पटना: बिहार में शराबबंदी (Liquor Ban in Bihar) फिलहाल सबसे ज्वलंत मुद्दा है. एक ओर सरकार शराबबंदी को सफल बनाने की लगातार कोशिश कर रही है. पुलिस और प्रशासनिक स्तर पर कड़ाई बरती जा रही है, फिर भी बिहार में शराब की तस्करी (Liquor smuggling in Bihar), बिक्री और इसके सेवन की शिकायतें लगातार आ रही हैं. इसे लेकर विपक्ष पार्टियां सरकार पर चौतरफा हमले कर रही हैं. इसी बीच मद्य निषेध विभाग के नए अपर मुख्य सचिव के. के. पाठक (Bihar IAS KK Pathak) ने एक नई पहल की है. उन्होंने बिहार की जनता के लिए अपना वाट्सएप नंबर 9473400600 जारी किया है. पाठक ने कहा है कि लोग शराब से सम्बन्धित कोई भी जानकारी (complaint on liquor ban) सीधे भेज सकते हैं.
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के. के. पाठक काफी सख्त अधिकारी माने जाते हैं. बताया जाता है कि सीएम नीतीश कुमार ने शराबबंदी कानून (CM Nitish Kumar on Liquor Ban in Bihar) को पूरी तरह लागू करने के मकसद से ही उन्हें इस पद तैनात किया है. के.के. पाठक ने अपना वाट्सएप नंबर जारी करते हुए लोगों से शराब से जुड़ी कोई भी जानकारी साझा करने की अपी की है. साथ ही उन्होंने यह भरोसा भी दिलाया है कि जानकारी देने वाले की पहचान गोपनीय रखी जाएगी.
गौरतलब है कि सीएम नीतीश कुमार ने शराब माफियाओं के खिलाफ वृहद अभियान छेड़ दिया है. बिहार में जहरीली शराब से मौत (Death due to poisonous liquor in Bihar) के बाद पुलिस और मद्य निषेध विभाग पर कार्रवाई काे लेकर काफी दबाव भी है. बता दें कि कुछ दिनों पूर्व सीएम नीतीश कुमार ने शराबबंदी को लेकर समीक्षा बैठक (review meeting regarding liquor ban) की थी. उसके बाद से पुलिस काफी एक्शन में हैं. लगातार छापेमारी हो रही है.
इधर, शराबबंदी का उल्लंघन करने वालों की लत छुड़ाने के लिए पटना में जिला प्रशासन ने फायरब्रांड महिला अधिकारियों का एक दस्ता तैयार किया है. महिलाएं इन महिला अधिकारियों के नेतृत्व में इंटेलिजेंस का काम करेगी. गांवों के हर घर तक खुफिया नेटवर्क तैयार किया जायेगा. इस दस्ते के माध्यम से मिले ठोस इनपुट के बल पर पुलिस साक्ष्य (सबूत) आधारित कार्रवाई करेगी. ग्रामीण इलाकों में जीविका के माध्यम से महिलाएं रोजगार और बैंकिंग से जुड़ कर अपना भविष्य बनाने में जुटी हैं. जननी से लेकर बाल सुरक्षा योजना, आशा कार्यकर्ताओं के बूते सफल हो रही हैं.
यह सर्वविदित है कि शराब से सबसे ज्यादा परेशानी महिलाओं को ही होती है. इसे ही आधार बनाकर महिलाओं को माध्यम से एक नेटवर्क तैयार हो रहा है. बिहार के जिलों में बाल विकास परियोजना पदाधिकारी, महिला पर्यवेक्षक और आंगनबाड़ी सेविका, सहायिका, जीविका दीदी, आशा और टोला सेवकों के माध्यम से शराब से संबंधित जानकारी आसानी से मिल जायेगी. यह तरीका काफी कारगर भी साबित होगा.
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