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BJP के 27+2 सीटों के ऑफर पर चिराग का नया फॉर्मूला, क्या बनेगी बात?

चिराग पासवान बिहार विधानसभा में ज्यादा सीटों के लिए बीजेपी और जेडीयू पर लगातार दबाव बना रहे हैं. दरअसल, पिछले चुनाव मे जेडीयू, एनडीए में नहीं था और एलजेपी को 40 सीटों पर चुनाव लड़ने का मौका मिला था.

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Published : Sep 29, 2020, 8:10 AM IST

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पटना: बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण के लिए एक अक्टूबर से नॉमिनेशन शुरू होने वाले हैं. लेकिन एनडीए में सीट शेयरिंग पर अब तक सहमति नहीं बन पाई है. इस बीच, बताया जाता है कि दिल्ली में एलजेपी सुप्रीमो चिराग पासवान ने बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की. दोनों नेताओं के बीच बिहार विधानसभा चुनाव में सीटों के बंटवारे पर चर्चा हुई.

दरअसल, एलजेपी 2015 की तरह ही इस बार भी 42 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने का दावा कर रही है. एलजेपी की दलील है कि 2014 में वो 7 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ी थी तो उन्हें एक लोकसभा सीट के अनुपात से 6 विधानसभा सीट मिली थी. 2019 लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी ने 6 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ा था और उन्हें एक राज्यसभा सीट मिली थी. इस लिहाज से एलजेपी को इस चुनाव में भी 42 सीटें मिलनी चाहिए.

जेपी नड्डा से मिले चिराग पासवान

हालांकि, 42 सीटें न मिलने की हालत में एलजेपी ने बीजेपी के सामने नया फॉर्मूला रखा है. सूत्रों की माने तो चिराग पासवान ने बीजेपी के 27+2 सीटों के ऑफर के बाद बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के सामने उपमुख्यमंत्री की कुर्सी, 33 विधानसभा की सीटें, दो एमएलसी और एक राज्यसभा की सीट की मांग रखी हैं.

42 सीटों पर दावेदारी के बाद 27+2 का ऑफर

इससे पहले, बीजेपी ने एलजेपी को 27 विधानसभा सीट और दो एमएलसी की सीटों का ऑफर दिया था. हालांकि, एलजेपी प्रमुख चिराग पासवान 42 सीटों पर दावेदारी पेश कर चुके थे. पार्टी नेताओं ने दो टूक कहा था कि इससे कम सीटों पर वो एनडीए से नाता तोड़ कर अलग चुनाव लड़ सकते हैं. हालांकि, एलजेपी ने अभी तक आधिकारिक रूप से कुछ भी नहीं कहा है.

विधानसभा की वो 27 सीटें

बता दें कि जिन सीटों का ऑफर बीजेपी ने दिया है उनमें गोविंदगंज, बिस्फी, अररिया, बहादुरगंज, किशनगंज, अमौर, बलरामपुर, मधेपुरा, अलीनगर, केवटी, बरुराज, गरखा, परसा, लालगंज, राजपक्कड़, तेघड़ा, अलौली, कहलगांव, मनेर, ओबरा, कुटुंबा, बेलागंज, रजौली, सिकंदरा, जमुई और कटोरिया सीट शामिल है. इन 27 की पूरी लिस्ट में एलजेपी सुप्रीमो चिराग पासवान का लोकसभा क्षेत्र जमुई और सिकंदरा भी शामिल है.

फरवरी 2005 में LJP का अच्छा प्रदर्शन

पिछले कुछ विधानसभा चुनावों में लोक जनशक्ति पार्टी के प्रदर्शन की बात करें तो रामविलास पासवान ने जनता दल यूनाइटेड से अलग होकर 2000 में लोक जनशक्ति पार्टी की स्थापना की थी. फरवरी 2005 में जब बिहार विधानसभा का चुनाव हुआ तो रामविलास ने आरजेडी और कांग्रेस के साथ गठबंधन किया था. इस चुनाव नें लोजपा को 29 सीटें मिलीं थीं. सत्ता की चाबी रामविलास के पास थी. लेकिन पासवान की शर्त के कारण उस समय कोई बहुमत नहीं जुटा पाया. इसलिए सरकार नहीं बन पायी.

2005-2010 में लोजपा का प्रदर्शन

अक्टूबर 2005 में फिर चुनाव हुए. फरवरी की जीत से रामविलास पासवान इतने उत्साहित थे कि उन्होंने अक्टूबर 2005 के चुनाव में अकेले चुनाव लड़ा और 203 सीटों पर उम्मीदवार उतार दिये. लेकिन, 203 में से लोजपा के सिर्फ 10 उम्मीदवार ही जीत सके. 2010 के चुनाव में लोजपा ने आरजेडी के साथ गठबंधन किया. इस बार उसे सिर्फ तीन सीटें मिलीं. यानी सात सीटों का नुकसान.

2015 में लोजपा का प्रदर्शन

2015 में लोजपा, एनडीए में शामिल हुई. बीजेपी ने उसे 243 में से 40 सीटें दी. लेकिन, उसे जीत सिर्फ दो सीटों पर मिली. ऐसे में एनडीए से अलग होकर अगर लोजपा बिहार में सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ती है तो उसके अंजाम का अंदाजा लगाया जा सकता है.

