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एक क्लिक में जानें तारापुर विधानसभा का समीकरण, 30 अक्टूबर को उपचुनाव का मतदान

बिहार में तारापुर और कुशेश्वरस्थान विधानसभा सीटों पर अपना कब्जा जमाने के लिए सभी दल एड़ी चोटी का जोर लगाए हुए हैं. 2 सीटों पर हो रहे उपचुनाव को लेकर गुणा गणित चल रहा है. सभी राजनीतिक दल अपने लिए जीत का दावा कर रहे हैं. जानिए तारापुर का पूरा सियासी समीकरण, यहां किसकी चमकती रही है किस्मत.

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Published : Oct 29, 2021, 6:01 AM IST

पटना
पटना

पटना: बिहार में हो रहे 2 सीटों पर उपचुनाव (By-Election) को लेकर जबरदस्त मुकाबला देखा जा रहा है. तारापुर सीट पर जीत हासिल करने के लिए सभी पार्टियों ने पूरी ताकत झोंक दी है. इस सीट पर 30 अक्टूबर को वोट डाले जाएंगे. इस उपचुनाव के कारण ही कांग्रेस महागठबंधन छोड़कर राजद से अलग हो गई है. आरजेडी इस चुनाव में जीत दर्ज कर तेजस्‍वी यादव (Tejashwi Yadav) के नेतृत्‍व को मजबूती देने की कोशिश में है. वहीं, कांग्रेस यह संदेश देना चाहती है कि व‍ह आरजेडी की पिछलग्गू नहीं है.

ये भी पढ़ें- चुनावी शोर तो थम गया लेकिन जानिए तारापुर का पूरा सियासी समीकरण, किसकी चमकती रही है किस्मत

इसके साथ ही एनडीए (NDA) के लिए भी यह चुनाव महत्‍वपूर्ण है. दोनों सीटों पर जेडीयू मैदान में है, इसलिए उपचुनाव में जीत मिलने से सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) का राजनीतिक कद बढ़ना तय है. तारापुर के फलक पर सितारा बनकर कौन चमकेगा यह तो चुनाव परिणाम बताएगा, लेकिन तारापुर विकास को रफ्तार देने वाली हर सरकार के साथ हमेशा खड़ा रहा है.

तारापुर विधानसभा सीट से लड़ रहे उम्मीदवारों

  1. जनता दल युनाइटेड - राजीव कुमार सिंह
  2. राष्‍ट्रीय जनता दल - अरूण कुमार साह
  3. लोक जनशक्ति‍ पार्टी (रामविलास) - कुमार चंदन
  4. इंडियन कांग्रेस नेशनल - राजेश कुमार मिश्र
  5. द प्‍लूरल्‍स पार्टी - वशिष्‍ठ नारायण
  6. राष्‍ट्रीय जन संभावना पार्टी - उपेंद्र सहनी
  7. मु जसीम - बिहार जस्टिस पार्टी
  8. संजय कुमार, दीपक कुमार, धर्मेद्र कुमार, अंशु कुमारी और शिव गांधी - निर्दलीय

9- नोटा

तारापुर सीट पर दो परिवार का रहा दबदबा
तारापुर में दो परिवार शकुनी चौधरी (Shakuni Chaudhary) और मेवालाल चौधरी (Mewalal Chaudhary) का पिछले 35 सालों से दबदबा रहा है. शकुनि चौधरी अब जेडीयू में आ गए हैं, जबकि उनके एक बेटे सम्राट चौधरी बीजेपी कोटे से नीतीश कैबिनेट में पंचायती राज मंत्री हैं. मुंगेर जिले की तारापुर विधानसभा सीट जमुई लोकसभा क्षेत्र में आती है. जेडीयू विधायक डॉ. मेवालाल चौधरी के निधन के बाद से यह सीट खाली है. तारापुर की जनसंख्या 4,56,549 है. यहां कुल मतदाताओं की संख्या 3.10 लाख है, जिनमें 1.68 लाख पुरुष मतदाता और 1.42 लाख महिला मतदाता हैं.

