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पटना: 18 वर्ष पहले बना था ट्रामा सेंटर, उद्घाटन नहीं होने की वजह से खंडहर में हुआ तब्दील

3 नवंबर 2001 को तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. सी पी ठाकुर ने करोड़ों की लागत से ट्रामा सेंटर की आधारशिला रखी थी, जो लगभग 2 वर्षों में बनकर तैयार हो गया था. लेकिन, उसके बाद केंद्र में सरकार बदल गई और उसके साथ ही ट्रामा सेंटर का काम भी ठहर गया.

गेट
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Published : Oct 4, 2019, 9:18 PM IST

पटना: राजधानी से मात्र 35 किमी की दूरी पर स्थित बिक्रम में 18 वर्षों से बनकर तैयार ट्रामा सेंटर अब खंडहर में तब्दील होता जा रहा है. बावजूद इसके, सरकार या प्रशासन की ओर से कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है. निर्माण के बाद से यहां काम चालू करने के लिए कई घोषणाएं तो हुईं लेकिन, अबतक कुछ नहीं हो पाया है.

पटना
ट्रामा सेंटर के छतों की हालत

जर्जर स्थिति में ट्रामा सेंटर
3 नवंबर 2001 को तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. सी पी ठाकुर ने करोड़ों की लागत से इस ट्रामा सेंटर की आधारशिला रखी थी, जो लगभग 2 वर्षों में बनकर तैयार हो गया था. लेकिन, उसके बाद केंद्र में सरकार बदल गई और उसके साथ ही ट्रामा सेंटर का काम भी ठहर गया. लगभग 18 वर्ष बीत जाने के बाद भी इस सेंटर का उद्घाटन नहीं हो सका. इस वजह से सेंटर में लाए गए कई उपकरण जंग लगने की वजह से बर्बादी की कगार पर हैं. पोर्टेबल एक्स-रे मशीन सहित कई महंगे उपकरण पूरी तरह से खराब हो चुके हैं. सेंटर के भवन में जगह-जगह पर दरारें पड़ गई हैं. आक्समिक दुर्घटना की स्थिति के लिए यहां रखा गया एंबुलेंस उपयोग नहीं होने की वजह से जर्जर हो चुका है. उसपर धूल की मोटी परत जम गई है.

पटना
सेंटर में बेड की स्थिति
पटना
छत से लटका हुआ ट्यूबलाइट

ट्रामा सेंटर का मुख्य उद्देश्य
इस ट्रामा सेंटर को बनाने का मुख्य उद्देश्य हाइवे, स्टेट हाइवे, सोन नहर मार्ग पर हुए दुर्घटनाओं में घायल यात्रियों का त्वरित उपचार करना था. इस सेंटर को अत्याधिक रक्तस्राव होने पर रक्त चढ़ाने, संवेदनशील अंगों के चोट का स्कैन करने और अंग काटे जाने पर त्वरित अध्यारोपण या संक्रमण मुक्त करने के लिए तैयार किया गया था. इन सब चीजों से संबंधित उपकरणों को भी यहां रखा गया था, जो कि अब बुरी तरह से खराब हो चुके हैं.

खंडहर में तब्दील हुआ ट्रामा सेंटर

सेंटर के उद्घाटन की आस
इस लोकसभा चुनाव में भी बिक्रम के मतदाताओं ने ट्रामा सेंटर के मुद्दे को उठाया था. लेकिन, चुनाव के बाद कोई कार्रवाई नहीं हुई. बता दें कि उसी भवन में बिक्रम पीएचसी का कार्य होता है, जहां पिछले 6 महीने से मरीजों के लिए पेयजल तक की सुविधा उपलब्ध नहीं है. बिक्रम प्राथमिक स्वास्थ्य चिकित्सा प्रभारी सुरेंद्र कुमार चौधरी ने बताया कि 6 महीने पहले फिर से इस ट्रामा सेंटर के उद्घाटन
की आस जगी थी, क्योंकि विभाग ने ट्रामा सेंटर से रिपोर्ट मांगा था. समय सीमा के पहले ही उस रिपोर्ट को विभाग को भेज दिया गया है.

पटना: राजधानी से मात्र 35 किमी की दूरी पर स्थित बिक्रम में 18 वर्षों से बनकर तैयार ट्रामा सेंटर अब खंडहर में तब्दील होता जा रहा है. बावजूद इसके, सरकार या प्रशासन की ओर से कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है. निर्माण के बाद से यहां काम चालू करने के लिए कई घोषणाएं तो हुईं लेकिन, अबतक कुछ नहीं हो पाया है.