2019 लोकसभा चुनाव

जहां तक बीजेपी और जेडीयू के बीच गठबंधन का सवाल है, 2019 के लोकसभा चुनाव को छोड़कर बाक़ी सभी चुनावों में जेडीयू को ज़्यादा सीटें मिली थीं. 2019 में दोनों दलों ने 17-17 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जबकि तीसरी सहयोगी एलजेपी को 6 सीटें दी गई थीं.

पटना: बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण के लिए एक अक्टूबर से नॉमिनेशन शुरू होने वाले हैं. लेकिन एनडीए में सीट शेयरिंग पर अब तक सहमति नहीं बन पाई है. इस बीच, बताया जाता है कि दिल्ली में एलजेपी सुप्रीमो चिराग पासवान ने बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की. दोनों नेताओं के बीच बिहार विधानसभा चुनाव में सीटों के बंटवारे पर चर्चा हुई.

दरअसल, एलजेपी 2015 की तरह ही इस बार भी 42 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने का दावा कर रही है. एलजेपी की दलील है कि 2014 में वो 7 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ी थी तो उन्हें एक लोकसभा सीट के अनुपात से 6 विधानसभा सीट मिली थी. 2019 लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी ने 6 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ा था और उन्हें एक राज्यसभा सीट मिली थी. इस लिहाज से एलजेपी को इस चुनाव में भी 42 सीटें मिलनी चाहिए.

जेपी नड्डा से मिले चिराग पासवान

हालांकि, 42 सीटें न मिलने की हालत में एलजेपी ने बीजेपी के सामने नया फॉर्मूला रखा है. सूत्रों की माने तो चिराग पासवान ने बीजेपी के 27+2 सीटों के ऑफर के बाद बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के सामने उपमुख्यमंत्री की कुर्सी, 33 विधानसभा की सीटें, दो एमएलसी और एक राज्यसभा की सीट की मांग रखी हैं.

42 सीटों पर दावेदारी के बाद 27+2 का ऑफर

इससे पहले, बीजेपी ने एलजेपी को 27 विधानसभा सीट और दो एमएलसी की सीटों का ऑफर दिया था. हालांकि, एलजेपी प्रमुख चिराग पासवान 42 सीटों पर दावेदारी पेश कर चुके थे. पार्टी नेताओं ने दो टूक कहा था कि इससे कम सीटों पर वो एनडीए से नाता तोड़ कर अलग चुनाव लड़ सकते हैं. हालांकि, एलजेपी ने अभी तक आधिकारिक रूप से कुछ भी नहीं कहा है.

विधानसभा की वो 27 सीटें

बता दें कि जिन सीटों का ऑफर बीजेपी ने दिया है उनमें गोविंदगंज, बिस्फी, अररिया, बहादुरगंज, किशनगंज, अमौर, बलरामपुर, मधेपुरा, अलीनगर, केवटी, बरुराज, गरखा, परसा, लालगंज, राजपक्कड़, तेघड़ा, अलौली, कहलगांव, मनेर, ओबरा, कुटुंबा, बेलागंज, रजौली, सिकंदरा, जमुई और कटोरिया सीट शामिल है. इन 27 की पूरी लिस्ट में एलजेपी सुप्रीमो चिराग पासवान का लोकसभा क्षेत्र जमुई और सिकंदरा भी शामिल है.

फरवरी 2005 में LJP का अच्छा प्रदर्शन

पिछले कुछ विधानसभा चुनावों में लोक जनशक्ति पार्टी के प्रदर्शन की बात करें तो रामविलास पासवान ने जनता दल यूनाइटेड से अलग होकर 2000 में लोक जनशक्ति पार्टी की स्थापना की थी. फरवरी 2005 में जब बिहार विधानसभा का चुनाव हुआ तो रामविलास ने आरजेडी और कांग्रेस के साथ गठबंधन किया था. इस चुनाव नें लोजपा को 29 सीटें मिलीं थीं. सत्ता की चाबी रामविलास के पास थी. लेकिन पासवान की शर्त के कारण उस समय कोई बहुमत नहीं जुटा पाया. इसलिए सरकार नहीं बन पायी.

2005-2010 में लोजपा का प्रदर्शन

अक्टूबर 2005 में फिर चुनाव हुए. फरवरी की जीत से रामविलास पासवान इतने उत्साहित थे कि उन्होंने अक्टूबर 2005 के चुनाव में अकेले चुनाव लड़ा और 203 सीटों पर उम्मीदवार उतार दिये. लेकिन, 203 में से लोजपा के सिर्फ 10 उम्मीदवार ही जीत सके. 2010 के चुनाव में लोजपा ने आरजेडी के साथ गठबंधन किया. इस बार उसे सिर्फ तीन सीटें मिलीं. यानी सात सीटों का नुकसान.

2015 में लोजपा का प्रदर्शन

2015 में लोजपा, एनडीए में शामिल हुई. बीजेपी ने उसे 243 में से 40 सीटें दी. लेकिन, उसे जीत सिर्फ दो सीटों पर मिली. ऐसे में एनडीए से अलग होकर अगर लोजपा बिहार में सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ती है तो उसके अंजाम का अंदाजा लगाया जा सकता है.

2019 लोकसभा चुनाव

जहां तक बीजेपी और जेडीयू के बीच गठबंधन का सवाल है, 2019 के लोकसभा चुनाव को छोड़कर बाक़ी सभी चुनावों में जेडीयू को ज़्यादा सीटें मिली थीं. 2019 में दोनों दलों ने 17-17 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जबकि तीसरी सहयोगी एलजेपी को 6 सीटें दी गई थीं.

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