ETV Bharat / city

बिहार महासमर में BJP ने परिवारवाद से किया तौबा, कई नेताओं की अधूरी रह गई हसरत - भाजपा में परिवारवाद से दूरी

भारतीय जनता पार्टी ने बिहार विधानसभा चुनाव में साफ कर दिया है कि पार्टी में परिवारवाद को दरकिनार कर ही टिकट दी जा रही है. ऐसे में भाजपा के कई नेताओं के उम्मीदों को एक बार फिर झटका लगा है. कई ऐसे नेता थे जो अपने पुत्र या परिजन को टिकट दिलाना चाहते थे पर उनके ख्वाहिशों पर पार्टी ने पूर्ण विराम लगा दिया है.

BJP avoided nepotism in bihar elections , बिहार महासमर में BJP ने परिवारवाद से किया तौबा
भाजपा नेता
author img

By

Published : Oct 12, 2020, 10:17 PM IST

पटना: भारतीय जनता पार्टी ने अपने इरादे जाहिर कर दिए हैं. पार्टी, नेताओं के दबाव के आगे झुकने वाली नहीं है और किसी भी सूरत में भाजपा परिवारवाद को पार्टी की संस्कृति बनाना नहीं चाहती. इस वजह से भाजपा के कई नेताओं के उम्मीदों को एक बार फिर झटका लगा है.

देखें पूरी खबर

नेता पुत्रों को पार्टी ने नहीं दी तवज्जो

भारतीय जनता पार्टी में कई ऐसे नेता हैं, जो अपने पुत्र को मैदान में उतारना चाहते थे. विधानसभा चुनाव को देखते हुए पार्टी के वरीय नेता जोर आजमाइश कर रहे थे लेकिन पार्टी के कद्दावर नेता और केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे के पुत्र को टिकट नहीं देकर पार्टी ने अपने इरादे जाहिर कर दिए हैं. पार्टी ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि पुत्र या रिश्तेदारों को अगर टिकट चाहिए तो नेता को पद छोड़ना होगा.

परिवारवाद भाजपा के एजेंडे में शामिल नहीं

भारतीय जनता पार्टी ने एक बार फिर स्पष्ट कर दिया कि पार्टी में कद और पद महत्वपूर्ण नहीं है, पार्टी की संस्कृति सर्वोपरि है. भाजपा ने परिवारवाद के रास्ते को एक बार फिर नकार दिया और वैसे तमाम नेताओं को संदेश दे दिया जो अपने पुत्र के टिकट के लिए जद्दोजहद कर रहे थे. मिसाल के तौर पर सीपी ठाकुर जब सक्रिय राजनीति से अलग हुए तब उनके पुत्र विवेक ठाकुर को राज्यसभा भेजा गया. ऐसे नेताओं की फेहरिस्त भी लंबी है जो पुत्र के लिए दौड़ लगा रहे थे. केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे अपने पुत्र अर्जित सास्वत के लिए भागलपुर की टिकट चाहते थे, इसके अलावा पार्टी के कोषाध्यक्ष दिलीप जायसवाल भी अपने पुत्र को टिकट दिलाने के लिए कसरत कर रहे थे. डॉ सीपी ठाकुर भी अपने पुत्र दीपक ठाकुर को पाली से चुनाव लड़ जाना चाहते थे.

BJP avoided nepotism in bihar elections , बिहार महासमर में BJP ने परिवारवाद से किया तौबा
भाजपा नेता

और पढ़ें- बिहार चुनाव: रूडी-शाहनवाज का घटा रुतबा? स्टार प्रचारकों की सूची में भी नहीं मिली जगह

वहीं, केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद के पुत्र भी टिकट के दावेदारों की सूची में शामिल थे. सांसद जनार्दन सिंह सिग्रीवाल अपने पुत्र प्रमोद के लिए टिकट चाहते थे. विधान पार्षद संजय पासवान अपने पुत्र गुरु प्रकाश के लिए टिकट की चाह रखते थे. इसके अलावा गोपाल नारायण सिंह ने अपने पुत्र विक्रम को चुनाव लड़ना चाहते थे. बिहार विधान परिषद के सभापति अवधेश नारायण सिंह के पुत्र रमन सिंह भी चुनाव में भाग्य आजमाना चाहते थे. भाजपा सांसद रामकृपाल यादव अपने पुत्र अभिमन्यु के लिए टिकट चाहते थे. इसके अलावा पूर्व सांसद दिवंगत भोला सिंह की बहू वीणा देवी भी चुनाव लड़ना चाहती थी. दिवंगत लालमणि चौबे के पुत्र सुशील चौबे ने भी दावेदारी ठोक रखी थी.

