पटना: बिहार में अब बाल विवाह और दहेज उन्मूलन में मुखिया और दूसरे जनप्रतिनिधियों की भी भागीदारी और भूमिका तय होगी. पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी (BJP Minister Samrat CHAUDHARY Statement On dowry) ने इस बाबत निर्देश दिया है. मंत्री सम्राट चौधरी ने गुरुवार को बताया कि बाल विवाह एवं दहेज प्रथा गंभीर सामाजिक बुराई है, जिसे दूर किये बिना सशक्त समाज की परिकल्पना नहीं की जा सकती है.
इसी क्रम में राज्यव्यापी समाज सुधार अभियान प्रारंभ किया गया है. बिहार पंचायत राज अधिनियम, 2006 के तहत ग्राम पंचायत एवं पंचायत समिति को महिला एवं बाल कार्यक्रमों में सहभागिता करने का दायित्व सौंपा गया है. उन्होंने कहा कि ग्राम पंचायत के प्रधान को बाल विवाह की सूचना प्राप्त कर अग्रसारित करने वाले माध्यम के रूप में चिन्हित किया गया है.
उन्होंने बताया कि बाल विवाह से संबंधित मामला संज्ञान में आने पर मुखिया इसकी त्वरित सूचना प्रखंड विकास पदाधिकारी (सहायक बाल विवाह निषेध पदाधिकारी) तथा अनुमंडल पदाधिकारी (बाल विवाह निषेध पदाधिकारी) को देते हुए बाल विवाह को रूकवाने का काम करेंगे तथा दहेज लेन-देन से संबंधित मामला संज्ञान में आने पर जिला कल्याण पदाधिकारी (दहेज प्रतिषेध पदाधिकारी) को सूचित करते हुए कार्रवाई से अवगत करायेंगे.
पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी ने बताया कि बिहार विवाह पंजीकरण नियमावली में मुखिया को विवाह पंजीकरण का दायित्व दिया गया है. विवाह पंजीकरण के लिए विवाहों का वैध होना अनिवार्य है. पंचायत क्षेत्र के हर वैध विवाह का पंजीकरण करना मुखिया एवं पंचायत सचिव के लिए अनिवार्य होगा. विवाहों को पंजीकृत करने से बाल विवाह के मामलों में अंकुश लगाया जा सकता है.
मंत्री सम्राट चौधरी ने बताया कि बाल विवाह होने की संभावना की सूचना प्राप्त होते ही वार्ड सदस्य, मुखिया संबंधित परिवार के घर पहुंचकर अभिभावकों को समझायेंगे और ऐसा न करने की सलाह देंगे. नहीं मानने पर स्थानीय थाना एवं प्रखंड विकास पदाधिकारी, अनुमंडल पदाधिकारी को तुरंत सूचना देंगे और विवाह रूकवाने में उनका सहयोग करेंगे.