ये भी पढ़ें- बोले मनोज झा-RJD की शिकायत पर SDPO दिलीप झा को कुशेश्वरस्थान में चुनाव कार्य से हटाया गया

तारापुर विधानसभा सीट का इतिहास
1951 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में यहां से बासुकीनाथ राय चुनाव जीते थे. 1957 के आम चुनाव में भी बासुकीनाथ राय ही यहां से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से जीते थे. जबकि 1962 में हुए चुनाव में जय मंगल सिंह यहां से विजयी हुए थे. 1967 के चुनाव में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के बीएन प्रशांत यहां से जीते थे जबकि, 1969 में एचएसडी के तरणी प्रसाद यादव. हालांकि 1972 के चुनाव में तरणी प्रसाद ने कांग्रेस का दामन थाम लिया और यहां से वह विजयी हुए थे. लेकिन, 1977 के विधानसभा चुनाव में यहां से जेएपी की कौशल्या देवी विजयी हुईं थी. 1980 के चुनाव में यहां से सीपीआई के नारायण यादव विजेता हुए थे.

तारापुर में हुए शुरुआती तीन चुनावों में कांग्रेस का कब्जा रहा था, लेकिन 1967 और 1969 के चुनाव में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा था. 1972 में एक बार फिर कांग्रेस ने वापसी की, लेकिन अगले ही चुनाव में उसे हार का सामना करना पड़ा था. कांग्रेस को इसके बाद 1990 में जीत मिली थी.

25 साल तक शकुनी चौधरी रहे काबिज
1985 तारापुर के लिए ऐसे राजनीतिक बदलाव का समय रहा जब उसने शकुनी चौधरी को अपना जनप्रतिनिधि चुना. 1985 तारापुर के लिए ऐसे राजनीतिक बदलाव का समय रहा जब उसने शकुनी चौधरी को अपना जनप्रतिनिधि चुना. शकुनी चौधरी ने 1985, 1990, 1995, 2000 और 2005 के विधानसभा चुनाव में तारापुर सीट पर कब्जा जमाए रखा था. 25 साल तक शकुनी चौधरी तारापुर सीट का प्रतिनिधित्व विधानसभा में कर रहे थे. राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) को यहां पर पहली जीत 2000 के चुनाव में मिली थी. शकुनी चौधरी ने इस बार आरजेडी के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की थी.

ईटीवी भारत GFX
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2010 में नीता चौधरी ने जनता दल यूनाइटेड से तारापुर में जीत हासिल की थी. 2015 में जेडीयू से मेवालाल चौधरी ने तारापुर में विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की थी. मेवालाल चौधरी नीता चौधरी के पति हैं. वो बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर के पूर्व कुलपति थे. 2020 में भी मेवालाल चौधरी ने जीत हासिल की थी. लगभग पांच महीने बाद उनका निधन हो गया था.

ये भी पढ़ें- ...तो क्या राष्ट्रीय राजनीति में लालू प्रसाद यादव कांग्रेस पार्टी की मजबूरी हैं !

तारापुर में मतदान का प्रतिशत
बिहार में बदले राजनीतिक हालात की बात करें तो तारापुर में मतदान का प्रतिशत हमेशा मजबूत ही रहा है. 2005 में अगर पार्टियों के अनुसार बात करें तो 2005 में हुए विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल को 41.38 फ़ीसदी वोट मिले थे. जबकि जदयू को 40.61 फ़ीसदी वोट मिले थे. 2010 की बात करें तो यह राष्ट्रीय जनता दल को 25.77 फ़ीसदी वोट मिले थे, जबकि इस सीट पर जदयू जीती थी. जेडीयू को 37.42 फ़ीसदी वोट मिले थे. 2015 के विधानसभा चुनाव में समझौते के तहत यह सीट हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के हिस्से में गई थी. जबकि HAM को 37.13 फ़ीसदी को ही वोट मिला था. वहीं जेडीयू को 42.27 फ़ीसदी वोट मिला था.

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साल 2020 का उल्लेख करें तो यहां से आरजेडी को 33.09 फ़ीसदी जबकि जेडीयू को 37.26 फ़ीसदी वोट मिले थे. 2005 के बाद तारापुर विधानसभा सीट से एलजीपी कभी चुनाव नहीं लड़ी. 2010 और 2015 में एलजीपी यहां से दावेदारी नहीं पेश की थी लेकिन 2020 के चुनाव में चिराग पासवान ने यहां से उम्मीदवार दिया था और लोक जनशक्ति पार्टी के उम्मीदवार को 6.51 फ़ीसदी वोट मिले थे.

