पटना: राज्य विधिक सेवा प्राधिकार के जरिए न्याय तक सबकी पहुंच बढ़ाने के लिए बिहार में भी लगातार काम हो रहे हैं. हालांकि यह सवाल भी उठते रहे हैं कि गरीब और मजदूरों को किस हद तक मुफ्त कानूनी सहायता मिल पाती है. ईटीवी भारत ने राज्य विधिक प्राधिकार के जरिए यह जानने की कोशिश की है कि किस तरह समाज के पिछड़े और मजबूर लोगों को मुफ्त कानूनी सहायता मिल सकती है.
मुफ्त कानूनी सहायता उपलब्ध करा रहा प्राधिकार
बिहार राज्य न्यायिक सेवा प्राधिकार राज्य में 37 जिला स्तरीय सेवा प्राधिकार के जरिए लोगों को कानूनी सहायता उपलब्ध कराने का दावा कर रहा है. हर साल बड़ी संख्या में लोग कई तरह के मामलों के लिए कोर्ट पहुंचते हैं. लेकिन, वकीलों की महंगी फीस की वजह से कई बार गरीब अपना केस नहीं लड़ पाते. इसके अलावा कई बार शारीरिक या मानसिक रूप से कमजोर लोगों को भी कानूनी सहायता की जरूरत पड़ती है.सुदूर इलाकों में रहने वाले लोगों को आवेदन पत्र भरने से लेकर कानूनी सलाह लेने तक परेशानी ना हो इसके लिए राज्य न्यायिक सेवा प्राधिकार अपने जिला सेवा प्राधिकारों के जरिए ऐसे लोगों को मुफ्त कानूनी सहायता उपलब्ध करा रहा है.
लोगों तक न्याय की पहुंच बनाना पहली प्राथमिकता
बिहार राज्य न्यायिक सेवा प्राधिकार के संयुक्त सचिव आर एन एस पांडे ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में कहा कि लोगों तक न्याय की पहुंच बनाना हमारी पहली प्राथमिकता है. हम इसी दिशा में हम लगातार काम कर रहे हैं. विभिन्न लोक अदालतों और मोबाइल लोक अदालतों के जरिए बड़ी संख्या में लोगों को मुफ्त कानूनी सहायता उपलब्ध कराई जाती है. इसमें मुफ्त में कानूनी सलाह देने से लेकर मुफ्त वकील उपलब्ध कराने तक की सहायता भी मिलती है.
अब तक दी गई 19 करोड़ की आर्थिक मदद
इसके अलावा प्राधिकार के जरिए विक्टिम कंपनसेशन स्कीम के जरिए अब तक 19 करोड़ 54 लाख 39 हजार की आर्थिक मदद विभिन्न मामलों में दी जा चुकी है. 2018-19 में 18 हजार 580 कैदियों को भी मदद मिली है. संयुक्त सचिव ने कहा कि बिहार में 4000 से ज्यादा पारा लीगल वालंटियर के जरिए लोगों को मुफ्त कानूनी सलाह और सहायता प्रदान की जा रही है.