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मिशन 2024 के लिए सीमांचल भाजपा के लिए बड़ी चुनौती, बैटल फील्ड में अमित शाह का क्या होगा एक्शन प्लान

बिहार में राजनीति की दिशा और दशा बदल चुकी है. सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने पीएम पद की महत्वाकांक्षा के चलते पाला बदल लिया. जदयू ने राजद से गठबंधन कर बिहार में सरकार बना लिया है. बिहार में बदली हुई परिस्थितियों में भाजपा सीमांचल में अपनी खोई हुई जमीन को मजबूत करने में जुटी है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह सीमांचल से मिशन 2024 का आगाज करने जा रहे हैं. सीमांचल की रैली के लिए भाजपा ने पूरी ताकत झोंकी दी है. पढ़ें पूरी खबर...

2024 लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटी BJP
2024 लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटी BJP
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Published : Sep 6, 2022, 8:02 PM IST

पटना: बिहार में सियासत बदल चुका है. कभी राजद का मुखर विरोध करने वाली जदयू ने सूबे में राजद से गठबंधन कर सरकार बना लिया है. बदले हुए हालात में बिहार में बीजेपी अकेली पड़ गई है. उसे 2025 बिहार विधानसभा चुनाव के पहले 2024 लोतसभा चुनाव में अपने आप को मजबूत प्रदर्शन कर ये दिखाना होगा कि जदयू से अलग होने के बाद भी बिहार में बीजेपी मजबूत स्थिति में है. इसके लिए बीजेपी अभी से तैयारी भी कर रही (BJP Prepration For 2024 Lok Sabha Election) है. नीतीश कुमार ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का साथ छोड़ दिया है और अब वह महागठबंधन का हिस्सा हैं. भाजपा विरोधी नेताओं से दिल्ली में मिलकर वो राष्ट्रीय स्तर पर महागठबंधन को आकार देने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें- अमित शाह के बिहार दौरे पर ललन सिंह का तंज, कहा- 'माहौल बिगाड़ने की कोशिश करेंगे वो'

2024 लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटी BJP : सीएम नीतीश कुमार के प्लान को आंकते हुए भाजपा ने भी कमर कस ली है. केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल सीमांचल में कैंप कर रहे हैं. अमित शाह की प्रस्तावित रैली को लेकर जबरदस्त तैयारी की जा रही है. मिशन 2024 के मद्देनजर भाजपा ने बिहार में 35 सीटों पर जीत हासिल करने का लक्ष्य तय किया है. आपको बता दें कि 2014 के चुनाव में भाजपा नीतीश कुमार से अलग होकर चुनाव लड़ी थी और पार्टी को 22 सीटों पर जीत हासिल हुई थी जबकि 30 सीटों पर भाजपा ने उम्मीदवार खड़े किए थे. सीमांचल के इलाके में भाजपा 2014 में उपस्थिति दर्ज नहीं करा सकी थी.

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को बिहार दौरा : 2019 के लोकसभा चुनाव में किशनगंज को छोड़ सीमांचल के सभी सीटों पर एनडीए का कब्जा रहा. लेकिन जदयू के अलग होने के बाद सीमांचल में भाजपा अकेले दम पर मजबूत उपस्थिति दर्ज कराना चाहती है. 2020 के विधानसभा चुनाव में सीमांचल में भाजपा का प्रदर्शन संतोषजनक रहा. पार्टी ने सीमांचल में कमल खिलाकर 7 सीटों पर जीत हासिल की. पूर्णिया सीट भाजपा के खाते में है, तो कटिहार में ब्रानपुर कोड़ा और कटिहार विधानसभा सीट पर भाजपा के विधायक हैं. अररिया में नरपतगंज, फारबिसगंज और सिटी पर भाजपा का कब्जा है. किशनगंज में ठाकुरगंज विधानसभा सीट पर भाजपा को कई बार जीत हासिल हुई है लेकिन फिलहाल किशनगंज में भाजपा के एक भी विधायक नहीं हैं.