बिहार में सियासी घमासान मचा है और सभी राजनीतिक दल तारापुर सीट पर अपनी जीत का दावा कर रहे हैं. कभी तारापुर सीट पर शकुनी चौधरी की तूती बोलती थी आज उनके बेटे बीजेपी में हैं, नीतीश सरकार में मंत्री हैं. सम्राट चौधरी तारापुर के लिए नीतियां तय करते हैं लेकिन तारापुर सीट से शकुनी चौधरी के जाने के बाद सम्राट चौधरी के दावेदारी और दावा भी नहीं रहा. लेकिन इस बार के विधानसभा के उपचुनाव में तारापुर को जिताने की जिम्मेदारी सभी लोगों के ऊपर है. देखना है कि तारापुर में किस का सितारा उदय होता है?

पटना: बिहार में हो रहे 2 सीटों पर उपचुनाव (By-Election) को लेकर जबरदस्त मुकाबला देखा जा रहा है. तारापुर सीट पर जीत हासिल करने के लिए सभी पार्टियों ने पूरी ताकत झोंक दी है. इस सीट पर 30 अक्टूबर को वोट डाले जाएंगे. इस उपचुनाव के कारण ही कांग्रेस महागठबंधन छोड़कर राजद से अलग हो गई है. आरजेडी इस चुनाव में जीत दर्ज कर तेजस्‍वी यादव (Tejashwi Yadav) के नेतृत्‍व को मजबूती देने की कोशिश में है. वहीं, कांग्रेस यह संदेश देना चाहती है कि व‍ह आरजेडी की पिछलग्गू नहीं है.

ये भी पढ़ें- चुनावी शोर तो थम गया लेकिन जानिए तारापुर का पूरा सियासी समीकरण, किसकी चमकती रही है किस्मत

इसके साथ ही एनडीए (NDA) के लिए भी यह चुनाव महत्‍वपूर्ण है. दोनों सीटों पर जेडीयू मैदान में है, इसलिए उपचुनाव में जीत मिलने से सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) का राजनीतिक कद बढ़ना तय है. तारापुर के फलक पर सितारा बनकर कौन चमकेगा यह तो चुनाव परिणाम बताएगा, लेकिन तारापुर विकास को रफ्तार देने वाली हर सरकार के साथ हमेशा खड़ा रहा है.

तारापुर विधानसभा सीट से लड़ रहे उम्मीदवारों

  1. जनता दल युनाइटेड - राजीव कुमार सिंह
  2. राष्‍ट्रीय जनता दल - अरूण कुमार साह
  3. लोक जनशक्ति‍ पार्टी (रामविलास) - कुमार चंदन
  4. इंडियन कांग्रेस नेशनल - राजेश कुमार मिश्र
  5. द प्‍लूरल्‍स पार्टी - वशिष्‍ठ नारायण
  6. राष्‍ट्रीय जन संभावना पार्टी - उपेंद्र सहनी
  7. मु जसीम - बिहार जस्टिस पार्टी
  8. संजय कुमार, दीपक कुमार, धर्मेद्र कुमार, अंशु कुमारी और शिव गांधी - निर्दलीय

9- नोटा

तारापुर सीट पर दो परिवार का रहा दबदबा
तारापुर में दो परिवार शकुनी चौधरी (Shakuni Chaudhary) और मेवालाल चौधरी (Mewalal Chaudhary) का पिछले 35 सालों से दबदबा रहा है. शकुनि चौधरी अब जेडीयू में आ गए हैं, जबकि उनके एक बेटे सम्राट चौधरी बीजेपी कोटे से नीतीश कैबिनेट में पंचायती राज मंत्री हैं. मुंगेर जिले की तारापुर विधानसभा सीट जमुई लोकसभा क्षेत्र में आती है. जेडीयू विधायक डॉ. मेवालाल चौधरी के निधन के बाद से यह सीट खाली है. तारापुर की जनसंख्या 4,56,549 है. यहां कुल मतदाताओं की संख्या 3.10 लाख है, जिनमें 1.68 लाख पुरुष मतदाता और 1.42 लाख महिला मतदाता हैं.

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तारापुर विधानसभा सीट का इतिहास
1951 में हुए पहले विधानसभा चुनाव में यहां से बासुकीनाथ राय चुनाव जीते थे. 1957 के आम चुनाव में भी बासुकीनाथ राय ही यहां से भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से जीते थे. जबकि 1962 में हुए चुनाव में जय मंगल सिंह यहां से विजयी हुए थे. 1967 के चुनाव में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के बीएन प्रशांत यहां से जीते थे जबकि, 1969 में एचएसडी के तरणी प्रसाद यादव. हालांकि 1972 के चुनाव में तरणी प्रसाद ने कांग्रेस का दामन थाम लिया और यहां से वह विजयी हुए थे. लेकिन, 1977 के विधानसभा चुनाव में यहां से जेएपी की कौशल्या देवी विजयी हुईं थी. 1980 के चुनाव में यहां से सीपीआई के नारायण यादव विजेता हुए थे.

