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चैती छठ पूजा का दूसरा दिन: आज है खरना, निर्जला उपवास शुरू

लोक आस्था और सूर्य उपासना का महापर्व चैती छठ का बुधवार को दूसरा दिन है. आज व्रती महिलाएं दिनभर उपवास रखेंगी और शाम को 'खरना' होगा. आगे पढ़ें पूरी खबर...

2nd day kharna
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Published : Apr 5, 2022, 10:38 PM IST

Updated : Apr 6, 2022, 6:42 AM IST

पटना: लोक आस्था का महापर्व चैती छठ पूजा का आज दूसरा दिन है. छठव्रती आज खरना का प्रसाद बनाएंगी (Chaiti Chhath Puja kharna) और शाम में छठ माता को अर्पित कर प्रसाद ग्रहण करेंगी, जिसके बाद 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो जाएगा. छठ पर्व के दूसरे दिन व्रतधारी दिनभर उपवास रखने के बाद शाम को भोजन करते (Chaiti chhath puja 2022) हैं. इसे 'खरना' कहा जाता है. खरना का प्रसाद लेने के लिए आस-पास के सभी लोगों को निमंत्रित किया जाता है. प्रसाद के रूप में गुड़ से बने हुए चावल की खीर के साथ दूध, और रोटी बनाई जाती है. इसमें नमक और चीनी का उपयोग नहीं किया जाता है.

ये भी पढ़ें - स्कंद पुराण में भी छठ महापर्व का है जिक्र, जानें अर्घ्य देने का समय

36 घंटे का निर्जला व्रत : खरना के दिन जो प्रसाद बनता है, उसे नए चूल्हे पर बनाया जाता है. व्रती खीर अपने हाथों से पकाते हैं. शाम को प्रसाद ग्रहण करने के बाद व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो जाता है. कई लोग गंगा के तट पर या जलाशयों के किनारे खरना करते हैं, वहीं कई लोग अपने घर में ही विधि-विधान से खरना करते हैं. छठ पर्व को लेकर पूरे बिहार का माहौल भक्तिमय हो गया है. पटना सहित बिहार के शहरों से लेकर गांवों तक में छठी मईया के कर्णप्रिय और पारंपरिक गीत गूंज रहे हैं.

यह है पूरी विधि : छठ पूजा का दूसरे दिन आज खरना को लेकर व्रती उत्साहित हैं. खरना या लोहंडा छठ पूजा का महत्वपूर्ण दिन होता है. इस दिन व्रत रखा जाता और रात में खीर खाकर फिर 36 घंटे का कठिन व्रत रखा जाता है. इस दिन छठ पूजा के प्रसाद की तैयारी की जाती है और प्रसाद बनाया जाता है. 6 अप्रैल बुधवार के दिन खरना किया जाएगा. 7 अप्रैल गुरुवार को अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को पहला अर्घ्य दिया जाएगा. वहीं 8 अप्रैल शुक्रवार को उदयीमान सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा और इसके साथ ही छठ पूजा का समापन हो जाता है.

जो लोग इस व्रत को अपने घरों में नहीं कर सकते वे लोग भी सुप में सभी तरह के प्रसाद रखकर छठव्रती के घरों तक ले जाते हैं . और पूरे विधि विधान से उनके सुप दौरों की भी घाटों में पूजा होती है. इसलिए इसे लोकआस्था का महापर्व माना जाता है. इसमें सभी की भागीदारी किसी न किसी रूप में होती है. इस दौरान छठव्रती 36 घंटे निर्जला व्रत रखते हैं. यानी इस दौरान वे पानी भी नहीं पीते.

खरना के अगले दिन शाम को सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. इस दिन महिलाएं तालाब या नदी में आधा डूबकर सूर्य भगवान की पूजा करती हैं और बांस से बने सुप में तमाम तरह के फल लेकर उनका भोग लगाती हैं. फिर शाम के अर्घ्य के बाद अगले दिन सुबह उदयीमान भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के साथ ही महापर्व का समापन हो जाता है.

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पटना: लोक आस्था का महापर्व चैती छठ पूजा का आज दूसरा दिन है. छठव्रती आज खरना का प्रसाद बनाएंगी (Chaiti Chhath Puja kharna) और शाम में छठ माता को अर्पित कर प्रसाद ग्रहण करेंगी, जिसके बाद 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो जाएगा. छठ पर्व के दूसरे दिन व्रतधारी दिनभर उपवास रखने के बाद शाम को भोजन करते (Chaiti chhath puja 2022) हैं. इसे 'खरना' कहा जाता है. खरना का प्रसाद लेने के लिए आस-पास के सभी लोगों को निमंत्रित किया जाता है. प्रसाद के रूप में गुड़ से बने हुए चावल की खीर के साथ दूध, और रोटी बनाई जाती है. इसमें नमक और चीनी का उपयोग नहीं किया जाता है.

ये भी पढ़ें - स्कंद पुराण में भी छठ महापर्व का है जिक्र, जानें अर्घ्य देने का समय

36 घंटे का निर्जला व्रत : खरना के दिन जो प्रसाद बनता है, उसे नए चूल्हे पर बनाया जाता है. व्रती खीर अपने हाथों से पकाते हैं. शाम को प्रसाद ग्रहण करने के बाद व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो जाता है. कई लोग गंगा के तट पर या जलाशयों के किनारे खरना करते हैं, वहीं कई लोग अपने घर में ही विधि-विधान से खरना करते हैं. छठ पर्व को लेकर पूरे बिहार का माहौल भक्तिमय हो गया है. पटना सहित बिहार के शहरों से लेकर गांवों तक में छठी मईया के कर्णप्रिय और पारंपरिक गीत गूंज रहे हैं.

यह है पूरी विधि : छठ पूजा का दूसरे दिन आज खरना को लेकर व्रती उत्साहित हैं. खरना या लोहंडा छठ पूजा का महत्वपूर्ण दिन होता है. इस दिन व्रत रखा जाता और रात में खीर खाकर फिर 36 घंटे का कठिन व्रत रखा जाता है. इस दिन छठ पूजा के प्रसाद की तैयारी की जाती है और प्रसाद बनाया जाता है. 6 अप्रैल बुधवार के दिन खरना किया जाएगा. 7 अप्रैल गुरुवार को अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को पहला अर्घ्य दिया जाएगा. वहीं 8 अप्रैल शुक्रवार को उदयीमान सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा और इसके साथ ही छठ पूजा का समापन हो जाता है.

जो लोग इस व्रत को अपने घरों में नहीं कर सकते वे लोग भी सुप में सभी तरह के प्रसाद रखकर छठव्रती के घरों तक ले जाते हैं . और पूरे विधि विधान से उनके सुप दौरों की भी घाटों में पूजा होती है. इसलिए इसे लोकआस्था का महापर्व माना जाता है. इसमें सभी की भागीदारी किसी न किसी रूप में होती है. इस दौरान छठव्रती 36 घंटे निर्जला व्रत रखते हैं. यानी इस दौरान वे पानी भी नहीं पीते.

खरना के अगले दिन शाम को सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. इस दिन महिलाएं तालाब या नदी में आधा डूबकर सूर्य भगवान की पूजा करती हैं और बांस से बने सुप में तमाम तरह के फल लेकर उनका भोग लगाती हैं. फिर शाम के अर्घ्य के बाद अगले दिन सुबह उदयीमान भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के साथ ही महापर्व का समापन हो जाता है.

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Last Updated : Apr 6, 2022, 6:42 AM IST
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