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बड़ी खबर: बिहार में फिर से लागू होगा चकबंदी, IIT रुड़की ने पूरा किया सर्वे

बिहार सरकार ने कई बार साफ किया है कि हत्या की अधिकांश घटनाओं का कारण जमीनी विवाद होता है. ऐसे में बहुत जल्द सूबे में फिर से चकबंदी लागू किया जाएगा. पढ़िए पूरी खबर

Bihar Chakbandi Rules
Bihar Chakbandi Rules
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Published : Sep 30, 2021, 11:56 AM IST

Updated : Sep 30, 2021, 12:48 PM IST

पटना: बिहार में खेतिहर जमीन के विवाद (Land Dispute In Bihar) को सुलझाने की दिशा में राज्य सरकार (Bihar Government) ने कदम बढ़ाया है. आईआईटी रूड़की ( IIT Roorkee) से आई टीम ने भूमि सर्वेक्षण का काम पूरा कर लिया है और अब बहुत जल्द चकबंदी (Bihar Chakbandi Rules) के जरिये किसानों के अलग-अलग जगहों की खेती की जमीन एक जगह की जाएगी. बिहार सरकार की इस पहल के बाद एक तरफ जहां किसानों को फायदा होगा. वहीं जमीनी विवाद में भी काफी कमी आयेगी.

यह भी पढ़ें- भूमि विवाद समाप्त करने को लेकर सरकार की नयी पहल, अब हर केस का होगा अपना यूनिक कोड

भूमि विवाद बिहार की सबसे जटिल समस्या है. लेकिन जल्द ही यह समस्या दूर हो जायेगी. इस दिशा में बिहार सरकार ने पहल कर दी है. जमीनी विवाद को जड़ से खत्म करने के लिये बिहार सरकार भूमि सर्वेक्षण का काम करवा रही है और बहुत जल्द चकबंदी कर उन किसानों को एक जगह जमीन का भूखंड उपलब्ध करवा देगी, जिनकी जमीन अलग-अलग जगह पर है. राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के मंत्री राम सूरत राय के मुताबिक इस काम को IIT रूड़की की पांच सदस्य टीम से करवाया गया है. टीम ने इस काम को लगभग पूरा कर लिया है आने वाले दिनों में हम लोग चकबंदी कर किसानों को जमीन मुहैया करवा देंगे.

बता दें कि चकबंदी वह विधि है जिसके द्वारा व्यक्तिगत खेती को टुकड़ों में विभक्त होने से रोका एवं संचयित किया जाता है. किसी ग्राम की समस्त भूमि को और कृषकों के बिखरे हुए भूमिखंडों को एक पृथक्‌ क्षेत्र में पुनर्नियोजित किया जाता है. चकबंदी के अंतर्गत किसान की जोतों को एक स्थान में एकत्रित किया जाता है.

बिहार में चकबंदी का कानून 1956 में बनाया गया और 1958 में इसके नियम बनाये गए. नियम बनाये जाने के बाद बिहार में 1970-71 में चकबंदी पर काम शुरू हुआ. इस दौरान बिहार में 16 जिला के 180 अंचल में चकबंदी शुरू हई जिसमे 28 हजार गांव शामिल थे, लेकिन 1992 में चकबंदी को स्थगित कर दिया गया जिसके बाद कैमूर किसान संघ ने न्यायालय ने का दरवाजा खटखटाया और न्यायालय के अदेश के बाद 1996 में चकबंदी फिर शुरू की गई.

यह भी पढ़ें-बिहार के मंत्री का बड़ा खुलासा- 'सीमांचल में अवैध तरीके से जमीन खरीद रहे घुसपैठिए'

यह भी पढ़ें-Patna News: जमीन के लिए बेटे ने घर से निकाला, जनता दरबार पहुंचा बुजुर्ग

पटना: बिहार में खेतिहर जमीन के विवाद (Land Dispute In Bihar) को सुलझाने की दिशा में राज्य सरकार (Bihar Government) ने कदम बढ़ाया है. आईआईटी रूड़की ( IIT Roorkee) से आई टीम ने भूमि सर्वेक्षण का काम पूरा कर लिया है और अब बहुत जल्द चकबंदी (Bihar Chakbandi Rules) के जरिये किसानों के अलग-अलग जगहों की खेती की जमीन एक जगह की जाएगी. बिहार सरकार की इस पहल के बाद एक तरफ जहां किसानों को फायदा होगा. वहीं जमीनी विवाद में भी काफी कमी आयेगी.

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भूमि विवाद बिहार की सबसे जटिल समस्या है. लेकिन जल्द ही यह समस्या दूर हो जायेगी. इस दिशा में बिहार सरकार ने पहल कर दी है. जमीनी विवाद को जड़ से खत्म करने के लिये बिहार सरकार भूमि सर्वेक्षण का काम करवा रही है और बहुत जल्द चकबंदी कर उन किसानों को एक जगह जमीन का भूखंड उपलब्ध करवा देगी, जिनकी जमीन अलग-अलग जगह पर है. राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के मंत्री राम सूरत राय के मुताबिक इस काम को IIT रूड़की की पांच सदस्य टीम से करवाया गया है. टीम ने इस काम को लगभग पूरा कर लिया है आने वाले दिनों में हम लोग चकबंदी कर किसानों को जमीन मुहैया करवा देंगे.

बता दें कि चकबंदी वह विधि है जिसके द्वारा व्यक्तिगत खेती को टुकड़ों में विभक्त होने से रोका एवं संचयित किया जाता है. किसी ग्राम की समस्त भूमि को और कृषकों के बिखरे हुए भूमिखंडों को एक पृथक्‌ क्षेत्र में पुनर्नियोजित किया जाता है. चकबंदी के अंतर्गत किसान की जोतों को एक स्थान में एकत्रित किया जाता है.

बिहार में चकबंदी का कानून 1956 में बनाया गया और 1958 में इसके नियम बनाये गए. नियम बनाये जाने के बाद बिहार में 1970-71 में चकबंदी पर काम शुरू हुआ. इस दौरान बिहार में 16 जिला के 180 अंचल में चकबंदी शुरू हई जिसमे 28 हजार गांव शामिल थे, लेकिन 1992 में चकबंदी को स्थगित कर दिया गया जिसके बाद कैमूर किसान संघ ने न्यायालय ने का दरवाजा खटखटाया और न्यायालय के अदेश के बाद 1996 में चकबंदी फिर शुरू की गई.

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Last Updated : Sep 30, 2021, 12:48 PM IST
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