पटना: बिहार में राज्यसभा के 5 सीटों पर अगले महीने चुनाव होना है. सभी दलों में प्रत्याशियों के चयन को लेकर माथापच्ची चल रही है लेकिन सबकी नजर आरसीपी सिंह की उम्मीदवारी को लेकर है. केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह (Union Minister RCP Singh) जदयू के वरिष्ठ नेता हैं. उसके बावजूद आरसीपी सिंह राज्यसभा जाएंगे या नहीं, इस पर अभी भी सस्पेंस बना हुआ है. अंदरखाने की बात है कि जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह (JDU National President Lalan Singh) नहीं चाहते आरसीपी सिंह राज्यसभा जायें.
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किसी न किसी का नाराज होना तय: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सभी विधायकों और मंत्रियों के साथ बैठक कर बातचीत की है. सभी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को ही फैसला लेने के लिए अधिकृत किया है. ऐसे में बड़ा सवाल है कि नीतीश कुमार के भरोसेमंद कौन (Nitish Kumar trusted) हैं- आरसीपी सिंह या ललन सिंह. नीतीश कुमार के फैसले से किसी न किसी का नाराज होना तो तय है.
आरसीपी सिंह भरोसेमंद तो ललन सिंह के लिए सॉफ्ट कॉर्नर: बिहार में 10 जून को राज्यसभा की 5 सीटों पर चुनाव होना है. बीजेपी को 2 सीटें, आरजेडी को 2 सीटें और 1 सीट जदयू को मिलेना तय है. आरसीपी सिंह नीतीश कुमार के भरोसेमंद माने जाते हैं. वहीं ललन सिंह को लेकर भी नीतीश कुमार का सॉफ्ट कॉर्नर जगजाहिर है. आरसीपी सिंह के केंद्र में मंत्री बनने के बाद से ललन सिंह नाराज हैं. ललन सिंह भी केंद्रीय मंत्री बनना चाहते थे. कहा जाता है कि इसी खुन्नस के चलते ललन सिंह आरसीपी सिंह के फिर से राज्यसभा भेजने को तैयार नहीं हैं.
नीतीश कुमार के लिए धर्मसंकट वाली स्थिति: इस परिस्थिति में अब नीतीश कुमार के लिए फैसला लेना मुश्किल हो रहा है क्योंकि आरसीपी सिंह को अगर राज्यसभा फिर से भेजते हैं तो ललन सिंह की नाराजगी झेलनी होगी. दूसरी ओर यदि ललन सिंह की बात रखते हैं तो आरसीपी सिंह की नाराजगी स्वाभाविक है. 2 दिन पहले ही मुख्यमंत्री ने पार्टी के नेताओं की बैठक कर राय भी ली है. सभी नेताओं ने एक मत से फैसला लेने के लिए नीतीश कुमार को ही अधिकृत किया है. अब नीतीश कुमार के सामने धर्मसंकट वाली स्थिति पैदा हो गई है.
सवाल यह भी है कि नीतीश के भरोसे पर कौन उतरेंगे- आरसीपी सिंह या फिर ललन सिंह. ऐसे तो मुख्यमंत्री ने कह दिया है कि समय पर राज्यसभा के उम्मीदवार की घोषणा कर दी जाएगी, चिंता करने की जरूरत नहीं है. आरसीपी सिंह को लेकर सस्पेंस बना हुआ है. पार्टी के नेता भी कह रहे हैं कि मुख्यमंत्री को ही अधिकृत किया गया है और मुख्यमंत्री ही फैसला लेंगे.
'राज्यसभा सीट को लेकर यहां कोई फैसला नहीं होगा. यहां तो मुख्यमंत्री कार्यकर्ताओं से ही मिलने आए हैं. राज्यसभा सीट पर फैसला लेने के लिए अलग फोरम है.'-विजय कुमार चौधरी, शिक्षा मंत्री व जेडीयू नेता
'मुख्यमंत्री को ही अधिकृत किया गया है. इसलिए मुख्यमंत्री पार्टी के समर्पित कार्यकर्ता को ही राज्यसभा भेजेंगे.'-भगवान सिंह कुशवाहा, जेडीयू नेता.
'चर्चा तो कई तरह की चल रही है लेकिन उससे पार्टी का कोई लेना-देना नहीं है. जदयू में कोई भी विवाद नहीं है. मुख्यमंत्री को सभी ने फैसला लेने के लिए अधिकृत किया है. मुख्यमंत्री समय पर उम्मीदवार का फैसला करेंगे.' निखिल मंडल, जेडीयू प्रवक्ता.
आरसीपी सिंह पिछले कई वर्षों से नीतीश कुमार के साथ हैं. ललन सिंह भी नीतीश कुमार के साथ लंबे समय से राजनीति में हैं. हालांकि बीच में जरूर विद्रोह कर नीतीश कुमार के खिलाफ चले गए थे. हाल के दिनों में आरसीपी सिंह की बीजेपी से बढ़ी नजदीकियां भी चर्चा में रही हैं. पार्टी के अंदर इसको लेकर भी नाराजगी कहीं न कहीं दिखती रही है. इसके बावजूद केंद्र में जदयू कोटे से एकमात्र मंत्री आरसीपी सिंह ही हैं. यदि उन्हें राज्यसभा नहीं भेजा गया तो मंत्री पद जान तय है. जहां तक भरोसे की बात है तो देखना दिलचस्प होगा कि नीतीश कुमार क्या फैसला लेते हैं.
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