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बिहार विधानसभा उपचुनावः दोनों गठबंधन के पास 2024 चुनाव से पहले मजबूत उपस्थिति दर्ज कराने की चुनौती

लोकसभा चुनाव से पहले राज्य में 2 सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं. उपचुनाव को लेकर राजनीतिक दलों ने ताकत झोंक रखी है. राज्य के अंदर गठबंधन के स्वरूप में बदलाव के बाद दोनों गठबंधन के लिए चुनौती है. उपचुनाव दोनों गठबंधन के लिए लिटमस टेस्ट साबित हाेगा.

बिहार विधानसभा उपचुनावः
बिहार विधानसभा उपचुनावः
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Published : Oct 9, 2022, 6:58 PM IST

Updated : Oct 9, 2022, 7:15 PM IST

पटना: मिशन 2024 से पहले राज्य में हाे रहे उपचुनाव का महत्व बढ़ गया है. राजनीतिक दल अपने परफॉर्मेंस से 2024 चुनाव में जीत के दावों को मजबूती से पेश करने की कोशिश में है. भाजपा और महागठबंधन दोनों की साख दांव पर है. इस बीच भारतीय जनता पार्टी की ओर से प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया गया है. भाजपा ने दोनों सीटों पर महिला उम्मीदवार को मैदान में उतारे हैं. महागठबंधन की ओर से औपचारिक तौर पर प्रत्याशियों का ऐलान होना बाकी है.

इसे भी पढ़ेंः बिहार में उपचुनाव: गोपालगंज-मोकामा में नीतीश तेजस्वी का पहला लिटमस टेस्ट


2024 चुनाव से पहले मजबूत उपस्थिति दर्ज कराने की तैयारीः बिहार में गठबंधन का स्वरूप बदलने के बाद से दोनों गठबंधन के समक्ष दावों को सच करने की चुनौती है. भाजपा 2024 चुनाव से पहले मजबूत उपस्थिति दर्ज कराना चाहती है. महागठबंधन के सबसे मजबूत किले को ध्वस्त करने की चुनौती भाजपा के सामने है. पिछले चार विधानसभा चुनाव से मोकामा विधानसभा सीट पर बाहुबली नेता अनंत सिंह का कब्जा है. इस बार भारतीय जनता पार्टी ने अनंत सिंह से मुकाबले के लिए बाहुबली नेता ललन सिंह की पत्नी सोनम देवी को मैदान में उतारा है.

सोनम देवी पहले भी विधानसभा चुनाव लड़ चुकी हैंः 2010 के विधानसभा चुनाव में सोनम देवी लोजपा के टिकट पर चुनाव लड़ी थी. अनंत सिंह को जहां 51564 मत मिले थे तो सोनम देवी को 42610 मत मिले थे. 2015 के विधानसभा चुनाव में ललन सिंह खुद उम्मीदवार थे और उन्हें 16655 वोट मिले थे. ललन सिंह जन अधिकार पार्टी से चुनाव लड़े थे. ललन सिंह (Lalan Singh resign) जेडीयू से जुड़े थे. शनिवार को पार्टी से अपना इस्तीफा दिया था. इस बार जेडीयू महागठबंधन में शामिल हो गई है और जेडीयू की सहयोगी पार्टी आरजेडी से अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी को उम्मीदवार बनाये जाने की संभावना है. ललन सिंह पार्टी से इस्तीफा देकर दूसरे दल के टिकट पर मोकामा विधानसभा से चुनाव लड़ने की तैयारी में थे.

इसे भी पढ़ेंः बिहार के बाहुबलियों की बीवियां संभालतीं हैं 'सत्ता'.. अब बारी अनंत सिंह की!

गोपालगंज से पिछली बार सुभाष सिंह चुनाव जीते थेः गोपालगंज सीट भाजपा की सीटिंग सीट है गोपालगंज सीट से पिछली बार सुभाष सिंह चुनाव जीते थे. बिहार सरकार में वह मंत्री भी बने थे. इस बार सुभाष सिंह की पत्नी को कुसुम देवी काे भाजपा ने उम्मीदवार बनाया है. भाजपा प्रवक्ता विनोद शर्मा ने कहा है कि विधानसभा उप चुनाव स्थानीय मुद्दों पर होते हैं गोपालगंज हमारी पारंपरिक सीट है लेकिन मोकामा में भी हम मजबूत उपस्थिति दर्ज कराएंगे.

उपचुनाव दोनों ही गठबंधन के लिए महत्वपूर्णः कांग्रेस प्रवक्ता राजेश राठौर ने कहा है कि उपचुनाव सभी दलों के लिए महत्वपूर्ण है इस बार लोकसभा चुनाव से पहले उपचुनाव राजनीतिक दलों के लिए महत्वपूर्ण है. महागठबंधन का कुनबा बढ़ा है और व्हाट्सएप भी हमारे पास ज्यादा है. हम दोनों सीटों पर जीत हासिल करेंगे. राजनीतिक विश्लेषक कौशलेंद्र प्रियदर्शी का मानना है कि उपचुनाव दोनों ही गठबंधन के लिए महत्वपूर्ण है. महागठबंधन के समक्ष जहां अपने फैसले को सच साबित करने की चुनौती है वहीं एनडीए अपने परफॉर्मेंस के जरिए यह साबित करने की कोशिश करेगी कि उनके ताकत में कमी नहीं आई है.

