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CM नीतीश कुमार का निर्देश : SC/ST एक्ट के तहत समय सीमा में हो कार्रवाई - nitish kumar says speedy action in sc st act

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार गुरुवार को पटना में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1995 के तहत राज्य स्तरीय सतर्कता और मॉनीटरिंग समिति की बैठक में शामिल हुए. इस दौरान उन्होंने निर्देश दिया कि इस एक्ट के तहत दर्ज मामलों का निष्पादन समय सीमा के अंदर हो.

SC/ST एक्ट के तहत समय सीमा में हो कार्रवाई
SC/ST एक्ट के तहत समय सीमा में हो कार्रवाई
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Published : Dec 23, 2021, 10:38 PM IST

पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ( CM Nitish Kumar) की अध्यक्षता में आज मुख्यमंत्री सचिवालय स्थित संवाद में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1995 के तहत गठित राज्य स्तरीय सतर्कता और मॉनिटरिंग समिति की बैठक की गई. मीटिंग में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति कल्याण विभाग के सचिव दिवेश सेहरा ने प्रस्तुतीकरण के माध्यम से विगत बैठक की कार्रवाई एवं अनुपालन की विस्तृत जानकारी दी.

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समीक्षा बैठक के दौरान अपर मुख्य सचिव, गृह विभाग, अपर मुख्य सचिव राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग, अपर पुलिस महानिदेशक (कमजोर वर्ग), निदेशक अभियोजन, सचिव, विधि विभाग द्वारा इस संबंध में किए जा रहे कार्यों की बिंदुवार जानकारी दी. बैठक में पुलिस महानिदेशक के स्तर पर दोष सिद्धि निपटारे के लिये की गयी कार्रवाई, (Action In SC ST Act ) पीड़ित व्यक्तियों को दी जाने वाली राहत एवं पुनर्वास सुविधाओं तथा उनसे जुड़े अन्य मामलों की भी समीक्षा हुई.

जिलास्तर पर गठित निगरानी एवं अनुश्रवण समिति के कार्यकलापों की जानकारी, विशेष लोक अभियोजकों के कार्यों की समीक्षा, संबंधित पदाधिकारियों के लिए नियमित रूप से प्रशिक्षण एवं उन्मुखीकरण कार्यक्रम आयोजित करने के साथ-साथ अन्य कार्रवाई की भी जानकारी दी गयी. समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि आज की बैठक में आप सभी सदस्य शामिल हुए हैं, इसके लिए मैं धन्यवाद देता हूं.

नीतीश कुमार ने कहा कि सभी ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति ( अत्याचार निवारण) अधिनियम से जुड़ी अपनी बातें एवं सुझाव रखे हैं. उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत जो बातें सामने रखीं गई हैं, उसका एक पक्ष इस अधिनियम के अंतर्गत की जा रही कार्रवाई के संबंध में है तो दूसरा पक्ष अनुसूचित जाति / जनजाति के हित में काम किये जा रहे कार्यों को और बेहतर ढंग से क्रियान्वित करने को लेकर है.विभाग द्वारा की गई कार्रवाई के संबंध में भी जन प्रतिनिधियों को अवगत करायें.



मुख्यमंत्री ने निर्देश देते हुए कहा कि पुलिस महानिदेशक सभी पुलिस अधीक्षकों के साथ लंबित कांडों के अनुसंधान की महीने में कम से कम एक बार नियमित समीक्षा करें ताकि मामलों का निष्पादन तेजी से हो सके. पुलिस महानिदेशक अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अधिनियम के तहत अधिसूचित कार्यों की समीक्षा करें तथा विशेष अभियान चलाकर लंबित काण्डों का अनुसंधान कराकर निर्धारित 60 दिन के अन्दर आरोप पत्र न्यायालय में दाखिल कराएं. कनविक्शन रेट बढ़ाने हेतु स्पीडी ट्रायल के लिए विशेष प्रयास करें ताकि समाज के कमजोर वर्ग के सभी व्यक्तियों को ससमय न्याय मिल सके. जिलाधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक जिलों में दर्ज मामलों की समीक्षा करें एवं पीड़ित व्यक्तियों को ससमय मुआवजा राशि का भुगतान सुनिश्चित करायें.

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मुख्यमंत्री ने कहा कि विशेष लोक अभियोजकों की कार्य क्षमता की समीक्षा करें और योग्य विशेष लोक अभियोजकों को दायित्व सौंपे ताकि वे न्यायालय में बेहतर ढंग से पक्ष रख सकें. इस अधिनियम के तहत दर्ज कांडों के त्वरित निष्पादन हेतु 9 अनन्य विशेष न्यायालयों के गठन की प्रक्रिया यथाशीघ्र पूर्ण करें. अनन्य विशेष न्यायालयों में इस अधिनियम के तहत दर्ज मामलों की ही सुनवाई हो। अत्याचार होने पर घटना स्थल का निरीक्षण निश्चित रूप से हो. अगर संबंधित अधिकारी ऐसा नहीं करते हैं तो वरीय अधिकारी जाकर स्थल निरीक्षण करें.

