पटना: बिहार सरकार के ऊर्जा एवं योजना विकास मंत्री बिजेंद्र यादव ( Minister Bijendra Prasad Yadav ) ने नीति आयोग ( NITI Aayog )को फिर से पत्र और ज्ञापन भेजकर हालिया रिपोर्ट पर आपत्ति जताई है. मंत्री बिजेंद्र यादव ने योजना आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार को पत्र के साथ 9 पन्नों का ज्ञापन भेजा है जिसमें हालिया रिपोर्ट पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा है कि यह रिपोर्ट 2015-16 के आंकड़ों पर आधारित है, इसमें राज्य की वृद्धि दर और लगातार हो रहे प्रगति के आगे शामिल नहीं किए गए हैं.
मंत्री बिजेंद्र यादव ने नीति आयोग को यह भी कहा है विकास के राष्ट्रीय औसत को प्राप्त करने के लिए बिहार को विशेष राज्य का दर्जा ( Special Status For Bihar ) मिलना जरूरी है. बिहार विशेष राज्य के सभी मानकों को पूरा भी करता है. बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिलेगा, तभी राज्य के साथ न्याय हो सकेगा.
नीति आयोग की रिपोर्ट को लेकर बिहार सरकार ने 3 महीने के अंदर दूसरी बार पत्र लिखकर आपत्ति दर्ज कराई है. उर्जा एवं योजना विकास मंत्री बिजेंद्र यादव ने नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार को पत्र के साथ 9 पन्ने का ज्ञापन भेज भेजा है. हाल में नीति आयोग की रिपोर्ट में देश में सबसे अधिक बिहार में 52% आबादी को गरीब दिखाया गया है.
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मंत्री ने पत्र में बिहार के विकास की अनदेखी करने की बात कही है. मंत्री विजेंद्र यादव ने पत्र में बिहार के विकास का आंकड़ा भी दिया है, इसमें 2500 में बिहार में विकास दर -1.6 9% था लेकिन नीतीश कुमार के सत्ता में आने के एक साल बाद ही 2006-7 में विकास दर 16.18% हो गया फिर 2008-9 में 14.54%, 2010-11 में 15.03% और लगातार 2019 -20 तक डबल डिजिट में विकास दर बना हुआ है.
पत्र में मंत्री ने कहा है कि विपरीत परिस्थितियों के बावजूद बिहार ने पथ निर्माण, ऊर्जा, स्वच्छता, सुशासन एवं पारदर्शिता, कृषि एवं सम्बद्ध क्षेत्रों की उत्पादकता में अनेक उपलब्धियां हासिल की है. पिछले कई वर्षों से उच्च विकास दर हासिल करने के बावजूद प्रति व्यक्ति आय और प्रति व्यक्ति निवेश और विकास के अनेक मापदंडों पर बिहार राष्ट्रीय औसत से नीचे है.
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बाढ़ एवं सूखा के कारण राज्य के अत्यधिक संसाधन आधारभूत संरचना के पुनर्निर्माण और कृषि क्षति की भरपाई में लग जाते हैं. देश में सर्वाधिक जनसंख्या घनत्व, प्राकृतिक संसाधनों की कमी एवं लैंडलॉक्ड राज्य होना बिहार की प्रमुख समस्या है. आजादी के बाद से ही राज्य में केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र की औद्योगिक इकाइयां स्थापित करने की पहल नहीं की गई. देश में हुई पहली हरित क्रांति के लाभ से भी बिहार को वंचित रखा गया.
मंत्री ने पत्र में कहा है कि बिहार के बिना देश का समावेशी विकास नहीं हो सकता है. नीति आयोग का पूरा नाम नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया है. देश ट्रांसफार्म तभी होगा जब बिहार जैसे राज्य का विकास हो.
बिजेंद्र यादव ने कहा है विकास के राष्ट्रीय और औसत को प्राप्त करने के लिए बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिलना आवश्यक है. पिछले 10-12 वर्षों से इसके लिए बिहार सरकार लगातार मांग करती रही है. विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त होने से केंद्र प्रायोजित योजनाओं की राशि में राज्यांश की कमी, निवेशकों को करों में छूट, वित्तीय रियायत मिलेगी और औद्योगिक विकास होगा.
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नीति आयोग की लगातार आ रही रिपोर्ट में बिहार के विकास के दावे की पोल खुल रही है. राष्ट्रीय औसत पर बिहार विकास के मामले में निचले पायदान पर आयोग की रिपोर्ट में दिख रहा है और सरकार की मुश्किलें बढ़ी हुई है. विपक्ष हमलावर है.
बता दें कि बिजेंद्र यादव ने पहले भी नीति आयोग को पत्र और ज्ञापन के माध्यम से अपनी नाराजगी जतायी थी. अब दूसरी बार पत्र भेजकर बिहार सरकार के तरफ से आपत्ति दर्ज कराई है और विशेष राज्य के दर्जा की मांग भी की है.