पटना: बिहार में कोरोना (Corona in Bihar) की पहली और दूसरी लहर के संक्रमण को अब तीसरी लहर पीछे छोड़ने लगी है. पिछले साल मार्च में संक्रमण बढ़ना शुरू हुआ था और 21 मई को बिहार में 5000 से अधिक संक्रमित मिले थे, लेकिन इस साल दिसंबर में संक्रमण बढ़ना शुरू हुआ और 1 महीने से भी कम समय में तीसरी लहर में उस आंकड़े को पार कर गया है. पटना में सबसे अधिक 2,000 से अधिक कोरोना संक्रमित मिल रहे हैं. उसके बाद गया, मुजफ्फरपुर और समस्तीपुर में भी 200 से अधिक कोरोना संक्रमित मिल रहे हैं.
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बिहार के अधिकांश हिस्सों में कोरोना पांव पसार चुका है. नए वैरीअंट ओमीक्रोन के मिलने के बाद सरकार की चिंता बढ़ गई है. मुख्यमंत्री आवास, सचिवालय, विधानसभा, पार्टी कार्यालयों और मंत्रियों के आवास से कोरोना पॉजिटिव मिलने के बाद सरकार के कामकाज पर खासा असर पड़ा है. कोरोना संक्रमण जिस प्रकार से बढ़ रहा है, सरकार के अंदर भी लॉकडाउन को लेकर चर्चा शुरू है. फिलहाल पूर्ण लॉकडाउन ना लगे तो आंशिक लॉकडाउन बिहार में जल्द लग सकता है.
ऐसे 21 जनवरी तक हाल ही में कई प्रतिबंध लगाने की घोषणा की गई है लेकिन उसका असर नहीं है. सत्ताधारी जेडीयू के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार का कहना है कि लॉकडाउन को लेकर मुख्यमंत्री समीक्षा के बाद ही कोई फैसला लेंगे. उन्होंने कहा कि सीएम पहले भी समीक्षा और संवाद के आधार पर ही फैसला लेते रहे हैं.
"लॉकडाउन को लेकर मुख्यमंत्री समीक्षा के बाद ही कोई फैसला लेंगे. सीएम नीतीश कुमार पहले भी समीक्षा और संवाद के आधार पर ही फैसला लेते रहे हैं और आगे भी ऐसा ही करेंगे"- नीरज कुमार, मुख्य प्रवक्ता, जेडीयू
उधर, कोरोना के बढ़ते मामलों को लेकर विपक्ष भी चिंतित है. आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी का कहना है कि इस बार कोरोना के मामले जरूर तेजी से बढ़ रहे हैं लेकिन राहत की बात ये है कि लोग हॉस्पिटल में कम भर्ती हो रहे हैं. इसके बाद भी लोगों की जान बचाने के लिए यदि लॉकडाउन लगाना पड़े तो सरकार लगाए. साथ ही वे कहते हैं कि लॉकडाउन लगाने से कई तरह की समस्या भी पैदा होगी, इसलिए वैकल्पिक व्यवस्था भी सरकार को पहले कर लेनी चाहिए.
"लोगों की जान बचाने के लिए यदि लॉकडाउन लगाना पड़े तो सरकार को लगाना चाहिए. हालांकि लॉकडाउन लगाने से कई तरह की समस्या भी पैदा होगी, इसलिए वैकल्पिक व्यवस्था भी सरकार को पहले ही कर लेनी चाहिए"- मृत्युंजय तिवारी, प्रवक्ता, आरजेडी
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बेकाबू होते कोरोना को लेकर डॉक्टर भी चिंता जता रहे हैं. आईएमए बिहार के अध्यक्ष अजय कुमार का कहना है कि सरकार को कड़ाई से कोविड प्रोटोकॉल को लागू कराना चाहिए, क्योंकि जिस प्रकार से संक्रमण बढ़ रहे हैं अगर इसी तरह रफ्तार रही तो लॉकडाउन मजबूरी हो जाएगा. वहीं, विशेषज्ञ विद्यार्थी विकास का कहना है कि स्थिति गंभीर है.
"बिहार में और राजधानी पटना में संक्रमण दर बहुत ज्यादा है. वहीं दूसरी लहर में जिस प्रकार से पलायन की स्थिति बनी थी, एक बार फिर से मुंबई और अन्य जगहों से उसी तरह की स्थिति पैदा हो रही है. इसलिए सरकार को मजदूरों के वेलफेयर स्कीम के लिए अभी से विचार करना शुरू कर देना चाहिए"- डॉ. विद्यार्थी विकास, विशेषज्ञ, एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट
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कोरोना की दूसरी लहर और तीसरी लहर को आंकड़ों से ही समझा जा सकता है. बिहार में दूसरी लहर मार्च के महीने में शुरू हुई थी. 22 मार्च को 90 कोरोना पॉजिटिव मिले थे लेकिन 3 दिनों में 25 मार्च को यह बढ़कर 258 हो गया. जबकि 2 अप्रैल को 662, 5 अप्रैल को 935 और 21 मई को 5100 हो गया. वहीं तीसरी लहर दिसंबर में शुरू हुई. 25 दिसंबर को 10 केस मिले. 28 दिसंबर को 47 और 1 जनवरी को 281 केस मिले. जबकि 5 जनवरी को 1659 और 7 जनवरी को 3048 और 9 जनवरी को 5022 मामले सामने आए.
सबसे खराब स्थिति है राजधानी पटना की. पटना में 1 जनवरी को केवल 136 संक्रमित मिले थे और 9 जनवरी को 2018 हो गया है. इसमें लगातार तेजी से इजाफा हो रहा है और सक्रिय संक्रमितों की संख्या भी बढ़कर 10000 के करीब पहुंच गई है. तीसरी रहर में अब तक सरकार के लिए राहत की बात इतनी है लोग होम आइसोलेशन में अधिक हैं. हॉस्पिटल में कम लोग जा रहे हैं. कोरोना से इक्के-दुक्के ही मौत हुई है लेकिन इसके बाद भी ओमीक्रोन के बढ़ते मामले ने सरकार के साथ-साथ विशेषज्ञों और डॉक्टरों की चिंता बढ़ानी शुरू कर दी है.
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