पटना : बिहार में शराबबंदी कानून सख्ती से लागू है लेकिन सरकार अब इसका विकल्प लाने की तैयारी कर रही है. खुद सीएम नीतीश समाज सुधार अभियान की सभाओं में नीरा को स्वास्थ्य के लिए लाभदायक बता चुके हैं. नीरा की बिक्री को 'जहरीली शराब से हो रही मौत' पर काबू पाने का एक प्रयास के रूप में देखा जा रहा है. इसके लिए सरकार खुद नीरा स्टॉल लेकर आ रही है. राज्य के 38 जिलों में नीरा बिक्री केंद्र बनाए जा रहे हैं. अकेले पटना में 51 नए सेंटर खोले जा रहे हैं. सभी बिक्री सेंटर पर 1 अप्रैल से नीरा की बिक्री होगी. सीएम नीतीश कुमार खुद कह चुके हैं कि नीरा उत्पादन के कारोबार में लगे उद्यमियों को 'मुख्यमंत्री राहत कोष' से उनकी सरकार 1 लाख रुपए तक का अनुदान भी देगी.
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नीरा और ताड़ी में क्या अंतर है? बहुत से लोग 'नीरा' को 'ताड़ी' समझते हैं. लेकिन इसमें बड़ा ही खास अंतर है. इस अंतर को समझना जरूरी है, क्योंकि जब तक ये ताजा रहती है उसे 'नीरा' कहते हैं. जब यही ताड़ी बासी होती जाती है यानी फर्मेंट (खमनीकरण) होने लगती है तो उसे ताड़ी कहा जाने लगता है. इसलिए पेड़ से निकालकर तुरंत इसका सेवन नीरा का सेवन है. लेकिन जब यही कुछ देर बाद फर्मेंट होकर बाजार में बेची जाती है तो 'अल्कोहलिक' हो जाती है. इसके स्वाद में भी काफी अंतर आ जाता है. नीरा के रूप में इसका स्वाद मीठा होता है जबकि ताड़ी के रूप में ये खट्टी हो जाती है. ताड़ी को इसीलिए सेहत के लिए नुकसानदायक माना जाता है. एक शोध के मुताबिक नीरा के इस्तेमाल से कई बीमारियां दूर होती हैं.
शराबबंदी कानून लागू रहेगा: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार समाज सुधार अभियान में कई बार कह चुके हैं कि 'नीरा' स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है. ये पीने में भी स्वादिष्ट लगता है. उन्होंने कहा था कि वो खुद इसे चख चुके हैं. इसलिए शराब पीना छोड़कर नीरा ही पिएं. सीएम ने कहा कि सामाजिक कलंक को मिटाने के लिए हमने शराब से होने वाली 5 हजार करोड़ के राजस्व का परवाह नहीं किया और बिहार में पूर्ण शराब बंदी कानून लागू कर बड़ा कदम उठाया. इसी का परिणाम है कि इस कानून से समाज के लोगों में सुख शांति आने लगी है. तो कुछ लोग उल्टे राग अलापने लगे कि शराब बंदी कानून में ढील दिया जाए.
'नीरा कितनी उपयोगी चीज है. इसका कितना स्वाद होता है. मीठा और स्वादिष्ट भी होता है ये. हम तो कहना चाहते हैं कि जो लोग ताड़ के पेड़ से ताड़ी निकालते हैं, वह उस काम को छोड़कर नीरा उत्पादन करें. सरकार की तरफ से उनको एक लाख तक की मदद देंगे'- नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री, बिहार
ताड़ी की आड़ में 'नशे' की वापसी? बड़ा सवाल ये है कि क्या ताड़ी की आड़ में सरकार बैक डोर से 'नशा' बेचने की तैयारी कर रही है? ताजा रहने पर ही नीरा अमृत है, बासी होने पर यह शराब की तरह रिएक्ट करती है. हल्का नशा चढ़ने लगता है. ताड़ी सेहत के लिए हानिकारक है. फिर ये कैसे तय होगा की पीने वाला 'नीरा' पी रहा है कि 'ताड़ी'. नशेड़ियों को आसानी से ताड़ी उपलब्ध हो जाएगी. जिसके लिए बिहार में शराबबंदी लागू की गई घुमाकर वो एक विकल्प के रूप में परोसी जाएगी. फिर शराबबंदी कानून के मकसद का क्या होगा? सरकार ने 5000 करोड़ के राजस्व को दरकिनार कर दारू को बैन किया हुआ है. तो क्या सरकार इसे शराब का विकल्प के रूप में पेश कर रही है ताकि जहरीली शराब से मौत को काबू में किया जा सके? इसका जवाब कौन देगा?
नीरा में प्रचुर मात्रा में पौष्टिकता : बात नीरा की भी करना जरूरी है. क्योंकि, 100ml नीरा में 84.72 फीसदी जल रहता है जबकि कार्बोहाइड्रेट 14.35%, प्रोटीन-0.10%, वसा-0.17%, मिनरल-0.66% होता है. मिनरल्स में कैल्शियम, आयरन, पोटैशियम, सोडियम और फॉस्फोरस की प्रचुर मात्रा में मिलती है. साथ ही विटामिन सी और विटामिन बी कॉम्पलेक्स भी भरपूर मात्रा में मौजूद होता है. यानि 100 ml नीरा से 110 कैलोरी मिलती है. नीरा न तो अम्लीय है और न ही क्षारीय होती है, ये पानी से थोड़ी ही भारी होती है.
शराब पीने से गंभीर बीमारी: डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट का हवाला देकर सीएम नीतीश कह चुके हैं कि शराब पीने से पूरी दुनिया में प्रत्येक वर्ष 30 लाख लोगों की मौत होती है, जिसमें 20 से 39 आयु वर्ग के लगभग 15 प्रतिशत युवा शामिल हैं. फिर भी लोग सचेत नहीं हो रहे हैं. शराब पीने से कई तरह की गंभीर बीमारी हो रही है और आत्महत्या करने वालों में 18 प्रतिशत शराब पीने वाले होते हैं. सरकार नीरा को हेल्थ के आधार पर मंजूरी दे रही है.
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