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मिट्टी के दीयों से हर घर होगा रोशन.. मनेगी खुशियों वाली दीवाली! कुम्हारों व मूर्तिकारों को बेहतरी की उम्मीद

चाक पर हाथ घुमाते कुम्हारों व मूर्तिकारों को कोरोना संकट के बाद इस बार की दीवाली में बेहतरी की उम्मीद है. कुम्हारों को उम्मीद है लोग मिट्टी के दीये जलाकर अपने घरों को रोशन करेंगे. इससे उनके जीवन में भी उजाला होगा. पढ़ें पूरी रिपोर्ट..

कुम्हार
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Published : Nov 1, 2021, 5:24 PM IST

पटनाः भारतीय संस्कृति के अनुसार प्रकाश पर्व दीपावली (Festival of Lights) का खास महत्व है. बीते दो सालों तक कोरोना के कारण कई तरह के प्रतिबंध थे. इस कारण यह त्योहार भी फीका रहा था. राज्य में कोरोना प्रोटोकॉल में ढिलाई के बाद इस बार दीपावली में पुरानी रौनक बाजारों में लौट रही है. इस कारण उम्मीद की जा रही है कि पटना व आस-पास के कुम्हारों व मूर्तिकारों के चेहरे पर खुशी की रोशनी आयेगी.

इन्हें भी पढ़ें- बच्ची की शिकायत सुन नीतीश भी रह गए हैरान.. 2 मिनट तक सोचते रहे, फिर बोले- ऐसे कैसे.. लगाओ DGP को फोन

दीपों के त्योहार दीपावली में अब कुछ दिन ही शेष बचे हैं. इससे जुड़े बाजारों में लोग खरीददारी में जुट गये हैं. इस बार दीपावली और लक्ष्मी पूजा को लेकर कुम्हार एवं मूर्तिकारों के चेहरे पर काफी खुशी देखने को मिल रही है. यह बात मूर्तिकार एवं कुम्हार भी कह रहे हैं.

राजधानी पटना से सटे बिहटा के कुम्हार टोली में इस बार दीपावली एवं लक्ष्मी पूजा को लेकर काफी रौनक है. दीपावली को लेकर जहां कुम्हार मिट्टी के दीए बनाने में लगे हुए हैं, वहीं मूर्तिकार मां लक्ष्मी एवं गणेश की मूर्ति को अंतिम रूप दे रहे हैं.

इन्हें भी पढ़ें-पहले रेलवे स्टेशन.. फिर गांधी मैदान में धमाके.. जब सीरियल ब्लास्ट से दहल उठा था पटना

पिछले दो सालों से कोविड के कारण बिहटा के कुम्हारटोली से गायब रौनक एक बार फिर लौट रही है. कुम्हारों एवं मूर्तिकारों के हर चेहरे पर खुशी साफ तौर पर दिख रही है. उम्मीद है कि इस बार की दीपावली में बेहतर कारोबार से उनके घर-आंगन में खुशी लौटेगी. वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों से मिट्टी के दीयों से दीपावली मनाने की अपील की है. इससे कुम्हारों के अच्छे दिन आने की उम्मीद और बढ़ गई है.

देखें वीडियो..

इससे जुड़े लोगों का कहना है कि वे महंगी मिट्टी खरीदकर दीया, करवा आदि बनाकर अपना पालन पोषण करते हैं. उन्हें आज भी बुनियादी सुविधाओं का इंतजार है. बाजार में चाइनीज झालर की मार से कुम्हारों के व्यवसाय पर काफी असर पड़ रहा है. गांव ही नहीं, बल्कि शहरी क्षेत्र की कई बस्तियों में भी कई परिवार मिट्टी के कारोबार से जुड़े हुए हैं. हांलाकि, फिर भी दीपावली को लेकर कुम्हारों को अच्छे व्यापार की आस है.

कुम्हार शंकर पंडित बताते हैं कि पिछले 2 सालों से पूरा परिवार जैसे-तैसे चल रहा था. इस बार उम्मीद है कि दीपावली हम सभी लोगों की अच्छे से मनेगी. बाजार में भी मिट्टी के दीयों की मांग पहले से ज्यादा है. वे आगे कहते हैं पहले तो खेत से मिट्टी मिल जाती थी, लेकिन अब सभी लोग मिट्टी खरीदकर सामान बनाते हैं. लेकिन इसके बाद भी इस बार अच्छी कमाई की उम्मीद है.

