पटना: राजधानी से सटे मसौढ़ी में एसटीईटी अभ्यर्थियों ने परीक्षा रद्द होने के विरोध में एक दिवसीय धरना सह विरोध प्रदर्शन किया. अभ्यर्थियों का कहना था कि इस बार की परीक्षा में जूते-चप्पल से लेकर बेल्ट तक खुलवा दी गई. कदाचार मुक्त परीक्षा के लिए हरसंभव उपाय किए गए और परीक्षा कदाचार मुक्त रही. बिहार बोर्ड अध्यक्ष आनंद किशोर ने भी परीक्षा के तुरंत बाद प्रेस कांफ्रेंस कर ये साफ कर दिया था कि 2019 में हुई परीक्षा पूरी तरह से कदाचार मुक्त है. इसके बावजूद भी परीक्षा को रद्द क्यों किया गया.
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शिक्षा माफियाओं के दबाव में सरकार ने लिया फैसला
प्रदर्शनरत अभ्यर्थियों ने आरोप लगाते हुए कहा कि इसका रिजल्ट पूरे निष्पक्ष तरीके से निकाले जाने की बात कही गई थी. लेकिन, फिर सरकार पर क्या ऐसी मजबूरी आई की उन्होंने इसके रिजल्ट को खारिज कर एसटीईटी परीक्षा भी रद्द कर दी और फिर से परीक्षा करवाने का निर्णय लिया. धरने पर बैठे छात्रों का साफ तौर पर कहना था कि बिहार में शिक्षा माफियाओं के दबाव में सरकार ने ये फैसला लिया है, जो बेहद घिनौना काम है. अभ्यर्थियों ने ये मांग की है कि सरकार जल्द अपने फैसले पर विचार करे.
एसटीईटी अभियर्थियों का उग्र प्रदर्शन की चेतावनी
अभ्यर्थियों को सरकार के निर्णय का इंतजार है. एसटीईटी अभ्यर्थियों ने चेतावनी भरे लहजे में कहा कि अगर जल्द ही मांगों पर विचार नहीं किया गया तो सभी अभ्यर्थी पूरे बिहार में प्रदर्शन करेंगे. सरकार अगर परीक्षा रद्द करने के फैसले को वापस नहीं लेती है तो पूरे प्रदेश में एसटीईटी अभ्यर्थी उग्र प्रदर्शन करेंगे.