पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) चौंकाने वाले फैसले लेने के लिए जाने जाते हैं. नीतीश कुमार के दिमाग में क्या चल रहा है. ऐसे तो कोई नहीं बता सकता है. नीतीश कुमार के बारे में कहा जाता है कि उनके दाहिना हाथ क्या करेगा. बायां हाथ को पता नहीं रहता. बीजेपी के साथ बिहार में गठबंधन में रहते हुए भी नीतीश ने कई बार अपने फैसले से सबको चौंकाया है. अभी आरजेडी के इफ्तार पार्टी में 5 साल बाद अचानक पहुंचकर हलचल मचा दी है. साथ ही अपने लकी बंगला में शिफ्ट होकर चौंकाया है. जानकार तो यह भी कहते हैं कि बीजेपी के साथ यदि रहे तो 2024 में ही नीतीश कुमार बिहार विधान सभा चुनाव लोकसभा के साथ ही तैयारी का मन बना रहे हैं. इसलिए बहुत सोच-समझकर कदम बढ़ा रहे हैं.
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CM नीतीश कुमार चौंकाने वाले फसले के लिए जाने जाते हैं: सीएम नीतीश कुमार ऐसे तो पहले भी कई चौंकाने वाले फैसले लिए हैं लेकिन 2010 के बाद जो फैसला लिया. वह खूब चर्चा में रहा. चाहे बीजेपी से अलग होने की बात हो या फिर लालू यादव के साथ जाने की बात. पहले बीजेपी को सबक सिखाने के लिए अलग हो गए, हालांकि 2014 के चुनाव में सफलता नहीं मिली तो बीजेपी को सबक सिखाने के लिए अपने कट्टर विरोधी लालू से हाथ मिला लिया. लेकिन लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) के साथ जब नहीं बनी तो उनसे किनारा भी कर लिया और फिर बीजेपी के साथ बिहार में सरकार बना ली.
'नीतीश कुमार राजनीति के हैं माहिर खिलाड़ी': 2014 में जब नीतीश कुमार को लोकसभा चुनाव में केवल 2 सीट मिला तब मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया और जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री बना कर सबको चौंका दिया था. लेकिन जीतन राम मांझी से जब अनबन हुई तो जीतन राम मांझी को भी किनारा कर दिया और खुद सीएम बन गए. जीतन राम मांझी को अलग पार्टी बनाना पड़ा. उसके बाद महागठबंधन के साथ चुनाव में भी गए और प्रचंड बहुमत के साथ महागठबंधन के मुख्यमंत्री बने. विधानसभा में बीजेपी के खिलाफ यहां तक बयान दिया था कि मिट्टी में मिल जाएंगे लेकिन बीजेपी के साथ अब नहीं जाएंगे लेकिन लालू यादव से परेशान होने लगे तो अपना ही बयान को झूठा साबित कर दिया और बीजेपी के साथ सरकार बना ली.
कम सीट पाकर भी बने सीएम: 2020 के चुनाव में जदयू को कम सीट मिलने के बाद भी मुख्यमंत्री बन गए. अब बीजेपी के साथ पहले वाले रिश्ते नहीं है. जदयू की संख्या बल कम होने के कारण बीजेपी का कहीं ना कहीं दबाव भी है. संजय जायसवाल ने पिछले दिनों यहां तक कह दिया था कि नीतीश कुमार 2025 तक ही NDA के नेता हैं. जदयू नेताओं के तरफ से चाहे राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह हो या फिर संसदीय बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा लगातार बीजेपी अध्यक्ष के खिलाफ उस बयान को लेकर जवाब भी दिया गया. अब नीतीश कुमार को इफ्तार के बहाने मौका मिल गया और उन्होंने राबड़ी आवास पर पहुंचकर सबको चौंका दिया तेजस्वी यादव भी जदयू के इफ्तार में पहुंचकर नीतीश कुमार से फिर से मुलाकात की. यानी नीतीश कुमार एक रणनीति के तहत यह सब कर रहे हैं. यह साफ दिख रहा है और इसी बीच मुख्यमंत्री अपने लकी बंगला 7 सर्कुलर रोड आवास में शिफ्ट भी कर गए.
'2024 के लिए NDA की मजबूरी नीतीश कुमार': जानकार तो यहां तक कहते हैं कि नीतीश कुमार को पता है कि 2025 में बीजेपी उन्हें मुख्यमंत्री का चेहरा बनाने वाली नहीं है लेकिन 2024 में बीजेपी के लिए वे जरूरत है. और इसलिए बीजेपी के साथ यदि रहते हैं तो 2024 में ही लोकसभा के साथ विधानसभा का भी चुनाव करा सकते हैं और तब तक 7 सर्कुलर रोड बंगला में ही नीतीश रणनीति बनाएंगे. वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय का कहना है है कि नीतीश कुमार काफी बैलेंस तरीके से कदम बढ़ा रहे हैं.
