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सावधान! अब ऐप जरिए आपकी गाढ़ी कमाई लूट रहे जालसाज, पटना में डॉक्टर के खाते से उड़ाए 86 हजार

बिहार में साइबर फ्रॉड (Cyber Fraud) नए-नए तरीकों को इजाद कर आम इंसान की गाढ़ी कमाई को लूट रहे हैं. बिहार सहित देशभर में साइबर अपराधी इन दिनों ऐनीडेस्क ऐप (Any desk App) के जरिए लोगों को लूट रहे हैं. पढ़ें पूरी रिपोर्ट..

पटना
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Published : Aug 18, 2021, 7:06 PM IST

पटना: राजधानी पटना में एजी कॉलोनी के निवासी डॉ. रजनीश कुमार के खाते से जालसाजों ने ऐनीडेस्क ऐप (Any desk App) के जरिए 86,317 रुपए उड़ा लिए हैं. जिसकी शिकायत उन्होंने साइबर क्राइम सेल (Cyber Crime Cell) और संबंधित बैंक को की है. लेकिन, अब तक उनकी समस्या का समाधान नहीं हो पाया है. दरअसल, कई ऐप की जानकारी आम इंसान को नहीं होने के कारण लोग जालसाजों के चंगुल में फंस जाते हैं और उन्हें अपना पैसा गंवाना पड़ता है.

ये भी पढ़ें- Cyber Crime: बिहार में बढ़ रही साइबर ठगी, सावधानी हटी तो हो जाएगा खाता खाली

साइबर एक्सपर्ट अभिनव सौरभ की मानें तो ऐनीडेस्क ऐप से रिमोट के द्वारा साइबर फ्रॉड किसी भी व्यक्ति के मोबाइल, डेक्सटॉप या लैपटॉप को आसानी से एक्सेस कर लेते हैं. दरअसल, डॉक्टर ने अपनी क्रेडिट कार्ड के बकाया 2000 रुपए को क्रेड एप के माध्यम से जमा किया था. वो रुपए जमा तो हो गये लेकिन बाउंस दिखने लगा. इसके बाद उन्होंने फिर से बकाया राशि को जमा किया. उसके बाद उनको जानकारी मिली कि बाउंस किए गए रुपए जमा हो गए हैं.

जब उन्होंने रिफंड के लिए कस्टमर केयर से कांटेक्ट किया तो साइबर अपराधी ने कस्टमर केयर बनकर उनके खाते से पैसों की निकासी कर ली. जानकारी के अनुसार जैसे ही साइबर अपराधियों ने डॉक्टर रजनीश को ऐप डाउनलोड करने की सलाह दी. वैसे ही ऐनीडेस्क ऐप को अपने मोबाइल में डाउनलोड कर लिया. साइबर फ्रॉड ने रिमोट से एक्सेस कर सारे पैसे उनके खाते से निकाल लिए.

ये भी पढ़ें- Muzaffarpur Crime: बैंकिंग धोखाधड़ी के नए मॉड्यूल का खुलासा, 82 लाख रुपये बरामद, 4 गिरफ्तार

''कोई भी व्यक्ति जो कि खुद को बैंक का स्टाफ या टेक्निकल स्टाफ बताकर आपके प्रॉब्लम को सॉल्व करने की कोशिश करता है, उससे बचने की जरूरत है. कभी भी अगर ऐसी घटना घटित होती है तो वो सीधे बैंक जाकर कांटेक्ट करें. साथ ही साथ वैलिड एप्स को ही चुनकर उसका इस्तेमाल करें, अन्यथा लोगों को अपनी गाढ़ी कमाई गंवानी पड़ सकती है.''- अभिनव सौरभ, साइबर एक्सपर्ट

अभिनव सौरभ, साइबर एक्सपर्ट

हालांकि, ऐनीडेस्क ऐप ना तो कोई मलीशस ऐप है और ना ही इसमें किसी प्रकार का खतरा है. आईटी सेक्टर में काम करने वाले प्रोफेशनल्स के लिए ये ऐप काफी काम का है क्योंकि ये किसी भी मोबाइल और लैपटॉप तो कहीं से भी ऐक्सेस करने की सहूलियत देता है. लेकिन, साइबर ठग इसके जरिए लोगों की गाढ़ी कमाई को लूटने का काम कर रहे हैं. स्क्रीन शेयर होने के साथ जालसाज यूजर की मोबाइल और कंप्यूटर एक्टिविटी को मॉनिटर करते हैं. ये बैंक डीटेल चोरी करने का सबसे आसान तरीका है.

