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सफेद हाथी साबित हो रहा है मसौढ़ी अनुमंडल अस्पताल का पोषण पुनर्वास केंद्र, नहीं पहुंच रहे हैं बच्चे

ग्रामीण इलाकों के कुपोषित बच्चों के इलाज के लिए सरकार ने विभिन्न सरकारी अस्पतालों में पोषण पुनर्वास केंद्र की स्थापना की थी लेकिन प्रचार-प्रसार नहीं होने के कारण यहां बच्चे नहीं पहुंच रहे हैं. प्रशासनिक उदासीनता के कारण मसौढ़ी अनुमंडल रेफरल अस्पताल का यह केंद्र सफेद हाथी साबित हो रहा है. पढ़ें पूरी खबर.

Masaurhi subdivision hospital
Masaurhi subdivision hospital
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Published : Mar 11, 2022, 11:22 AM IST

पटना: केंद्र एवं राज्य सरकार के पायलट प्रोजेक्ट के तहत विभिन्न सरकारी अस्पतालों में कुपोषित बच्चों के लिए पोषण पुनर्वास केंद्र (nutritional rehabilitation center) की स्थापना की गई थी. आज पटना से सटे मसौढ़ी अनुमंडल रेफरल अस्पताल (Masaurhi subdivision hospital) में यह केंद्र सफेद हाथी साबित हो रहा है. पीएमसीएच के बाद यह दूसरा बड़ा अस्पताल है, जहां पर पोषण पुनर्वास केंद्र बना था लेकिन यहां बच्चे नहीं पहुंच रहे हैं.

केंद्र एवं राज्य सरकार के पायलट प्रोजेक्ट योजना के तहत बच्चों का कुपोषण दूर करने के लिए सबसे पहले बड़े अस्पतालों में पोषण पुनर्वास केंद्र की स्थापना की गई थी. जिसमें पटना के पीएमसीएच, एनएमसीएच के बाद मसौढ़ी के अनुमंडल रेफरल अस्पताल को चुना गया था. वर्ष 2016 में जब पोषण पुनर्वास केंद्र की स्थापना हुई थी, उसके बाद लोगों में उम्मीद जगी थी कि गांव-गांव में जो बच्चे कुपोषण के शिकार हो जाते हैं, उन्हें 14 दिनों तक रखकर कुपोषण की बीमारियों को दूर किया जाता है.

देखें वीडियो

ये भी पढ़े: एक साल से बंद पड़ा है मसौढ़ी अनुमंडल रेफरल अस्पताल का ब्लड स्टोरेज यूनिट, मरीज परेशान

इधर, प्रशासनिक उदासीनता, जागरुकता और प्रचार-प्रसार की कमी के कारण आज भी लोगों को मसौढ़ी अनुमंडल में स्थापित पोषण पुनर्वास केंद्र के बारे में जानकारी नहीं है. मसलन इस पोषण पुनर्वास केंद्र में बच्चे नहीं पहुंच रहे हैं. इसके चलते अनुमंडल अस्पताल का यह पोषण पुनर्वास केंद्र सफेद हाथी साबित हो रहा है. सरकार की अति महत्वकांक्षी योजना पर ग्रहण लगता दिख रहा है.

ये भी पढ़े: रेफरल अस्पताल बगहा के निर्माणाधीन चाइल्ड केयर यूनिट में अनियमितता, ASDM ने जांच कर रुकवाया काम

अस्पताल के कर्मचारी और मैनेजर भी मानते हैं कि प्रचार-प्रसार में कमी के कारण बच्चे नहीं पहुंच रहे हैं लेकिन अब वे लोगों को जागरूक करने में जुटे हुए हैं. हेल्थ मैनेजर चंद्रशेखर आजाद की मानें तो ममता और आशा कर्मचारियों को सरकार एक बच्चे पर कम पैसा दे रही. इसके कारण लोग इसमें रुचि लेते नहीं दिख रहे हैं. इस कारण बच्चे नहीं पहुंच रहे हैं. अब लोगों में प्रचार-प्रसार किया जा रहा है.

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पटना: केंद्र एवं राज्य सरकार के पायलट प्रोजेक्ट के तहत विभिन्न सरकारी अस्पतालों में कुपोषित बच्चों के लिए पोषण पुनर्वास केंद्र (nutritional rehabilitation center) की स्थापना की गई थी. आज पटना से सटे मसौढ़ी अनुमंडल रेफरल अस्पताल (Masaurhi subdivision hospital) में यह केंद्र सफेद हाथी साबित हो रहा है. पीएमसीएच के बाद यह दूसरा बड़ा अस्पताल है, जहां पर पोषण पुनर्वास केंद्र बना था लेकिन यहां बच्चे नहीं पहुंच रहे हैं.

केंद्र एवं राज्य सरकार के पायलट प्रोजेक्ट योजना के तहत बच्चों का कुपोषण दूर करने के लिए सबसे पहले बड़े अस्पतालों में पोषण पुनर्वास केंद्र की स्थापना की गई थी. जिसमें पटना के पीएमसीएच, एनएमसीएच के बाद मसौढ़ी के अनुमंडल रेफरल अस्पताल को चुना गया था. वर्ष 2016 में जब पोषण पुनर्वास केंद्र की स्थापना हुई थी, उसके बाद लोगों में उम्मीद जगी थी कि गांव-गांव में जो बच्चे कुपोषण के शिकार हो जाते हैं, उन्हें 14 दिनों तक रखकर कुपोषण की बीमारियों को दूर किया जाता है.

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इधर, प्रशासनिक उदासीनता, जागरुकता और प्रचार-प्रसार की कमी के कारण आज भी लोगों को मसौढ़ी अनुमंडल में स्थापित पोषण पुनर्वास केंद्र के बारे में जानकारी नहीं है. मसलन इस पोषण पुनर्वास केंद्र में बच्चे नहीं पहुंच रहे हैं. इसके चलते अनुमंडल अस्पताल का यह पोषण पुनर्वास केंद्र सफेद हाथी साबित हो रहा है. सरकार की अति महत्वकांक्षी योजना पर ग्रहण लगता दिख रहा है.

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अस्पताल के कर्मचारी और मैनेजर भी मानते हैं कि प्रचार-प्रसार में कमी के कारण बच्चे नहीं पहुंच रहे हैं लेकिन अब वे लोगों को जागरूक करने में जुटे हुए हैं. हेल्थ मैनेजर चंद्रशेखर आजाद की मानें तो ममता और आशा कर्मचारियों को सरकार एक बच्चे पर कम पैसा दे रही. इसके कारण लोग इसमें रुचि लेते नहीं दिख रहे हैं. इस कारण बच्चे नहीं पहुंच रहे हैं. अब लोगों में प्रचार-प्रसार किया जा रहा है.

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