बीजेपी को JDU और RJD से मिल रही टक्कर : भाजपा के निशाने पर कोसी क्षेत्र भी है. कोसी इलाके में भी भाजपा कमजोर दिखती है, सुपौल में भाजपा के एकमात्र विधायक छातापुर विधानसभा क्षेत्र से हैं तो मधेपुरा में भाजपा का एक भी विधायक नहीं है. सहरसा जिले में भाजपा के एकमात्र विधायक है. भाजपा कोसी और सीमांचल के साथ जिलों को साधने की तैयारी कर रही है. तमाम प्रदेश स्तर के बड़े नेताओं को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के प्रस्तावित रैली की सफलता के लिए लगाया गया है. अमित शाह की रैली मिशन 2024 का आगाज माना जा रहा है.

ध्रुवीकरण के लिए भाजपा का एक्शन प्लान तैयार : सीमांचल और कोसी इलाके में जदयू मजबूत स्थिति में है. जदयू नेताओं को अमित शाह के दौरे से पूर्व कई तरह की आशंकाएं भी सता रही है. पार्टी प्रवक्ता अरविंद निषाद ने कहा है कि- 'राजनीतिक दलों को रैली करने का अधिकार है लेकिन नेताओं को यह जरूर ख्याल रखना चाहिए कि विभाजनकारी राजनीति ना हो और समाज में समरसता कायम रहे.'

'हम सीमांचल के किले को मजबूत करना चाहते हैं. अतीत में हम कटिहार, पूर्णिया और अररिया सीट जीतते रहे हैं लेकिन गठबंधन की वजह से हमें नुकसान हुआ. हम अकेले दम पर सीमांचल में बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं. और अमित शाह की ऐतिहासिक रैली से तस्वीर साफ हो जाएगी.' - राधा मोहन शर्मा, प्रदेश महामंत्री, भाजपा

'भाजपा के लिए सीमांचल बड़ी चुनौती है और रैली के जरिए राष्ट्रीय स्तर पर ध्रुवीकरण की राजनीति को धार दी जाएगी. संभव है कि सीमांचल के रैली से सीएए, एनआरसी, बांग्लादेशी घुसपैठ और रोहिंग्या का मुद्दा उछाला जा सकता है.' - कौशलेंद्र प्रियदर्शी, वरिष्ठ पत्रकार

पटना: बिहार में सियासत बदल चुका है. कभी राजद का मुखर विरोध करने वाली जदयू ने सूबे में राजद से गठबंधन कर सरकार बना लिया है. बदले हुए हालात में बिहार में बीजेपी अकेली पड़ गई है. उसे 2025 बिहार विधानसभा चुनाव के पहले 2024 लोतसभा चुनाव में अपने आप को मजबूत प्रदर्शन कर ये दिखाना होगा कि जदयू से अलग होने के बाद भी बिहार में बीजेपी मजबूत स्थिति में है. इसके लिए बीजेपी अभी से तैयारी भी कर रही (BJP Prepration For 2024 Lok Sabha Election) है. नीतीश कुमार ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का साथ छोड़ दिया है और अब वह महागठबंधन का हिस्सा हैं. भाजपा विरोधी नेताओं से दिल्ली में मिलकर वो राष्ट्रीय स्तर पर महागठबंधन को आकार देने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें- अमित शाह के बिहार दौरे पर ललन सिंह का तंज, कहा- 'माहौल बिगाड़ने की कोशिश करेंगे वो'

2024 लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटी BJP : सीएम नीतीश कुमार के प्लान को आंकते हुए भाजपा ने भी कमर कस ली है. केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल सीमांचल में कैंप कर रहे हैं. अमित शाह की प्रस्तावित रैली को लेकर जबरदस्त तैयारी की जा रही है. मिशन 2024 के मद्देनजर भाजपा ने बिहार में 35 सीटों पर जीत हासिल करने का लक्ष्य तय किया है. आपको बता दें कि 2014 के चुनाव में भाजपा नीतीश कुमार से अलग होकर चुनाव लड़ी थी और पार्टी को 22 सीटों पर जीत हासिल हुई थी जबकि 30 सीटों पर भाजपा ने उम्मीदवार खड़े किए थे. सीमांचल के इलाके में भाजपा 2014 में उपस्थिति दर्ज नहीं करा सकी थी.