परिवारवाद को जगह नहीं

भाजपा प्रवक्ता डॉ राम सागर सिंह ने कहा कि भाजपा कार्यकर्ताओं की पार्टी है और यहां परिवारवाद के लिए जगह नहीं है. रीजनल पार्टियां परिवारवाद को सबसे ऊपर रखती हैं. लालू प्रसाद यादव, मुलायम सिंह यादव इसके उदाहरण हैं. पार्टी के स्टैंड से साफ हो गया कि नेताओं के दबाव के आगे पार्टी झुकने को तैयार नहीं है और पार्टी नेताओं के वजह से परिवारवाद के जद में आना नहीं चाहती. लिहाजा तमाम नेताओं के दावों को एक सिरे से खारिज कर दिया गया.

पटना: भारतीय जनता पार्टी ने अपने इरादे जाहिर कर दिए हैं. पार्टी, नेताओं के दबाव के आगे झुकने वाली नहीं है और किसी भी सूरत में भाजपा परिवारवाद को पार्टी की संस्कृति बनाना नहीं चाहती. इस वजह से भाजपा के कई नेताओं के उम्मीदों को एक बार फिर झटका लगा है.

देखें पूरी खबर

नेता पुत्रों को पार्टी ने नहीं दी तवज्जो

भारतीय जनता पार्टी में कई ऐसे नेता हैं, जो अपने पुत्र को मैदान में उतारना चाहते थे. विधानसभा चुनाव को देखते हुए पार्टी के वरीय नेता जोर आजमाइश कर रहे थे लेकिन पार्टी के कद्दावर नेता और केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे के पुत्र को टिकट नहीं देकर पार्टी ने अपने इरादे जाहिर कर दिए हैं. पार्टी ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि पुत्र या रिश्तेदारों को अगर टिकट चाहिए तो नेता को पद छोड़ना होगा.

परिवारवाद भाजपा के एजेंडे में शामिल नहीं

भारतीय जनता पार्टी ने एक बार फिर स्पष्ट कर दिया कि पार्टी में कद और पद महत्वपूर्ण नहीं है, पार्टी की संस्कृति सर्वोपरि है. भाजपा ने परिवारवाद के रास्ते को एक बार फिर नकार दिया और वैसे तमाम नेताओं को संदेश दे दिया जो अपने पुत्र के टिकट के लिए जद्दोजहद कर रहे थे. मिसाल के तौर पर सीपी ठाकुर जब सक्रिय राजनीति से अलग हुए तब उनके पुत्र विवेक ठाकुर को राज्यसभा भेजा गया. ऐसे नेताओं की फेहरिस्त भी लंबी है जो पुत्र के लिए दौड़ लगा रहे थे. केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे अपने पुत्र अर्जित सास्वत के लिए भागलपुर की टिकट चाहते थे, इसके अलावा पार्टी के कोषाध्यक्ष दिलीप जायसवाल भी अपने पुत्र को टिकट दिलाने के लिए कसरत कर रहे थे. डॉ सीपी ठाकुर भी अपने पुत्र दीपक ठाकुर को पाली से चुनाव लड़ जाना चाहते थे.

BJP avoided nepotism in bihar elections , बिहार महासमर में BJP ने परिवारवाद से किया तौबा
भाजपा नेता

और पढ़ें- बिहार चुनाव: रूडी-शाहनवाज का घटा रुतबा? स्टार प्रचारकों की सूची में भी नहीं मिली जगह

वहीं, केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद के पुत्र भी टिकट के दावेदारों की सूची में शामिल थे. सांसद जनार्दन सिंह सिग्रीवाल अपने पुत्र प्रमोद के लिए टिकट चाहते थे. विधान पार्षद संजय पासवान अपने पुत्र गुरु प्रकाश के लिए टिकट की चाह रखते थे. इसके अलावा गोपाल नारायण सिंह ने अपने पुत्र विक्रम को चुनाव लड़ना चाहते थे. बिहार विधान परिषद के सभापति अवधेश नारायण सिंह के पुत्र रमन सिंह भी चुनाव में भाग्य आजमाना चाहते थे. भाजपा सांसद रामकृपाल यादव अपने पुत्र अभिमन्यु के लिए टिकट चाहते थे. इसके अलावा पूर्व सांसद दिवंगत भोला सिंह की बहू वीणा देवी भी चुनाव लड़ना चाहती थी. दिवंगत लालमणि चौबे के पुत्र सुशील चौबे ने भी दावेदारी ठोक रखी थी.

परिवारवाद को जगह नहीं

भाजपा प्रवक्ता डॉ राम सागर सिंह ने कहा कि भाजपा कार्यकर्ताओं की पार्टी है और यहां परिवारवाद के लिए जगह नहीं है. रीजनल पार्टियां परिवारवाद को सबसे ऊपर रखती हैं. लालू प्रसाद यादव, मुलायम सिंह यादव इसके उदाहरण हैं. पार्टी के स्टैंड से साफ हो गया कि नेताओं के दबाव के आगे पार्टी झुकने को तैयार नहीं है और पार्टी नेताओं के वजह से परिवारवाद के जद में आना नहीं चाहती. लिहाजा तमाम नेताओं के दावों को एक सिरे से खारिज कर दिया गया.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.