पटना: राजधानी से मात्र 35 किमी की दूरी पर स्थित बिक्रम में 18 वर्षों से बनकर तैयार ट्रामा सेंटर अब खंडहर में तब्दील होता जा रहा है. बावजूद इसके, सरकार या प्रशासन की ओर से कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है. निर्माण के बाद से यहां काम चालू करने के लिए कई घोषणाएं तो हुईं लेकिन, अबतक कुछ नहीं हो पाया है.
जर्जर स्थिति में ट्रामा सेंटर
3 नवंबर 2001 को तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. सी पी ठाकुर ने करोड़ों की लागत से इस ट्रामा सेंटर की आधारशिला रखी थी, जो लगभग 2 वर्षों में बनकर तैयार हो गया था. लेकिन, उसके बाद केंद्र में सरकार बदल गई और उसके साथ ही ट्रामा सेंटर का काम भी ठहर गया. लगभग 18 वर्ष बीत जाने के बाद भी इस सेंटर का उद्घाटन नहीं हो सका. इस वजह से सेंटर में लाए गए कई उपकरण जंग लगने की वजह से बर्बादी की कगार पर हैं. पोर्टेबल एक्स-रे मशीन सहित कई महंगे उपकरण पूरी तरह से खराब हो चुके हैं. सेंटर के भवन में जगह-जगह पर दरारें पड़ गई हैं. आक्समिक दुर्घटना की स्थिति के लिए यहां रखा गया एंबुलेंस उपयोग नहीं होने की वजह से जर्जर हो चुका है. उसपर धूल की मोटी परत जम गई है.
ट्रामा सेंटर का मुख्य उद्देश्य
इस ट्रामा सेंटर को बनाने का मुख्य उद्देश्य हाइवे, स्टेट हाइवे, सोन नहर मार्ग पर हुए दुर्घटनाओं में घायल यात्रियों का त्वरित उपचार करना था. इस सेंटर को अत्याधिक रक्तस्राव होने पर रक्त चढ़ाने, संवेदनशील अंगों के चोट का स्कैन करने और अंग काटे जाने पर त्वरित अध्यारोपण या संक्रमण मुक्त करने के लिए तैयार किया गया था. इन सब चीजों से संबंधित उपकरणों को भी यहां रखा गया था, जो कि अब बुरी तरह से खराब हो चुके हैं.
सेंटर के उद्घाटन की आस
इस लोकसभा चुनाव में भी बिक्रम के मतदाताओं ने ट्रामा सेंटर के मुद्दे को उठाया था. लेकिन, चुनाव के बाद कोई कार्रवाई नहीं हुई. बता दें कि उसी भवन में बिक्रम पीएचसी का कार्य होता है, जहां पिछले 6 महीने से मरीजों के लिए पेयजल तक की सुविधा उपलब्ध नहीं है. बिक्रम प्राथमिक स्वास्थ्य चिकित्सा प्रभारी सुरेंद्र कुमार चौधरी ने बताया कि 6 महीने पहले फिर से इस ट्रामा सेंटर के उद्घाटन की आस जगी थी, क्योंकि विभाग ने ट्रामा सेंटर से रिपोर्ट मांगा था. समय सीमा के पहले ही उस रिपोर्ट को विभाग को भेज दिया गया है.