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को बिहार दौरा : 2019 के लोकसभा चुनाव में किशनगंज को छोड़ सीमांचल के सभी सीटों पर एनडीए का कब्जा रहा. लेकिन जदयू के अलग होने के बाद सीमांचल में भाजपा अकेले दम पर मजबूत उपस्थिति दर्ज कराना चाहती है. 2020 के विधानसभा चुनाव में सीमांचल में भाजपा का प्रदर्शन संतोषजनक रहा. पार्टी ने सीमांचल में कमल खिलाकर 7 सीटों पर जीत हासिल की. पूर्णिया सीट भाजपा के खाते में है, तो कटिहार में ब्रानपुर कोड़ा और कटिहार विधानसभा सीट पर भाजपा के विधायक हैं. अररिया में नरपतगंज, फारबिसगंज और सिटी पर भाजपा का कब्जा है. किशनगंज में ठाकुरगंज विधानसभा सीट पर भाजपा को कई बार जीत हासिल हुई है लेकिन फिलहाल किशनगंज में भाजपा के एक भी विधायक नहीं हैं.

बीजेपी को JDU और RJD से मिल रही टक्कर : भाजपा के निशाने पर कोसी क्षेत्र भी है. कोसी इलाके में भी भाजपा कमजोर दिखती है, सुपौल में भाजपा के एकमात्र विधायक छातापुर विधानसभा क्षेत्र से हैं तो मधेपुरा में भाजपा का एक भी विधायक नहीं है. सहरसा जिले में भाजपा के एकमात्र विधायक है. भाजपा कोसी और सीमांचल के साथ जिलों को साधने की तैयारी कर रही है. तमाम प्रदेश स्तर के बड़े नेताओं को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के प्रस्तावित रैली की सफलता के लिए लगाया गया है. अमित शाह की रैली मिशन 2024 का आगाज माना जा रहा है.

ध्रुवीकरण के लिए भाजपा का एक्शन प्लान तैयार : सीमांचल और कोसी इलाके में जदयू मजबूत स्थिति में है. जदयू नेताओं को अमित शाह के दौरे से पूर्व कई तरह की आशंकाएं भी सता रही है. पार्टी प्रवक्ता अरविंद निषाद ने कहा है कि- 'राजनीतिक दलों को रैली करने का अधिकार है लेकिन नेताओं को यह जरूर ख्याल रखना चाहिए कि विभाजनकारी राजनीति ना हो और समाज में समरसता कायम रहे.'

'हम सीमांचल के किले को मजबूत करना चाहते हैं. अतीत में हम कटिहार, पूर्णिया और अररिया सीट जीतते रहे हैं लेकिन गठबंधन की वजह से हमें नुकसान हुआ. हम अकेले दम पर सीमांचल में बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं. और अमित शाह की ऐतिहासिक रैली से तस्वीर साफ हो जाएगी.' - राधा मोहन शर्मा, प्रदेश महामंत्री, भाजपा

'भाजपा के लिए सीमांचल बड़ी चुनौती है और रैली के जरिए राष्ट्रीय स्तर पर ध्रुवीकरण की राजनीति को धार दी जाएगी. संभव है कि सीमांचल के रैली से सीएए, एनआरसी, बांग्लादेशी घुसपैठ और रोहिंग्या का मुद्दा उछाला जा सकता है.' - कौशलेंद्र प्रियदर्शी, वरिष्ठ पत्रकार

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