'पिछले दिनों केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का बिहार दौरा हुआ और जब गृह मंत्री आते हैं तो उनका शेड्यूल पहले से तय होता है. उसमें नीतीश कुमार से मीटिंग का कहीं कोई समय तय नहीं था. लेकिन 10 मिनट बंद कमरे में दोनों की मुलाकात हुई तो कहीं ना कहीं बीजेपी और जदयू के बीच कुछ पक रहा है या फिर दिखाने के लिए भी लोग कुछ कर रहे हो लेकिन जो भी हो यह तो नीतीश कुमार और बीजेपी के लोग ही बता सकते हैं लेकिन इतना तय है कि 2024, 25 का कुछ हो रहा है और नीतीश कुमार तो विजनरी नेता माने ही जाते हैं.' - रवि उपाध्याय, वरिष्ठ पत्रकार
'नीतीश कुमार चौंकाने वाले फैसले लेते रहे हैं. यह सच भी है. चर्चा यह भी है कि नीतीश फिर से महागठबंधन से नजदीकी बना रहे हैं. पहले भी उन्होंने महागठबंधन के साथ सरकार बनाई थी तो यह सब तो करते रहे हैं और अभी उन्होंने अपना बंगला भी चेंज किया है. जो उनके लिए भाग्यशाली रहा है. और चर्चा यह भी है कि 2024 के चुनाव को लेकर तैयारी कर रहे हैं. चर्चा में बने रहने के लिए भी राजनेता कई तरह के फैसले लेते रहे हैं. नीतीश कुमार एक बहुत ही सुलझे हुए नेता हैं. कोई भी फैसला लेते हैं तो उसका पूरा एक्सरसाइज करते हैं. उसका असर पार्टी प्रदेश और देश पर क्या पड़ेगा. यह भी देखते हैं लेकिन जो परिस्थिति है अभी एनडीए को तुरंत छोड़ेंगे ऐसा लगता नहीं है.' - अजय झा, राजनीतिक विशेषज्ञ
'2024 में लोकसभा के साथ विधानसभा का चुनाव की स्थिति पैदा हो रही है, इस पर जदयू के वरिष्ठ नेता बिजेंद्र यादव कहते हैं कि कहां से इस तरह की बात आती है. ऐसी तो कोई संभावना अभी नहीं दिख रही है लेकिन भविष्य में क्या होगा कौन बता सकता है.' - बिजेंद्र प्रसाद यादव , ऊर्जा मंत्री. 'समय पर लोकसभा के चुनाव होंगे समय पर विधानसभा के चुनाव होंगे 2024 में नीतीश कुमार के नेतृत्व में लोकसभा के 40 में से 40 सीट जीतकर नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए हम लोग देंगे और 2025 में एनडीए फिर से जीतेगी और आगे की रणनीति तय होगी. 2025 तक नीतीश कुमार साथ रहेंगे. पहले भी उन्होंने कुछ प्रयोग किया था लेकिन सफल नहीं रहा और तेजस्वी यादव जी से जो सवाल किया था आज भी उसका जवाब नहीं मिला है.' - विनोद शर्मा, बीजेपी प्रवक्ता
RJD ने नीतीश पर साधा निशाना: वहीं, आरजेडी प्रवक्ता शक्ति यादव 2025 विधानसभा का चुनाव 2024 में कराने की रणनीति पर नीतीश काम कर रहे हैं इस पर गोल मटोल जवाब देते हैं. शक्ति यादव ने कहा- हमारे जो सवालात हैं. मुंह बाए खड़ी है. बेरोजगारी है, लाचारी है, बेबसी है, अपराध है, गिरती कानून व्यवस्था है, स्वास्थ्य व्यवस्था है, शिक्षा बेहाल है. आज भी हमारे यह सवाल हैं. नीतीश जी क्या फैसला लेते हैं. यह महत्वपूर्ण नहीं है. विपक्ष अपना कर्तव्य कर रहा है. नीतीश जी क्या करेंगे यह उनका विषय है.
2024 में यदि विधानसभा का चुनाव होता है तो कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी. जदयू 2020 विधानसभा चुनाव में बहुत अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाया और पार्टी को केवल 43 सीट मिला था. हालांकि अब बढ़ कर 45 हो गया है फिर भी बीजेपी के 77 सीट और आरजेडी के 76 सीट से काफी कम है. नीतीश कुमार को यह काफी अखड़ता होगा. यदि बीजेपी के साथ नीतीश बने रहते हैं और 2024 में ही विधानसभा चुनाव लोकसभा के साथ कराने पर अड़ते हैं तो बीजेपी के लिए भी मजबूरी होगा. क्योंकि नीतीश कुमार को पता है 2024 में केंद्र में बीजेपी की सरकार बनने के बाद बिहार में मुख्यमंत्री का चेहरा बीजेपी बनाएगी. इसकी संभावना कम है. इसलिए नीतीश कुमार रणनीति के तहत कदम बढ़ा रहे हैं.
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