पटना
ट्रामा सेंटर के छतों की हालत

जर्जर स्थिति में ट्रामा सेंटर
3 नवंबर 2001 को तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. सी पी ठाकुर ने करोड़ों की लागत से इस ट्रामा सेंटर की आधारशिला रखी थी, जो लगभग 2 वर्षों में बनकर तैयार हो गया था. लेकिन, उसके बाद केंद्र में सरकार बदल गई और उसके साथ ही ट्रामा सेंटर का काम भी ठहर गया. लगभग 18 वर्ष बीत जाने के बाद भी इस सेंटर का उद्घाटन नहीं हो सका. इस वजह से सेंटर में लाए गए कई उपकरण जंग लगने की वजह से बर्बादी की कगार पर हैं. पोर्टेबल एक्स-रे मशीन सहित कई महंगे उपकरण पूरी तरह से खराब हो चुके हैं. सेंटर के भवन में जगह-जगह पर दरारें पड़ गई हैं. आक्समिक दुर्घटना की स्थिति के लिए यहां रखा गया एंबुलेंस उपयोग नहीं होने की वजह से जर्जर हो चुका है. उसपर धूल की मोटी परत जम गई है.

पटना
सेंटर में बेड की स्थिति
पटना
छत से लटका हुआ ट्यूबलाइट

ट्रामा सेंटर का मुख्य उद्देश्य
इस ट्रामा सेंटर को बनाने का मुख्य उद्देश्य हाइवे, स्टेट हाइवे, सोन नहर मार्ग पर हुए दुर्घटनाओं में घायल यात्रियों का त्वरित उपचार करना था. इस सेंटर को अत्याधिक रक्तस्राव होने पर रक्त चढ़ाने, संवेदनशील अंगों के चोट का स्कैन करने और अंग काटे जाने पर त्वरित अध्यारोपण या संक्रमण मुक्त करने के लिए तैयार किया गया था. इन सब चीजों से संबंधित उपकरणों को भी यहां रखा गया था, जो कि अब बुरी तरह से खराब हो चुके हैं.

खंडहर में तब्दील हुआ ट्रामा सेंटर

सेंटर के उद्घाटन की आस
इस लोकसभा चुनाव में भी बिक्रम के मतदाताओं ने ट्रामा सेंटर के मुद्दे को उठाया था. लेकिन, चुनाव के बाद कोई कार्रवाई नहीं हुई. बता दें कि उसी भवन में बिक्रम पीएचसी का कार्य होता है, जहां पिछले 6 महीने से मरीजों के लिए पेयजल तक की सुविधा उपलब्ध नहीं है. बिक्रम प्राथमिक स्वास्थ्य चिकित्सा प्रभारी सुरेंद्र कुमार चौधरी ने बताया कि 6 महीने पहले फिर से इस ट्रामा सेंटर के उद्घाटन
की आस जगी थी, क्योंकि विभाग ने ट्रामा सेंटर से रिपोर्ट मांगा था. समय सीमा के पहले ही उस रिपोर्ट को विभाग को भेज दिया गया है.

Intro:सियासी दाव पेच के बीच अटक कर रह गया बिक्रम का ट्रामा सेंटर ।
18 वर्षो से ट्रामा सेंटर बनकर है तैयार ,उद्घाटन के आस में उपकरण सहित जर्जर हुआ भवन ।
कड़ोरो के लागत से बना है ट्रामा सेंटर ।