वहीं मूर्तिकार राजू पंडित बताते हैं कि सरकार से मिली छूट से दो साल के बाद इस बार मूर्तियों के लिए काफी आर्डर मिला है. मूर्तियों को अंतिम रूप देने में हम सभी लोग लगे हुए हैं. इस बार की दीपावली भी हम सभी लोगों की अच्छी होने वाली है.

पटनाः भारतीय संस्कृति के अनुसार प्रकाश पर्व दीपावली (Festival of Lights) का खास महत्व है. बीते दो सालों तक कोरोना के कारण कई तरह के प्रतिबंध थे. इस कारण यह त्योहार भी फीका रहा था. राज्य में कोरोना प्रोटोकॉल में ढिलाई के बाद इस बार दीपावली में पुरानी रौनक बाजारों में लौट रही है. इस कारण उम्मीद की जा रही है कि पटना व आस-पास के कुम्हारों व मूर्तिकारों के चेहरे पर खुशी की रोशनी आयेगी.

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दीपों के त्योहार दीपावली में अब कुछ दिन ही शेष बचे हैं. इससे जुड़े बाजारों में लोग खरीददारी में जुट गये हैं. इस बार दीपावली और लक्ष्मी पूजा को लेकर कुम्हार एवं मूर्तिकारों के चेहरे पर काफी खुशी देखने को मिल रही है. यह बात मूर्तिकार एवं कुम्हार भी कह रहे हैं.

राजधानी पटना से सटे बिहटा के कुम्हार टोली में इस बार दीपावली एवं लक्ष्मी पूजा को लेकर काफी रौनक है. दीपावली को लेकर जहां कुम्हार मिट्टी के दीए बनाने में लगे हुए हैं, वहीं मूर्तिकार मां लक्ष्मी एवं गणेश की मूर्ति को अंतिम रूप दे रहे हैं.

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पिछले दो सालों से कोविड के कारण बिहटा के कुम्हारटोली से गायब रौनक एक बार फिर लौट रही है. कुम्हारों एवं मूर्तिकारों के हर चेहरे पर खुशी साफ तौर पर दिख रही है. उम्मीद है कि इस बार की दीपावली में बेहतर कारोबार से उनके घर-आंगन में खुशी लौटेगी. वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों से मिट्टी के दीयों से दीपावली मनाने की अपील की है. इससे कुम्हारों के अच्छे दिन आने की उम्मीद और बढ़ गई है.

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इससे जुड़े लोगों का कहना है कि वे महंगी मिट्टी खरीदकर दीया, करवा आदि बनाकर अपना पालन पोषण करते हैं. उन्हें आज भी बुनियादी सुविधाओं का इंतजार है. बाजार में चाइनीज झालर की मार से कुम्हारों के व्यवसाय पर काफी असर पड़ रहा है. गांव ही नहीं, बल्कि शहरी क्षेत्र की कई बस्तियों में भी कई परिवार मिट्टी के कारोबार से जुड़े हुए हैं. हांलाकि, फिर भी दीपावली को लेकर कुम्हारों को अच्छे व्यापार की आस है.

कुम्हार शंकर पंडित बताते हैं कि पिछले 2 सालों से पूरा परिवार जैसे-तैसे चल रहा था. इस बार उम्मीद है कि दीपावली हम सभी लोगों की अच्छे से मनेगी. बाजार में भी मिट्टी के दीयों की मांग पहले से ज्यादा है. वे आगे कहते हैं पहले तो खेत से मिट्टी मिल जाती थी, लेकिन अब सभी लोग मिट्टी खरीदकर सामान बनाते हैं. लेकिन इसके बाद भी इस बार अच्छी कमाई की उम्मीद है.

वहीं मूर्तिकार राजू पंडित बताते हैं कि सरकार से मिली छूट से दो साल के बाद इस बार मूर्तियों के लिए काफी आर्डर मिला है. मूर्तियों को अंतिम रूप देने में हम सभी लोग लगे हुए हैं. इस बार की दीपावली भी हम सभी लोगों की अच्छी होने वाली है.

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