पटना: बिहार में भाजपा आत्मनिर्भर होने के लिए तैयार है. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Union Home Minister Amit Shah) के 2 दिनों के बिहार दौरे के बाद भाजपा का अभियान औपचारिक तौर पर शुरू हो चुका है. मिशन 2024 के लिए नेता और कार्यकर्ता कमर कस चुके हैं और सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) से दो-दो हाथ के लिए तैयार हैं. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने 2 दिनों के यात्रा के दौरान जहां कार्यकर्ताओं में उत्साह भरने की कोशिश की, वहीं बड़ी नेताओं को टिप्स भी दिए. पूर्णिया की रैली के बाद केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने किशनगंज में कार्यकर्ताओं के साथ बैठक की और उनसे संवाद भी किए. कार्यकर्ताओं को अपना बूथ सबसे मजबूत के नारे को धरातल पर लाने की जिम्मेदारी दी गई है.
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मिशन 2024 की तैयारी में जुटी बीजेपी : कार्यकर्ताओं के अलावा बड़े नेताओं को भी बूथ की जिम्मेदारी सौंपी गई है. एक विधायक के जिम्मे जहां 25 बूथों को सशक्त बनाने का जिम्मा होगा, वहीं एक सांसद के कंधों पर 100 बूथों की जिम्मेदारी दी गई है. पन्ना प्रमुख को सशक्त करने की योजना को भी मूर्त रूप देने के लिए कार्यकर्ताओं को कहा गया है. जनप्रतिनिधियों से केंद्रीय गृहमंत्री और पार्टी को उम्मीदें हैं. गृहमंत्री ने तमाम विधायकों से यह कहा है कि अपने विधानसभा क्षेत्र के अलावा वह एक और विधानसभा क्षेत्र की जिम्मेदारी लें और उस क्षेत्र की समस्या कार्यकर्ताओं के साथ सामंजस्य बैठाना साथ ही साथ पार्टी के कार्यक्रमों और नीतियों को बूथ स्तर तक ले जाने की जिम्मेदारी उठाएं.
हर BJP सासंद को दी गई है जिम्मेदारी : सांसदों से भी पार्टी को उम्मीद है, हर सांसद को अपने संसदीय क्षेत्र के अलावा 5 विधानसभा क्षेत्रों की जिम्मेदारी उठाने को कहा गया है. विधानसभा क्षेत्र की तमाम तरह की समस्याओं को सुलझाने का जिम्मा सांसद के कंधे पर होगा और वह 1 तरीके से प्रभारी के तौर पर होंगे. उत्तर प्रदेश में पिछले विधानसभा चुनाव में जिस तरीके से भाजपा ने चार दलों के गठबंधन को हराकर मजबूत सरकार बनाई थी, उसी तरीके से बिहार में भी पार्टी ने ब्लू प्रिंट तैयार किया हुआ है. सीमांचल से अभियान की शुरुआत करने के पीछे लक्ष्य है कि सीमांचल में अल्पसंख्यकों के अंदर पसमांदा आबादी सबसे ज्यादा है और पार्टी उस वोट बैंक को साध कर लालू प्रसाद यादव के वोट बैंक में सेंधमारी करना चाहती है.
बीजेपी के बड़े नेताओं को दी गई बड़ी जिम्मेदारी : इसके अलावा पार्टी नेताओं को सैयद वोट बैंक साधने के लिए भी काम करने को कहा गया है. 2024 में बिहार भाजपा के तमाम बड़े नेताओं के कंधों पर बड़ी जिम्मेदारी सौंपने की तैयारी कर ली गई है. इस बार किसी भी बड़े नेता को हाशिए पर नहीं रखा जाएगा, सुशील मोदी, नंदकिशोर यादव, प्रेम कुमार भी मुख्यधारा की राजनीति में दिखेंगे. 2024 की सफलता के बाद नेताओं का चयन होगा और परफॉर्मेंस के आधार पर मुख्यमंत्री का उम्मीदवार भी तय किया जाएगा. बड़े नेताओं को बूथ की जिम्मेदारी दी गई है.
'यूपी मॉडल के तर्ज पर हम बिहार को भी जीत लेंगे. उत्तर प्रदेश में जिस तरीके से हमने सभी समुदाय का वोट हासिल किया, उसी तरीके से पार्टी की नीतियों और कार्यक्रमों के आधार पर बिहार में सभी समुदाय के वोट हासिल करेंगे.' - प्रेम रंजन पटेल, भाजपा प्रवक्ता
'भाजपा अपने नेताओं को लॉलीपॉप बनाने का काम करती है. लोकसभा चुनाव में तो मुख्यमंत्री पद को लेकर नेताओं को प्रलोभन दे दिया जाएगा लेकिन सरकार बनने के बाद तमाम नेता हाशिए पर चले जाएंगे. भाजपा बिहार में अपने मंसूबे में कामयाब होने वाली नहीं है.' - चितरंजन गगन, राजद प्रवक्ता
'बिहार में कोई मॉडल नहीं चलेगा, बिहार का अपना अलग मॉडल है और बिहार लीडर स्टेट है. बिहार में ही भाजपा का रथ रुकेगा और 2024 में गैर भाजपा सरकार बनेगी.' - अरविंद निषाद, जदयू प्रवक्ता
'अमित शाह ने 2 दिनों के दौरे के दौरान जहां अपनी रणनीतियों का खुलासा किया, वहीं कार्यकर्ताओं को भी कई टास्क दिए. खास बात यह है कि इस बार सीमांचल के अल्पसंख्यक वोट बैंक को साधने की तैयारी भी पार्टी की ओर से की गई है. यूपी मॉडल के जरिए बिहार को साधने की कोशिश भी पार्टी की होगी.' - डॉ संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक