पटना: छात्र जनशक्ति परिषद के गठन से पहले तेजप्रताप यादव (Tej Pratap Yadav) ने आरजेडी दफ्तर में अकेले जनता दरबार लगाकर, लोकसभा चुनाव में अपना उम्मीदवार उतारकर और हाल में जगदानंद सिंह (Jagdanand Singh) के खिलाफ बयान देकर पार्टी के लिए दिक्कतें खड़ी की थीं, लेकिन इस बार तो हद हो गई. तेजप्रताप ने सार्वजनिक मंच से आरोप लगाया कि उनके पिता (लालू यादव) को कुछ लोगों ने 'बंधक' बना लिया है. ऐसा करने वाले 4-5 लोग हैं, जोकि पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने का ख्वाब देख रहे हैं. उनके निशाने पर जाहिर तौर पर तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) हैं. इसके साथ ही उन्होंने यह बयान देकर परिवार के अंदर पार्टी का 'बॉस' बनने के लिए छिड़ी जंग को सबके सामने ला दिया है.
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बीजेपी (BJP) और जेडीयू (JDU) ने इसे लालू परिवार में मुलायम-अखिलेश की तर्ज पर छिड़ी जंग करार दिया है. बिहार बीजेपी के प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल ने कहा कि जिस तरह से बड़े भाई को दरकिनार कर छोटे भाई को सब कुछ दे दिया गया, उसका नतीजा तो यही होना था. उन्होंने कहा कि तेज प्रताप को उनके छोटे भाई ने कहीं का नहीं छोड़ा. यही वजह है कि वह अपना दर्द बयां कर रहे हैं.
वहीं, जेडीयू नेता निखिल मंडल ने कहा कि यूपी में अखिलेश सिंह यादव ने जबरदस्ती पिता की विरासत पर कब्जा जमाया और उसका नतीजा हम सब ने देखा. इधर जिस प्रकार से राष्ट्रीय जनता दल पर कब्जे की कोशिश परिवार के ही लोग कर रहे हैं, उससे लालू परिवार की और आरजेडी की इतनी बुरी दशा हो गई है.
हालांकि राष्ट्रीय जनता दल का कोई भी नेता इस बारे में कुछ भी कहने से बच रहा है. प्रदेश प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने इसे लेकर बीजेपी और जेडीयू पर पलटवार किया है. उन्होंने कहा कि जिन लोगों को जनता ने नकार दिया है, वे सिर्फ लालू परिवार के खिलाफ आग उगलकर अपनी राजनीतिक रोटी सेक रहे हैं. आरजेडी नेता ने आरोप लगाया कि जनता से जुड़े मुद्दों पर जवाब देने की बजाय एनडीए (NDA) के नेता ऐसे मामलों को हवा दे रहे हैं, जिनसे जनता का कोई लेना-देना नहीं है.
आपको बताएं कि राष्ट्रीय जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव चारा घोटाला मामले में फिलहाल जमानत पर हैं. लंबे समय से बीमार लालू ने पार्टी की पूरी जिम्मेदारी तेजस्वी यादव को सौंप रखी है. इधर तेज प्रताप यादव को छात्र आरजेडी का संचालन करने से भी रोक दिया गया है. यही नहीं, उन्हें 'लालटेन' चुनाव चिह्न का इस्तेमाल करने से भी मना किया गया है. खुद तेजप्रताप ने इस बात की पुष्टि की है कि उन्हें उनके पिता ने लालटेन की बजाए बांसुरी चुनाव चिह्न का इस्तेमाल करने को कहा है. इसलिए वे बांसुरी चिह्न छात्र जनशक्ति परिषद के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं, लेकिन वह अपने पिता का इंतजार कर रहे हैं कि वे कब पटना आएंगे और उनके घर का दरवाजा आम लोगों के लिए हमेशा खुला मिलेगा.
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वैसे बिहार की सियासत पर नजर डालें तो इसके पहले लोक जनशक्ति पार्टी भी खासा विवादों में है. रामविलास पासवान के निधन के बाद उनके बेटे चिराग पासवान और भाई पशुपति पारस में विरासत की लड़ाई चल रही है. इधर अब आरजेडी में सियासी विरासत की लड़ाई ने यूपी की अखिलेश-मुलायम परिवार और एलजेपी के चिराग-पारस की लड़ाई की कहानी की याद दिला दी है.
ऐसे में अब इंतजार आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव का हो रहा है. इसी महीने बिहार विधानसभा की 2 सीटों पर होने वाले उपचुनाव से पहले लालू यादव के बिहार आने की संभावना है. इस बात को लेकर भी लोगों की नजरें टिकी हैं कि लालू के आने से क्या दोनों बेटों के बीच छिड़ा विवाद खत्म हो पाएगा.