पटना: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज सरकार पार्ट-टू का पहला पूर्णकालिक बजट पेश करेंगी. बिहार के लोगों में भी इस बजट से खास उम्मीदें हैं. लोगों का मानना है कि जब केंद्र और राज्य में एक ही सरकार हो तब इस डबल इंजन सरकार से उम्मीदें ज्यादा बढ़ जाती है. बिहारवासियों के लिए रोजगार और मंहगाई बड़ी समस्या बनकर सामने आई है. ज्यादातर लोग सरकार से रोजगार सृजन करने की मांग करते नजर आ रहे हैं, क्योंकि उनके मुताबिक वायदों के अनुसार रोजगार का सृजन नहीं हो सका है. इस बजट और मोदी सरकार से लोग काफी आशांवित है.
'सरकार प्रयास कर रही है कि यह बजट सभी के लिए अच्छा हो'
बता दें कि वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण वित्त मंत्रालय पहुंच चुकी हैं. वे आज अपना दूसरा बजट पेश करेंगी. बजट से पहले वित्त राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि मोदी सरकार 'सबका साथ, सबका विकास' पर विश्वास करती है. हमें देश भर से सुझाव मिले. सरकार प्रयास कर रही है कि यह बजट सभी के लिए अच्छा हो.
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देश को बजट से बहुत उम्मीदें
वित्त वर्ष 2020-21 के लिए आम बजट आज लोकसभा में पेश किया जाएगा. बजट से देश को बहुत उम्मीदें हैं. सरकार के सामने सुस्त पड़ती अर्थव्यवस्था और जरूरत से कम नई नौकरियों की चुनौती है. बजट में कृषि और किसान, रोजगार, टैक्स स्लैब, बिजनेस क्लास, सर्विस सेक्टर, हेल्थ, एजूकेशन, रेलवे, बैंकिंग, रक्षा, शहरी और ग्रामीण विकास पर खास ध्यान रहेगा. बजट भाषण से पहले, इसके दौरान और बाद शेयर बाजार पर निवेशकों की खास नजर रहेगी.
कब पेश होगा बजट 2020 ?
बजट आज लोकसभा में ठीक सुबह 11 बजे पेश होगा. देश की पहली पूर्णकालिक महिला वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण बजट पेश करेंगी. बता दें कि लोकसभा में बजट बिना चर्चा के ही पारित किया जाता है.
कैसे पेश होगा बजट 2020 ?
आम बजट 2020 पेश करने के लिए सबसे पहले संसद में डॉक्यूमेंट्स लाए जाते हैं. इसके बाद पीएम की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक होती है. इसमें बजट से जुड़े कई अहम फैसले लिए जाते हैं. इसके बाद सबसे पहले लोकसभा में ठीक 11 बजे वित्त मंत्री बजट पेश करते हैं.गौरतलब है कि पिछले साल 2019- 20 के बजट के साथ मध्यम अवधि वित्तीय नीति वक्तव्य भी प्रस्तुत किया गया था. इसमें वर्ष के दौरान राजकोषीय घाटे के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 3.3 प्रतिशत रहने का लक्ष्य रखा गया था. इसके बाद आगे का रास्ता भी इसमें सुझाया गया, जिसके तहत राजोषीय घाटे को 2020- 21 में जीडीपी के तीन प्रतिशत पर लाने और उसके बाद के वर्ष में भी इसी स्तर पर रहने का लक्ष्य तय किया गया है.चालू वित्त वर्ष के पहले आठ माह के दौरान अप्रत्यक्ष कर संग्रह भी अनुमान से कम रहा है. ऐसे में माल एवं सेवाकर (जीएसटी) पर ही केन्द्र और राज्य सरकारों दोनों के लिये संसाधन प्राप्ति का मुख्य स्रोत रह गया है.