पटना: दीपों का त्योहार दीपावली लोगों की जिन्दगी में खुशियों की बहार लेकर आता है. दो दिन के इस पर्व में लोग अपने घरों में जमकर पटाखे छोड़ते हैं. इस त्योहार की शुरुआत धनतेरस से हो जाती है. इसके बाद छोटी दिवाली ( Chhoti Diwali ) और फिर बड़ी दिवाली आती है. तीनों दिन की अलग-अलग मान्यताएं हैं. प्रदेश के साथ-साथ पूरे देश में लोग आज छोटी दिवाली मना रहे हैं.
हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या के दिन दीपावली मनाई जाती है. बड़ी दीपावली से एक दिन पहले छोटी दिवाली मनाई जाती है. इसकी भी एक अलग मान्यता है. छोटी दिवाली की धूम पूरे देश में दिख रही है.
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छोटी दिवाली से ही घरों में पटाखा आना शुरू हो जाता है. इसको लेकर बच्चे काफी उत्साहित रहते हैं. इस खास पर्व के अवसर पर बच्चों के साथ-साथ बड़ों में भी उल्लास देखने को मिलता है. लोग जमकर पटाखे छोड़ते हैं और एक दूसरे को मिठाइयां खिलाते हैं. साथ ही दिवाली की शुभकामनाएं भी देते हैं.
छोटी दिवाली की मान्यताएं काफी अलग है. इस दिन रात को घर के बाहर यमराज की पूजा की जाती है. छोटी दीपावली को नरक चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है. छोटी दिवाली की रात को घर के सबसे बड़े सदस्य दीप जलाकर दीप को पूरे घर में घूमाते हैं. इसके बाद उस दीप को घर के बाहर कहीं दूर रख दिया जाता है. इसे यम का दीया कहते हैं.
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ऐसी मान्यता है कि छोटी दीपावली या नरक चतुदर्शी के दिन सूर्य के उगने से पहले स्नान करना लाभकारी होता है. मान्यता यह भी है कि जो इस दिन सूर्य उगने से पहले स्नान करते हैं. उन्हें स्वर्ग की प्राप्ति होती है. साथ ही सौंदर्य में वृद्धि होती है. ऐसा कहा जाता है कि छोटी दिवाली की शाम को यमराज की पूजा कर उनके नाम का दीप जलाने से अकाल मृत्यु टल जाती है.
बता दें कि इस बार छोटी दिवाली, 3 नवंबर 2021 को, यानी आज है. पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 09:02 बजे से अगले दिन सुबह 06:03 बजे तक है. स्नान का समय सुबह 5 बजकर 40 मिनट से 6 बजकर तीन मिनट तक रहेगा. मान्यता है कि इस पवित्र स्नान से मनुष्य की आत्मा की शुद्धि होती है और मौत के बाद नरक की यातनाओं से छुटकारा मिलता है.