Body: VO1सियासी दाव पेच के बीच अटक कर रह गया बिक्रम का ट्रामा सेंटर ,ट्रामा सेंटर का भवन लगभग 18 वर्ष पूर्व से ही बनकर तैयार है ,और तब से अबतक बहुत से ट्रामा के उपकरण जंग लगने से बर्बादी के कगार पर है ।
3 नवम्बर 2001 में तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ सी पी ठाकुर ने इसकी आधार शिला रखी थी ,जो लगभग दो वर्ष में बनकर तैयार हो गया था ।लेकिन उसके बाद केंद्र में सरकार बदल गई और उसके साथ ही एगे का काम भी ठहर कर रह गया और लगभग 18 वर्ष बीतने के बाद भी ट्रामा सेंटर का उद्घाटन नही हो सका ,जिसके कारण केंद्र सरकार का लगाया गया पैसा बर्बाद हो रहा है ।उस समय ट्रामा सेंटर का लाया गया उपकरण बर्बाद हो रहा है ,उस समय से लेकर आज तक इसके उद्घाटन और यहाँ काम चालू करने के लिए कई घोषणाये हुई लेकिन अभी तक कुछ नही हो पाया है ।एक तरफ सरकार सरकार प्रदेश में कई ट्रामा सेंटर का निर्माण की घोषणा कर चुकी है।लेकिन बिक्रम ट्रामा सेंटर के निर्माण पर करोड़ो रूपये खर्च हो चुका है फिरभी 18 वर्षो से उद्घाटन होने के आस में बाट जोह रहे है ।
VO 2राजधानी से सटे मात्र 35 किलोमीटर दूर स्थित बिक्रम में 18 वर्षो से बन कर तैयार ट्रामा सेंटर जबकि केंद्र और राज्य दोनों में एनडीए की सरकार है फिर भी ट्रामा सेंटर का ड्रामा खत्म नही हो पा रहा है ।लगभग 3 एकड़ भूमि पर उस वक्त डेढ़ करोड़ की लागत से ट्रामा सेंटर का निर्माण कराया गया था NH 139 SH 2 मार्ग पर भयंकर दुर्घटनाओं का शिकार लोगो की जान बचाने के लिए इस मॉडल ट्रामा सेंटर को बनाया गया है परंतु दुर्भाग्यवस इसे इतने वर्षों तक चालू नही किया जा सका ।तत्कालीन डॉ सीपी ठाकुर ने देश मे तीन टर्म सेंटर करोड़ो की लागत से उसी वर्ष अत्याधुनिक चिकित्सा के उपकरण लगाए गये।छह बेड के बने इस सेंटर पर आज तक कोइ काम नही लिया गया ,हालात यह है की भवन में जगह जगह दरारे पड़ गई है उपकरणों में जंग लग गये है ।ट्रामा सेंटर में आकस्मिक दुर्घटनाग्रस्त लोगो को ढोने के लिए रख गया एम्बुलेंस कभी भी उपयोग नही होने से जर्जर हो चुका है साथ ही धूल की मोटी परत जम गई है ,वही यहां रखे गए पोर्टेबल एक्स रे मशीन वयलश मशीन सहित बहुत से अत्याधुनिक मशीन खराब हो चुके है या खरभोने की कगार पर है ।
इस बार भी बिक्रम के ग्रामीणों में आस जगी थी कि केंद्र और राज्य में साझा सरकार है ।बतादे की जल्द से जल्द इस ट्रामा सेंटर को बनाने का मुख उद्देश्य यह था की हाइवे स्टेट हाइवे सोन नहर मार्ग पर हुए दुर्घटनाओं में घायल यात्रियो का त्वरित उपचार किया जा सके ।अत्यधिक रक्तस्राव होने पर रक्त चढ़ाना ,संवेदी अंगों को चोट का स्कैन करना तथा अंग कट जाने पर त्वरित अध्यारोपण या संक्रमण मुक्त करना केंद्र का मुख्य उद्देश्य है ।
बिक्रम ट्रामा सेंटर दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री अटल विहारी वाजपेयी के कार्यकाल में बना था ।लेकिन इस इलाके के लोगो को इस बार भी निराशा ही हाथ लगी है ।
इस लोक सभा चुनाव में भी बिक्रम के मतदाताओं ने ट्रामा सेंटर के मुद्दों को गर्म किया था लेकिन फिर बिक्रम के मतदाताओं ने डॉ सीपी ठाकुर और पाटलिपुत्र संसद रामकृपाल यादव के झांसे में आकर अपने मताधिकार का उनके पक्ष में किया ,वही रामकृपाल यादव चुनाव जीत भी गए केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार भी पूर्ण बहुमत की बनी लेकिन फिर भी बिक्रम के मतदाता अपने आप को ठगे ठगे से महसूस कर रहे है ,। बतादे की उसी भवन में बिक्रम PHC का कार्य होता है जहाँ विगत 6 माह से मरीजों को पेयजल के कोई साधन उपलब्ध नही है ।



Conclusion:बिक्रम प्राथमिक स्वास्थ्य चिकित्सा प्रभारी सुरेंद्र कुमार चौधरी ने बताया कि 6 माह पूर्व फिर से आस जगी थी इस बार ट्रामा सेंटर का उद्घाटन हो जयगा क्योंकि विभाग के द्वारा ट्रामा सेंटर का अघ्तन रिपोर्ट मंगा गया था जो समय सीमा के पहले विभाग को भेज दिया गया है ।
बाइट
1 चिकित्सा प्रभारी (डॉ सुरेंद्र कुमार चौधरी )
2 ग्रामीण (शिव शंकर सिंह)
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