पटना: राष्ट्रीय स्तर पर बिहार की पहचान पिछड़े राज्यों के रूप में है. सीमित संसाधन में बिहार को विकसित राज्यों की श्रेणी में लाना एक बड़ी चुनौती है. बिहार के लिए विशेष राज्य का दर्जा मजबूत विकल्प माना जाता रहा है, लेकिन स्पेशल स्टेटस का मुद्दा राजनैतिक दांव पेच में उलझ कर रह गया है. नीति आयोग की रिपोर्ट (Niti Aayog Report Bihar) सामने आने के बात से स्पेशल स्टेटस के मुद्दे पर बिहार में एक बार फिर से चर्चा शुरू हो गई है.
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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने फिर से स्पेशल स्टेटस की मांग की है. जेडीयू की ओर से कहा जा रहा है कि बिहार पिछड़ा राज्य है और ऐसे में बगैर स्पेशल स्टेटस के बिहार विकास नहीं कर सकता है. विपक्ष ने भी डबल इंजन की सरकार को कटघरे में खड़ा किया है. वहीं, स्पेशल स्टेटस पर बीजेपी प्रवक्ता अरविंद सिंह ने कहा कि इस मुद्दे पर विपक्ष को बेचैन होने की जरूरत नहीं है.
''स्पेशल स्टेटस के मुद्दे पर विपक्ष को बेचैन होने की जरूरत नहीं है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार स्पेशल स्टेटस की मांग कर रहे हैं, लेकिन पहले से ही स्थिति स्पष्ट की जा चुकी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बीच बातचीत चल रही है और इस पूरे मसले पर अंतिम फैसला केंद्र को करना है.''- अरविंद सिंह, बीजेपी प्रवक्ता
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बता दें कि जेडीयू की तरफ से लगातार बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की जा रही है और केंद्र सरकार पर दबाव भी बना रही है. सीएम नीतीश कुमार खुद कई बार विशेष राज्य के दर्जे की मांग कर चुके हैं. लेकिन केंद्र ने आज तक इस पर ध्यान नहीं दिया. बीजेपी जहां अपने स्टैंड पर क्लियर है, वहीं आरजेडी इसे महज सियासत बता रहा है.
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