफ विशेषज्ञ बूस्टर डोज की शुरुआत करने की मांग कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ सरकार कि इसको लेकर कोई तैयारी नहीं है. हालांकि, सरकार अभी प्लानिंग कर रही है कि बूस्टर डोज की शुरुआत की जाए और शुरुआती फेज में स्वास्थ्य कर्मियों और फ्रंटलाइन कर्मियों को बूस्टर डोज के लिए शामिल किया जाए.

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