तारापुर में हुए शुरुआती तीन चुनावों में कांग्रेस का कब्जा रहा था, लेकिन 1967 और 1969 के चुनाव में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा था. 1972 में एक बार फिर कांग्रेस ने वापसी की, लेकिन अगले ही चुनाव में उसे हार का सामना करना पड़ा था. कांग्रेस को इसके बाद 1990 में जीत मिली थी.

25 साल तक शकुनी चौधरी रहे काबिज
1985 तारापुर के लिए ऐसे राजनीतिक बदलाव का समय रहा जब उसने शकुनी चौधरी को अपना जनप्रतिनिधि चुना. 1985 तारापुर के लिए ऐसे राजनीतिक बदलाव का समय रहा जब उसने शकुनी चौधरी को अपना जनप्रतिनिधि चुना. शकुनी चौधरी ने 1985, 1990, 1995, 2000 और 2005 के विधानसभा चुनाव में तारापुर सीट पर कब्जा जमाए रखा था. 25 साल तक शकुनी चौधरी तारापुर सीट का प्रतिनिधित्व विधानसभा में कर रहे थे. राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) को यहां पर पहली जीत 2000 के चुनाव में मिली थी. शकुनी चौधरी ने इस बार आरजेडी के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की थी.

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2010 में नीता चौधरी ने जनता दल यूनाइटेड से तारापुर में जीत हासिल की थी. 2015 में जेडीयू से मेवालाल चौधरी ने तारापुर में विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की थी. मेवालाल चौधरी नीता चौधरी के पति हैं. वो बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर के पूर्व कुलपति थे. 2020 में भी मेवालाल चौधरी ने जीत हासिल की थी. लगभग पांच महीने बाद उनका निधन हो गया था.

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तारापुर में मतदान का प्रतिशत
बिहार में बदले राजनीतिक हालात की बात करें तो तारापुर में मतदान का प्रतिशत हमेशा मजबूत ही रहा है. 2005 में अगर पार्टियों के अनुसार बात करें तो 2005 में हुए विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल को 41.38 फ़ीसदी वोट मिले थे. जबकि जदयू को 40.61 फ़ीसदी वोट मिले थे. 2010 की बात करें तो यह राष्ट्रीय जनता दल को 25.77 फ़ीसदी वोट मिले थे, जबकि इस सीट पर जदयू जीती थी. जेडीयू को 37.42 फ़ीसदी वोट मिले थे. 2015 के विधानसभा चुनाव में समझौते के तहत यह सीट हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के हिस्से में गई थी. जबकि HAM को 37.13 फ़ीसदी को ही वोट मिला था. वहीं जेडीयू को 42.27 फ़ीसदी वोट मिला था.

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साल 2020 का उल्लेख करें तो यहां से आरजेडी को 33.09 फ़ीसदी जबकि जेडीयू को 37.26 फ़ीसदी वोट मिले थे. 2005 के बाद तारापुर विधानसभा सीट से एलजीपी कभी चुनाव नहीं लड़ी. 2010 और 2015 में एलजीपी यहां से दावेदारी नहीं पेश की थी लेकिन 2020 के चुनाव में चिराग पासवान ने यहां से उम्मीदवार दिया था और लोक जनशक्ति पार्टी के उम्मीदवार को 6.51 फ़ीसदी वोट मिले थे.

बिहार में सियासी घमासान मचा है और सभी राजनीतिक दल तारापुर सीट पर अपनी जीत का दावा कर रहे हैं. कभी तारापुर सीट पर शकुनी चौधरी की तूती बोलती थी आज उनके बेटे बीजेपी में हैं, नीतीश सरकार में मंत्री हैं. सम्राट चौधरी तारापुर के लिए नीतियां तय करते हैं लेकिन तारापुर सीट से शकुनी चौधरी के जाने के बाद सम्राट चौधरी के दावेदारी और दावा भी नहीं रहा. लेकिन इस बार के विधानसभा के उपचुनाव में तारापुर को जिताने की जिम्मेदारी सभी लोगों के ऊपर है. देखना है कि तारापुर में किस का सितारा उदय होता है?

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