मुख्यमंत्री ने कहा कि, गृह विभाग एवं विधि विभाग कनविक्शन रेट में सुधार एवं लंबित मामलों में कमी लाने के लिए नियमित अनुश्रवण करे। चिकित्सा जांच प्रतिवेदन ससमय प्राप्त हो, यह सुनिश्चित करें। जिलाधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक अपने-अपने जिलों में कनविक्शन रेट में कमी और स्पीडी ट्रायल में सुधार लाने को लेकर लगातार समीक्षा करें. विधि विभाग यह सुनिश्चित करें किगवाह ससमय कोर्ट पहुंचे और उन्हें किसी प्रकार की दिक्कत न हो. उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत जिलास्तर पर अत्याचार के पीड़ित / आश्रितों को राहत अनुदान की स्वीकृति तत्काल दी जाय.



मुख्यमंत्री ने कहा कि जब से हमें काम करने का मौका मिला है. अनुसूचित जाति एवं जनजातियों के लिए काफी काम किया गया है. अनुसूचित जाति में से महादलित वर्ग के लिए विशेष काम किया गया. बाद में सभी अनुसूचित जातियों को वह सारी सुविधायें दी गई. सरकार में आने के बाद सर्वे कराने के बाद यह पता चला कि 12.5 प्रतिशत बच्चे-बच्चियां जो स्कूल नहीं जा पाते हैं, उनमें ज्यादातर महादलित एवं अल्पसंख्यक वर्गों से आते हैं. सभी बच्चे-बच्चियों को स्कूल पहुंचाया गया.

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उन्होंने कहा कि वर्ष 2008 तक पूरे बिहार में 22,000 स्कूल बनवाये गये. अनुसूचित जाति-जनजातियों के जिन संस्थानों के भवनों की स्थिति ठीक नहीं थी उन्हें अलग से ठीक कराया गया. शिक्षकों की बहाली की गई। पहले अनुसूचित जाति-जनजाति की क्या स्थिति थी सभी जानते हैं. हमलोगों के सरकार में आने के बाद से इस वर्ग के लिए काफी काम किया गया है. आज की बैठक में शामिल सदस्यों ने अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के कल्याण के कार्यों और बेहतर ढंग से क्रियान्वित करने के लिए जो सुझाव दिये, विभाग उस पर भी तेजी से काम करे.

बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति कल्याण मंत्री संतोष कुमार सुमन, लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण मंत्री रामप्रीत पासवान, मद्य निषेध उत्पाद एवं निबंधन मंत्री नील कुमार, विधान सभा के उपाध्यक्ष महेश्वर हजारी, सांसद विजय कुमार, सांसद लोक कुमार सुमन सहित अन्य विधायक, विधान पार्षद उपस्थित थे, जबकि दिल्ली से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सांसद प्रिंस राज भी जुड़े हुए थे.

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समीक्षा बैठक के दौरान अपर मुख्य सचिव, गृह विभाग, अपर मुख्य सचिव राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग, अपर पुलिस महानिदेशक (कमजोर वर्ग), निदेशक अभियोजन, सचिव, विधि विभाग द्वारा इस संबंध में किए जा रहे कार्यों की बिंदुवार जानकारी दी. बैठक में पुलिस महानिदेशक के स्तर पर दोष सिद्धि निपटारे के लिये की गयी कार्रवाई, (Action In SC ST Act ) पीड़ित व्यक्तियों को दी जाने वाली राहत एवं पुनर्वास सुविधाओं तथा उनसे जुड़े अन्य मामलों की भी समीक्षा हुई.

जिलास्तर पर गठित निगरानी एवं अनुश्रवण समिति के कार्यकलापों की जानकारी, विशेष लोक अभियोजकों के कार्यों की समीक्षा, संबंधित पदाधिकारियों के लिए नियमित रूप से प्रशिक्षण एवं उन्मुखीकरण कार्यक्रम आयोजित करने के साथ-साथ अन्य कार्रवाई की भी जानकारी दी गयी. समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि आज की बैठक में आप सभी सदस्य शामिल हुए हैं, इसके लिए मैं धन्यवाद देता हूं.

नीतीश कुमार ने कहा कि सभी ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति ( अत्याचार निवारण) अधिनियम से जुड़ी अपनी बातें एवं सुझाव रखे हैं. उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत जो बातें सामने रखीं गई हैं, उसका एक पक्ष इस अधिनियम के अंतर्गत की जा रही कार्रवाई के संबंध में है तो दूसरा पक्ष अनुसूचित जाति / जनजाति के हित में काम किये जा रहे कार्यों को और बेहतर ढंग से क्रियान्वित करने को लेकर है.विभाग द्वारा की गई कार्रवाई के संबंध में भी जन प्रतिनिधियों को अवगत करायें.