"उपचुनाव दोनों ही गठबंधन के लिए महत्वपूर्ण है. महागठबंधन के समक्ष जहां अपने फैसले को सच साबित करने की चुनौती है वहीं एनडीए अपने परफॉर्मेंस के जरिए यह साबित करने की कोशिश करेगी कि उनके ताकत में कमी नहीं आई है"- कौशलेंद्र प्रियदर्शी, राजनीतिक विश्लेषक

पटना: मिशन 2024 से पहले राज्य में हाे रहे उपचुनाव का महत्व बढ़ गया है. राजनीतिक दल अपने परफॉर्मेंस से 2024 चुनाव में जीत के दावों को मजबूती से पेश करने की कोशिश में है. भाजपा और महागठबंधन दोनों की साख दांव पर है. इस बीच भारतीय जनता पार्टी की ओर से प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया गया है. भाजपा ने दोनों सीटों पर महिला उम्मीदवार को मैदान में उतारे हैं. महागठबंधन की ओर से औपचारिक तौर पर प्रत्याशियों का ऐलान होना बाकी है.

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2024 चुनाव से पहले मजबूत उपस्थिति दर्ज कराने की तैयारीः बिहार में गठबंधन का स्वरूप बदलने के बाद से दोनों गठबंधन के समक्ष दावों को सच करने की चुनौती है. भाजपा 2024 चुनाव से पहले मजबूत उपस्थिति दर्ज कराना चाहती है. महागठबंधन के सबसे मजबूत किले को ध्वस्त करने की चुनौती भाजपा के सामने है. पिछले चार विधानसभा चुनाव से मोकामा विधानसभा सीट पर बाहुबली नेता अनंत सिंह का कब्जा है. इस बार भारतीय जनता पार्टी ने अनंत सिंह से मुकाबले के लिए बाहुबली नेता ललन सिंह की पत्नी सोनम देवी को मैदान में उतारा है.

सोनम देवी पहले भी विधानसभा चुनाव लड़ चुकी हैंः 2010 के विधानसभा चुनाव में सोनम देवी लोजपा के टिकट पर चुनाव लड़ी थी. अनंत सिंह को जहां 51564 मत मिले थे तो सोनम देवी को 42610 मत मिले थे. 2015 के विधानसभा चुनाव में ललन सिंह खुद उम्मीदवार थे और उन्हें 16655 वोट मिले थे. ललन सिंह जन अधिकार पार्टी से चुनाव लड़े थे. ललन सिंह (Lalan Singh resign) जेडीयू से जुड़े थे. शनिवार को पार्टी से अपना इस्तीफा दिया था. इस बार जेडीयू महागठबंधन में शामिल हो गई है और जेडीयू की सहयोगी पार्टी आरजेडी से अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी को उम्मीदवार बनाये जाने की संभावना है. ललन सिंह पार्टी से इस्तीफा देकर दूसरे दल के टिकट पर मोकामा विधानसभा से चुनाव लड़ने की तैयारी में थे.

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गोपालगंज से पिछली बार सुभाष सिंह चुनाव जीते थेः गोपालगंज सीट भाजपा की सीटिंग सीट है गोपालगंज सीट से पिछली बार सुभाष सिंह चुनाव जीते थे. बिहार सरकार में वह मंत्री भी बने थे. इस बार सुभाष सिंह की पत्नी को कुसुम देवी काे भाजपा ने उम्मीदवार बनाया है. भाजपा प्रवक्ता विनोद शर्मा ने कहा है कि विधानसभा उप चुनाव स्थानीय मुद्दों पर होते हैं गोपालगंज हमारी पारंपरिक सीट है लेकिन मोकामा में भी हम मजबूत उपस्थिति दर्ज कराएंगे.

उपचुनाव दोनों ही गठबंधन के लिए महत्वपूर्णः कांग्रेस प्रवक्ता राजेश राठौर ने कहा है कि उपचुनाव सभी दलों के लिए महत्वपूर्ण है इस बार लोकसभा चुनाव से पहले उपचुनाव राजनीतिक दलों के लिए महत्वपूर्ण है. महागठबंधन का कुनबा बढ़ा है और व्हाट्सएप भी हमारे पास ज्यादा है. हम दोनों सीटों पर जीत हासिल करेंगे. राजनीतिक विश्लेषक कौशलेंद्र प्रियदर्शी का मानना है कि उपचुनाव दोनों ही गठबंधन के लिए महत्वपूर्ण है. महागठबंधन के समक्ष जहां अपने फैसले को सच साबित करने की चुनौती है वहीं एनडीए अपने परफॉर्मेंस के जरिए यह साबित करने की कोशिश करेगी कि उनके ताकत में कमी नहीं आई है.

"उपचुनाव दोनों ही गठबंधन के लिए महत्वपूर्ण है. महागठबंधन के समक्ष जहां अपने फैसले को सच साबित करने की चुनौती है वहीं एनडीए अपने परफॉर्मेंस के जरिए यह साबित करने की कोशिश करेगी कि उनके ताकत में कमी नहीं आई है"- कौशलेंद्र प्रियदर्शी, राजनीतिक विश्लेषक

Last Updated : Oct 9, 2022, 7:15 PM IST
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