स्क्रीन शेयर करने वाले किसी भी ऐप को डाउनलोड करने से पहले उसके काम करने के तरीके को ढंग से समझ लेना चाहिए. बिना जानकारी ये ऐप यूजर को नुकसान पहुंचा सकते हैं. इसके साथ ही इस बात का ध्यान रखें कि कोई भी बैंक अपने ग्राहकों को कभी भी ऐप डाउनलोड करने के लिए नहीं कहता है.

पटना: राजधानी पटना में एजी कॉलोनी के निवासी डॉ. रजनीश कुमार के खाते से जालसाजों ने ऐनीडेस्क ऐप (Any desk App) के जरिए 86,317 रुपए उड़ा लिए हैं. जिसकी शिकायत उन्होंने साइबर क्राइम सेल (Cyber Crime Cell) और संबंधित बैंक को की है. लेकिन, अब तक उनकी समस्या का समाधान नहीं हो पाया है. दरअसल, कई ऐप की जानकारी आम इंसान को नहीं होने के कारण लोग जालसाजों के चंगुल में फंस जाते हैं और उन्हें अपना पैसा गंवाना पड़ता है.

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साइबर एक्सपर्ट अभिनव सौरभ की मानें तो ऐनीडेस्क ऐप से रिमोट के द्वारा साइबर फ्रॉड किसी भी व्यक्ति के मोबाइल, डेक्सटॉप या लैपटॉप को आसानी से एक्सेस कर लेते हैं. दरअसल, डॉक्टर ने अपनी क्रेडिट कार्ड के बकाया 2000 रुपए को क्रेड एप के माध्यम से जमा किया था. वो रुपए जमा तो हो गये लेकिन बाउंस दिखने लगा. इसके बाद उन्होंने फिर से बकाया राशि को जमा किया. उसके बाद उनको जानकारी मिली कि बाउंस किए गए रुपए जमा हो गए हैं.

जब उन्होंने रिफंड के लिए कस्टमर केयर से कांटेक्ट किया तो साइबर अपराधी ने कस्टमर केयर बनकर उनके खाते से पैसों की निकासी कर ली. जानकारी के अनुसार जैसे ही साइबर अपराधियों ने डॉक्टर रजनीश को ऐप डाउनलोड करने की सलाह दी. वैसे ही ऐनीडेस्क ऐप को अपने मोबाइल में डाउनलोड कर लिया. साइबर फ्रॉड ने रिमोट से एक्सेस कर सारे पैसे उनके खाते से निकाल लिए.

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''कोई भी व्यक्ति जो कि खुद को बैंक का स्टाफ या टेक्निकल स्टाफ बताकर आपके प्रॉब्लम को सॉल्व करने की कोशिश करता है, उससे बचने की जरूरत है. कभी भी अगर ऐसी घटना घटित होती है तो वो सीधे बैंक जाकर कांटेक्ट करें. साथ ही साथ वैलिड एप्स को ही चुनकर उसका इस्तेमाल करें, अन्यथा लोगों को अपनी गाढ़ी कमाई गंवानी पड़ सकती है.''- अभिनव सौरभ, साइबर एक्सपर्ट

अभिनव सौरभ, साइबर एक्सपर्ट

हालांकि, ऐनीडेस्क ऐप ना तो कोई मलीशस ऐप है और ना ही इसमें किसी प्रकार का खतरा है. आईटी सेक्टर में काम करने वाले प्रोफेशनल्स के लिए ये ऐप काफी काम का है क्योंकि ये किसी भी मोबाइल और लैपटॉप तो कहीं से भी ऐक्सेस करने की सहूलियत देता है. लेकिन, साइबर ठग इसके जरिए लोगों की गाढ़ी कमाई को लूटने का काम कर रहे हैं. स्क्रीन शेयर होने के साथ जालसाज यूजर की मोबाइल और कंप्यूटर एक्टिविटी को मॉनिटर करते हैं. ये बैंक डीटेल चोरी करने का सबसे आसान तरीका है.

स्क्रीन शेयर करने वाले किसी भी ऐप को डाउनलोड करने से पहले उसके काम करने के तरीके को ढंग से समझ लेना चाहिए. बिना जानकारी ये ऐप यूजर को नुकसान पहुंचा सकते हैं. इसके साथ ही इस बात का ध्यान रखें कि कोई भी बैंक अपने ग्राहकों को कभी भी ऐप डाउनलोड करने के लिए नहीं कहता है.

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