मुख्यमंत्री ने निर्देश देते हुए कहा कि पुलिस महानिदेशक सभी पुलिस अधीक्षकों के साथ लंबित कांडों के अनुसंधान की महीने में कम से कम एक बार नियमित समीक्षा करें ताकि मामलों का निष्पादन तेजी से हो सके. पुलिस महानिदेशक अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अधिनियम के तहत अधिसूचित कार्यों की समीक्षा करें तथा विशेष अभियान चलाकर लंबित काण्डों का अनुसंधान कराकर निर्धारित 60 दिन के अन्दर आरोप पत्र न्यायालय में दाखिल कराएं. कनविक्शन रेट बढ़ाने हेतु स्पीडी ट्रायल के लिए विशेष प्रयास करें ताकि समाज के कमजोर वर्ग के सभी व्यक्तियों को ससमय न्याय मिल सके. जिलाधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक जिलों में दर्ज मामलों की समीक्षा करें एवं पीड़ित व्यक्तियों को ससमय मुआवजा राशि का भुगतान सुनिश्चित करायें.

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मुख्यमंत्री ने कहा कि विशेष लोक अभियोजकों की कार्य क्षमता की समीक्षा करें और योग्य विशेष लोक अभियोजकों को दायित्व सौंपे ताकि वे न्यायालय में बेहतर ढंग से पक्ष रख सकें. इस अधिनियम के तहत दर्ज कांडों के त्वरित निष्पादन हेतु 9 अनन्य विशेष न्यायालयों के गठन की प्रक्रिया यथाशीघ्र पूर्ण करें. अनन्य विशेष न्यायालयों में इस अधिनियम के तहत दर्ज मामलों की ही सुनवाई हो। अत्याचार होने पर घटना स्थल का निरीक्षण निश्चित रूप से हो. अगर संबंधित अधिकारी ऐसा नहीं करते हैं तो वरीय अधिकारी जाकर स्थल निरीक्षण करें.

मुख्यमंत्री ने कहा कि, गृह विभाग एवं विधि विभाग कनविक्शन रेट में सुधार एवं लंबित मामलों में कमी लाने के लिए नियमित अनुश्रवण करे। चिकित्सा जांच प्रतिवेदन ससमय प्राप्त हो, यह सुनिश्चित करें। जिलाधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक अपने-अपने जिलों में कनविक्शन रेट में कमी और स्पीडी ट्रायल में सुधार लाने को लेकर लगातार समीक्षा करें. विधि विभाग यह सुनिश्चित करें किगवाह ससमय कोर्ट पहुंचे और उन्हें किसी प्रकार की दिक्कत न हो. उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत जिलास्तर पर अत्याचार के पीड़ित / आश्रितों को राहत अनुदान की स्वीकृति तत्काल दी जाय.



मुख्यमंत्री ने कहा कि जब से हमें काम करने का मौका मिला है. अनुसूचित जाति एवं जनजातियों के लिए काफी काम किया गया है. अनुसूचित जाति में से महादलित वर्ग के लिए विशेष काम किया गया. बाद में सभी अनुसूचित जातियों को वह सारी सुविधायें दी गई. सरकार में आने के बाद सर्वे कराने के बाद यह पता चला कि 12.5 प्रतिशत बच्चे-बच्चियां जो स्कूल नहीं जा पाते हैं, उनमें ज्यादातर महादलित एवं अल्पसंख्यक वर्गों से आते हैं. सभी बच्चे-बच्चियों को स्कूल पहुंचाया गया.

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उन्होंने कहा कि वर्ष 2008 तक पूरे बिहार में 22,000 स्कूल बनवाये गये. अनुसूचित जाति-जनजातियों के जिन संस्थानों के भवनों की स्थिति ठीक नहीं थी उन्हें अलग से ठीक कराया गया. शिक्षकों की बहाली की गई। पहले अनुसूचित जाति-जनजाति की क्या स्थिति थी सभी जानते हैं. हमलोगों के सरकार में आने के बाद से इस वर्ग के लिए काफी काम किया गया है. आज की बैठक में शामिल सदस्यों ने अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के कल्याण के कार्यों और बेहतर ढंग से क्रियान्वित करने के लिए जो सुझाव दिये, विभाग उस पर भी तेजी से काम करे.

बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति कल्याण मंत्री संतोष कुमार सुमन, लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण मंत्री रामप्रीत पासवान, मद्य निषेध उत्पाद एवं निबंधन मंत्री नील कुमार, विधान सभा के उपाध्यक्ष महेश्वर हजारी, सांसद विजय कुमार, सांसद लोक कुमार सुमन सहित अन्य विधायक, विधान पार्षद उपस्थित थे, जबकि दिल्ली से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सांसद प्रिंस राज भी जुड़े हुए थे.

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